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नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत, जानें क्या करते हैं आज

चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा की शुरुआत आज से नहाय खाय के साथ हो गई है. इस दिन क्या खास होता है जानें.

NAHAY KHAY
CHHATH PUJA 2022 IN BIHAR (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 5, 2024, 8:50 AM IST

पटना: 4 दिवसीय छठ महापर्व का नहाय-खाय के साथ आज से आगाज हो गया है. व्रती महिलाएं तालाब और नदी में स्नान करके कद्दू की सब्जी और चावल खाकर व्रत का संकल्प लेंगी. माना जाता है कि यह भोजन करने से साधक के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है.

नहाय-खाय के साथ छठ का आगाज: इस दिन व्रती महिलाएं स्नान करेक नए कपड़े पहनकर पूजा करती हैं. नए कपड़े की आवश्यकता व्रतियों को होती है. पीले और लाल रंग के कपड़ों का छठ में विशेष महत्व होता है. हालांकि दूसरे रंग के कपड़े भी पहने जा सकते हैं. स्नान के बाद ही छठव्रती चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करती हैं.

देखें यह रिपोर्ट. (ETV Bharat)

नहाय खाय क्या है: व्रत रखने वाली महिलाओं के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस दिन व्रत से पहले नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करने को ही नहाय-खाय कहते हैं. मुख्यतौर पर इस दिन छठ व्रती लौकी की सब्जी और चने का दाल ग्रहण करते हैं.

पवित्रता और शुद्धता का ध्यान: इन सब्जियों को पूरी पवित्रता के साथ धोया और पकाया जाता है. खाना पकाने के दौरान भी साफ सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है. खाना पकाने के दौरान भी छठव्रती छठी मईया के गीतों को पूरी आस्था और निष्ठा से गाती हैं. नहाय खाय के दिन जो खाना खाया जाता है उसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. नियम का पालन करते हुए छठव्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण कर सकते हैं.

36 घंटे का निर्जला व्रत : 36 घंटे निर्जला रहने वाले छठव्रतियों को यह व्रत कठिन नहीं बल्कि आसान लगता है. व्रत करने वाला व्यक्ति व्रत पूरा होने तक जमीन पर ही सोता है. नहाय खाय के दिन बनने वाले भोजन को बनाने के दौरान भी कई खास बातों का ध्यान रखना होता है. जो खाना इस दिन बनाया जाता है उसे रसोई के चूल्हे पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है.

छठव्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद दूसरे लोग खाते हैं: इस दिन चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही प्रयोग किया जाता है. इस दिन तमाम नियमों का पालन करते हुए भोजन बनाकर सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है. उसके बाद छठव्रती भोजन ग्रहण करते हैं और उसके बाद ही परिवार के दूसरे सदस्य भोजन कर सकते हैं.

इन नियमों का पालन जरूरी: नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नये कपड़े पहनने चाहिए. नहाय खाए से छठ की समाप्ति होने तक व्रती को जमीन पर ही सोना चाहिए. व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं. घर में तामसिक और मांसाहार पूरी तरह से वर्जित है. इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा करना जरूरी होता है.

छठ पूजा का महत्वः छठ श्रद्धा और आस्था से जुड़ा है, जो इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करता हैं उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. छठ व्रत, सुहाग, संतान, सुख-सौभाग्य और सुखमय जीवन की कामना के लिए किया जाता है. इस पर्व में सूर्य देव की उपासना का खास महत्व है.

मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा के दौरान पूजी जाने वाली छठी मईया सूर्य देव की बहन हैं. इस व्रत में सूर्य की आराधना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं. इस व्रत में जितनी श्रद्धा से नियमों और शुद्धता का पालन किया जाएगा, छठी मैया उतना ही प्रसन्न होंगी. छठ पर विशेष रूप से बनने वाले ठेकुए को प्रसाद के रूप में जरूर चढ़ाया जाता हैं.

पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामइग्रीः छठ पूजा में नई साड़ी, बांस की बनी हुए बड़ी-बड़ी टोकरियां, दूध, पीतल या बास का सूप, जल, लोटा, शाली, गन्ना, पान, मौसमी फल, सुथना, सुपारी, मिठाई, दिया आदि सामानों की जरुरत होती है. दरअसल सूर्य देव को छठ के दिन इस मौसम में मिलने वाली सभी फल और सब्जी अर्पण किए जाते हैं.

छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा: एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों को कोई संतान नहीं थी. इस कारण से दोनों दुखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ.

इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा की अपील करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.

CHHATH PUJA 2024
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छठ पूजा की तिथि: बता दें कि आज 5 नवंबर 2024 को नहाय खाय है. नहाय खाय से छठ पूजा का आरंभ हो जाता है. 6 नवंबर बुधवार के दिन दिन खरना किया जाएगा. 7 नवंबर गुरुवार शाम को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं 8 नवंबर शुक्रवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.

