शिवहरः लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा को लेकर स्कूली बच्चों ने अपनी प्रतिभा दिखाई. पूरी तन्मयता से छठ महापर्व का मंचन किया. बच्चों ने अर्घ्य देने से लेकर पारण तक पूरी प्रक्रिया बेहतरीन ढंग से की. कार्यक्रम के दौरान शिक्षिकाओं ने छठ गीत गाए और छोटे बच्चों ने पारंपरिक परिधान में सूर्यदेव को अर्घ्य देकर महापर्व को संपन्न किया.
मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुतिः शिवहर डीएवी पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं ने यह प्रस्तुति दी. बच्चों के द्वारा इस प्रस्तुति से हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया. आस्था से भरे इस छठ गीत को बच्चों के मुंह से सुनकर सभी तारीफ कर रहे थे. गीत प्रस्तुत करने वाले सभी बच्चे क्लास 1 से लेकर 8वीं कक्षा तक के हैं. विद्यालय के प्रांगण में छात्रों ने छठ पूजा की झांकी प्रस्तुत की. कार्यक्रम का नेतृत्व प्राचार्य रणधीर सिंह ने किया.
"यह पर्व बिहार की सांस्कृतिक धरोहर है. हमें जल की पवित्रता और स्वच्छता बनाए रखने का संदेश देता है. छठ पूजा में जल का विशेष महत्व है और यह पर्व हमें नदियों और जलाशयों की स्वच्छता का पालन करने की प्रेरणा देता है. स्वच्छता से ही बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित होता है और यह बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण सीख है." -रणधीर सिंह, प्राचार्य
'गांव जाना अच्छा लगता है': कक्षा आठवीं की छात्रा श्रेया ने कहा कि छठ आने के बाद दादा-दादी के पास गांव जाने में काफी अच्छा लगता है. गांव में घूमना फिरना, दिन भर छठ की तैयारी करना अच्छा लगता है. रेडियो पर छठ पूजा के गीत बजते रहते हैं. दूर रहने वाले परिवार के सदस्य एकजुट होते हैं. छठ पर्व को लेकर तैयारी पहले से शुरू हो जाती है.
खीर का स्वाद अद्भुतः साक्षी का कहना की छठ में हमलोग अपने घर जाते हैं और पूजा की तैयारी मे लग जाते हैं. दादी, चाची, मम्मी, दीदी और घर के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर पूजा की तैयारी करते हैं. भक्तिमय होकर उनका यह पूजा जिसमें काफी शुद्धता से गेहूं धोया जाता है. खरना के दिन शाम में जो गुड़ की खीर बनती है. चाहे आप साल में कभी भी खीर बनाकर खा लें लेकिन खरना के दिन के खीर का स्वाद अद्भुत होता है.
दोस्तों संग छठ इंज्यॉय करते हैं प्रियांशुः छात्रा प्रियांशु राज का कहना है की छठ पूजा में प्रत्येक वर्ष घर जाते हैं. दादी मां पूजा करती है. 4 दिनों के इस पर्व में माहौल भक्तिमय रहता है. हम भी दोस्तों के साथ खरना के दिन केले के पत्ते काटने जाते हैं. उसे धोकर पत्ते को पूजा घर मे ले जाकर रख देते है. उसपे प्रसाद रख छठी मैया को भोग लगाया जाता है. उन्होंने बताया नदियों और तालाबों के आसपास की सफाई करते हैं.
प्रकृति से जुड़ना सीखाता है छठः संगीत शिक्षिका गरिमा कुमारी ने बताया की छठ पर्व के हर विधान पर लोकगीत है. छठ पर्व हमें प्रकृति से जुड़ना सिखाता है और साफ-सफाई का महत्व बताता है. छठ पर्वों को लेकर नदी किनारे घाटों की सफाई होती है. छठ पर्व की महिमा ही ऐसी है कि युवाओं में छठ पर्व की परंपराओं को लेकर पुराने दौर की लोगों से अधिक जागरूकता है.
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