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पॉल्यूशन फ्री दिल्ली का ग्रेट आइडिया, पराली उगलेगी सोना, किसानों का कमाल कारनामा - CHHINDWARA NEWS

मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा ने निकाला नया नुस्खा, पराली प्रदूषण नहीं उल्टा पैसा बनाएगी. पंजाब, हरियाणा के किसानों के लिए नए किस्म की मशीन.

CHHINDWARA POLUTION FREE PARALI INOVATION
छिंदवाड़ा में पराली जलाना लगभग बंद (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 23, 2024, 7:34 AM IST

Updated : Nov 23, 2024, 5:07 PM IST

छिन्दवाड़ा : जब पराली जलाने के बढ़ते मामले दिल्ली की सांसों पर भारी पड़ रहे हैं तब एमपी के किसान पराली से ही चमत्कार कर रहे हैं. छिंदवाड़ा जिले के किसान पराली से हरी खाद तैयार कर रहे हैं, जिसके बाद पराली पॉल्यूशन नहीं बल्कि फसल उत्पादन में फायदेमंद साबित हो रही है. नतीजा ये है कि छिंदवाड़ा में पराली जलाने का औसत तीन दिन में एक मामले का है जबकि एमपी का ही श्योपुर जिला इस मामले में टॉप पर है.

Chhindwara parali news
छिंदवाड़ा में पराली जलाना लगभग बंद (Etv Bharat)

छिंदवाड़ा में पराली जलाना लगभग बंद

मध्य प्रदेश में नरवाई जलाने की घटनाओं पर सैटेलाइट से मॉनिटरिंग की जा रही है. आईसीएआर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के विभिन्न जिलों में फसलों की पराली जलाने की घटनाएं बड़ी संख्या में दर्ज हो रही हैं. हालांकि, छिंदवाड़ा जिला इस समस्या से अछूता नजर आ रहा है. 17 से 19 नवंबर तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो जबलपुर, ग्वालियर, श्योपुर, होशंगाबाद और रायसेन जैसे जिलों में सैकड़ों मामले दर्ज किए गए. वहीं, छिंदवाड़ा में इन तीन दिनों के दौरान केवल एक मामला सामने आया, वह भी तामिया के ग्राम मानेगांव में. यह प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में बेहद कम है.

parali burning stopped in chhindwara
किसानों की जागरूकता से रुक रही पराली जलाने की घटनाएं (Etv Bharat)

किसानों की जागरूकता का असर

छिंदवाड़ा के किसान अब पराली (स्थानीय बोली में नरवाई) जलाने के बजाय आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग कर रहे हैं. श्रेडर, बेलर, रीपर कम बाइंडर, स्ट्रारीपर, सुपर सीडर और जीरो टिलेज सीड ड्रिल जैसी तकनीकों के इस्तेमाल से किसान न केवल पर्यावरण को बचा रहे हैं, बल्कि नरवाई से हरी खाद बनाकर खेतों को उपजाऊ भी बना रहे हैं.

Rakesh singh felicitating farmers
किसानों का सम्मान करते प्रभारी मंत्री राकेश सिंह (Etv Bharat)

रंग ला रहे प्रशासन के प्रयास, प्रभारी मंत्री ने दी शाबाशी

जिले में किसानों को जागरुक करने के लिए प्रशासन और कृषि विभाग ने समय-समय पर प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाए हैं. इन प्रयासों का परिणाम है कि छिंदवाड़ा के किसान न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं, बल्कि अन्य जिलों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं. प्रभारी मंत्री राकेश सिंह ने जिले में नरवाई प्रबंधन के लिए जिला प्रशासन व कृषि विभाग द्वारा हैप्पी सीडर के नवाचार और उसके प्रयोग को बढ़ावा देने की सराहना की. उप संचालक कृषि जितेंद्र सिंह ने बताया, '' नरवाई प्रबंधन में जिले में अच्छा काम हुआ है और छिंदवाड़ा जिला प्रदेश में पहले स्थान पर है. हैप्पी सीडर नरवाई प्रबंधन में बहुत मददगार साबित हो रहा है. इसको करने में विभाग द्वारा किसानों को 1.5 लाख का अनुदान भी दिया जाता है और अन्य के खेत में उपयोग करने पर प्रति एकड़ के अनुसार 1650 रुपए का मानदेय भी दिया जाता है. इस दौरान प्रभारी मंत्री ने नरवाई प्रबंधन में बेहतर काम करने वाले किसानों को सम्मानित भी किया.