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पटना: 4 दिवसीय छठ महापर्व का नहाय-खाय के साथ आज से आगाज हो गया है. व्रती महिलाएं तालाब और नदी में स्नान करके कद्दू की सब्जी और चावल खाकर व्रत का संकल्प लेंगी. माना जाता है कि यह भोजन करने से साधक के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है.

नहाय-खाय के साथ छठ का आगाज: इस दिन व्रती महिलाएं स्नान करेक नए कपड़े पहनकर पूजा करती हैं. नए कपड़े की आवश्यकता व्रतियों को होती है. पीले और लाल रंग के कपड़ों का छठ में विशेष महत्व होता है. हालांकि दूसरे रंग के कपड़े भी पहने जा सकते हैं. स्नान के बाद ही छठव्रती चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करती हैं.

देखें यह रिपोर्ट. (ETV Bharat)

नहाय खाय क्या है: व्रत रखने वाली महिलाओं के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस दिन व्रत से पहले नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करने को ही नहाय-खाय कहते हैं. मुख्यतौर पर इस दिन छठ व्रती लौकी की सब्जी और चने का दाल ग्रहण करते हैं.

पवित्रता और शुद्धता का ध्यान: इन सब्जियों को पूरी पवित्रता के साथ धोया और पकाया जाता है. खाना पकाने के दौरान भी साफ सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है. खाना पकाने के दौरान भी छठव्रती छठी मईया के गीतों को पूरी आस्था और निष्ठा से गाती हैं. नहाय खाय के दिन जो खाना खाया जाता है उसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. नियम का पालन करते हुए छठव्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण कर सकते हैं.

36 घंटे का निर्जला व्रत : 36 घंटे निर्जला रहने वाले छठव्रतियों को यह व्रत कठिन नहीं बल्कि आसान लगता है. व्रत करने वाला व्यक्ति व्रत पूरा होने तक जमीन पर ही सोता है. नहाय खाय के दिन बनने वाले भोजन को बनाने के दौरान भी कई खास बातों का ध्यान रखना होता है. जो खाना इस दिन बनाया जाता है उसे रसोई के चूल्हे पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है.

छठव्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद दूसरे लोग खाते हैं: इस दिन चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही प्रयोग किया जाता है. इस दिन तमाम नियमों का पालन करते हुए भोजन बनाकर सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है. उसके बाद छठव्रती भोजन ग्रहण करते हैं और उसके बाद ही परिवार के दूसरे सदस्य भोजन कर सकते हैं.

इन नियमों का पालन जरूरी: नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नये कपड़े पहनने चाहिए. नहाय खाए से छठ की समाप्ति होने तक व्रती को जमीन पर ही सोना चाहिए. व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं. घर में तामसिक और मांसाहार पूरी तरह से वर्जित है. इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा करना जरूरी होता है.

छठ पूजा का महत्वः छठ श्रद्धा और आस्था से जुड़ा है, जो इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करता हैं उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. छठ व्रत, सुहाग, संतान, सुख-सौभाग्य और सुखमय जीवन की कामना के लिए किया जाता है. इस पर्व में सूर्य देव की उपासना का खास महत्व है.

मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा के दौरान पूजी जाने वाली छठी मईया सूर्य देव की बहन हैं. इस व्रत में सूर्य की आराधना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं. इस व्रत में जितनी श्रद्धा से नियमों और शुद्धता का पालन किया जाएगा, छठी मैया उतना ही प्रसन्न होंगी. छठ पर विशेष रूप से बनने वाले ठेकुए को प्रसाद के रूप में जरूर चढ़ाया जाता हैं.

पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामइग्रीः छठ पूजा में नई साड़ी, बांस की बनी हुए बड़ी-बड़ी टोकरियां, दूध, पीतल या बास का सूप, जल, लोटा, शाली, गन्ना, पान, मौसमी फल, सुथना, सुपारी, मिठाई, दिया आदि सामानों की जरुरत होती है. दरअसल सूर्य देव को छठ के दिन इस मौसम में मिलने वाली सभी फल और सब्जी अर्पण किए जाते हैं.

छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा: एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों को कोई संतान नहीं थी. इस कारण से दोनों दुखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ.

इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा की अपील करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.

CHHATH PUJA 2024
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छठ पूजा की तिथि: बता दें कि आज 5 नवंबर 2024 को नहाय खाय है. नहाय खाय से छठ पूजा का आरंभ हो जाता है. 6 नवंबर बुधवार के दिन दिन खरना किया जाएगा. 7 नवंबर गुरुवार शाम को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं 8 नवंबर शुक्रवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.

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