Happy seeder machine benefits parali
बुआई के साथ हरी खाद बनाता है हैप्पी सीडर (Etv Bharat)

प्रदेश के टॉप नरवाई जलाने वाले जिले

जिलेपराली जलाने के माले
श्योपुर176
जबलपुर127
होशंगाबाद58
दतिया50
ग्वालियर42
17 नवंबर के आंकड़े

वहीं 18 नवंबर को जबलपुर में 116, श्योपुर में 91, होशंगाबाद में 72, ग्वालियर में 63 और रायसेन में 56 मामले सामने आए. छिंदवाड़ा में मात्र एक जगह तामिया के ग्राम मानेगांव जबकि प्रदेश में 639 जगह पराली नरवाई जलाई गई. इसी प्रकार 19 नवंबर को जबलपुर में 131, ग्वालियर में 107, दतिया में 78, होशंगाबाद में 45 और रायसेन में 39 जगह नरवाई जलाई गई. प्रदेश में 664 मामले दर्ज किए गए. 3 दिन के आंकड़ों पर गौर करें तो छिंदवाड़ा में मात्र एक जगह नरवाई पराली जलाई गई है.

बुआई के साथ हरी खाद बनाता है हैप्पी सीडर

खेतों से मक्के की फसल लेने के बाद खड़े डंठल किसानों के लिए समस्या का सबब बनते हैं. ऐसे में हैप्पी सीडर मशीन डंठलों को तोड़ मरोड़ कर जमीन में दबा देती है, जिससे खेतों में हरी खाद बन रही है जो फसल के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है. इसके साथ ही जिस काम को करने में किसानों को अपने खेतों में तीन-तीन बार समय देना पड़ता है, वह एक ही बार में हो जाता है.

छिन्दवाड़ा : जब पराली जलाने के बढ़ते मामले दिल्ली की सांसों पर भारी पड़ रहे हैं तब एमपी के किसान पराली से ही चमत्कार कर रहे हैं. छिंदवाड़ा जिले के किसान पराली से हरी खाद तैयार कर रहे हैं, जिसके बाद पराली पॉल्यूशन नहीं बल्कि फसल उत्पादन में फायदेमंद साबित हो रही है. नतीजा ये है कि छिंदवाड़ा में पराली जलाने का औसत तीन दिन में एक मामले का है जबकि एमपी का ही श्योपुर जिला इस मामले में टॉप पर है.

Chhindwara parali news
छिंदवाड़ा में पराली जलाना लगभग बंद (Etv Bharat)

छिंदवाड़ा में पराली जलाना लगभग बंद

मध्य प्रदेश में नरवाई जलाने की घटनाओं पर सैटेलाइट से मॉनिटरिंग की जा रही है. आईसीएआर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के विभिन्न जिलों में फसलों की पराली जलाने की घटनाएं बड़ी संख्या में दर्ज हो रही हैं. हालांकि, छिंदवाड़ा जिला इस समस्या से अछूता नजर आ रहा है. 17 से 19 नवंबर तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो जबलपुर, ग्वालियर, श्योपुर, होशंगाबाद और रायसेन जैसे जिलों में सैकड़ों मामले दर्ज किए गए. वहीं, छिंदवाड़ा में इन तीन दिनों के दौरान केवल एक मामला सामने आया, वह भी तामिया के ग्राम मानेगांव में. यह प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में बेहद कम है.

parali burning stopped in chhindwara
किसानों की जागरूकता से रुक रही पराली जलाने की घटनाएं (Etv Bharat)

किसानों की जागरूकता का असर

छिंदवाड़ा के किसान अब पराली (स्थानीय बोली में नरवाई) जलाने के बजाय आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग कर रहे हैं. श्रेडर, बेलर, रीपर कम बाइंडर, स्ट्रारीपर, सुपर सीडर और जीरो टिलेज सीड ड्रिल जैसी तकनीकों के इस्तेमाल से किसान न केवल पर्यावरण को बचा रहे हैं, बल्कि नरवाई से हरी खाद बनाकर खेतों को उपजाऊ भी बना रहे हैं.

Rakesh singh felicitating farmers
किसानों का सम्मान करते प्रभारी मंत्री राकेश सिंह (Etv Bharat)

रंग ला रहे प्रशासन के प्रयास, प्रभारी मंत्री ने दी शाबाशी

जिले में किसानों को जागरुक करने के लिए प्रशासन और कृषि विभाग ने समय-समय पर प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाए हैं. इन प्रयासों का परिणाम है कि छिंदवाड़ा के किसान न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं, बल्कि अन्य जिलों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं. प्रभारी मंत्री राकेश सिंह ने जिले में नरवाई प्रबंधन के लिए जिला प्रशासन व कृषि विभाग द्वारा हैप्पी सीडर के नवाचार और उसके प्रयोग को बढ़ावा देने की सराहना की. उप संचालक कृषि जितेंद्र सिंह ने बताया, '' नरवाई प्रबंधन में जिले में अच्छा काम हुआ है और छिंदवाड़ा जिला प्रदेश में पहले स्थान पर है. हैप्पी सीडर नरवाई प्रबंधन में बहुत मददगार साबित हो रहा है. इसको करने में विभाग द्वारा किसानों को 1.5 लाख का अनुदान भी दिया जाता है और अन्य के खेत में उपयोग करने पर प्रति एकड़ के अनुसार 1650 रुपए का मानदेय भी दिया जाता है. इस दौरान प्रभारी मंत्री ने नरवाई प्रबंधन में बेहतर काम करने वाले किसानों को सम्मानित भी किया.

Happy seeder machine benefits parali
बुआई के साथ हरी खाद बनाता है हैप्पी सीडर (Etv Bharat)

प्रदेश के टॉप नरवाई जलाने वाले जिले

जिलेपराली जलाने के माले
श्योपुर176
जबलपुर127
होशंगाबाद58
दतिया50
ग्वालियर42
17 नवंबर के आंकड़े

वहीं 18 नवंबर को जबलपुर में 116, श्योपुर में 91, होशंगाबाद में 72, ग्वालियर में 63 और रायसेन में 56 मामले सामने आए. छिंदवाड़ा में मात्र एक जगह तामिया के ग्राम मानेगांव जबकि प्रदेश में 639 जगह पराली नरवाई जलाई गई. इसी प्रकार 19 नवंबर को जबलपुर में 131, ग्वालियर में 107, दतिया में 78, होशंगाबाद में 45 और रायसेन में 39 जगह नरवाई जलाई गई. प्रदेश में 664 मामले दर्ज किए गए. 3 दिन के आंकड़ों पर गौर करें तो छिंदवाड़ा में मात्र एक जगह नरवाई पराली जलाई गई है.

बुआई के साथ हरी खाद बनाता है हैप्पी सीडर

खेतों से मक्के की फसल लेने के बाद खड़े डंठल किसानों के लिए समस्या का सबब बनते हैं. ऐसे में हैप्पी सीडर मशीन डंठलों को तोड़ मरोड़ कर जमीन में दबा देती है, जिससे खेतों में हरी खाद बन रही है जो फसल के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है. इसके साथ ही जिस काम को करने में किसानों को अपने खेतों में तीन-तीन बार समय देना पड़ता है, वह एक ही बार में हो जाता है.

Last Updated : Nov 23, 2024, 5:07 PM IST
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