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हर 10 साल पर जीतनराम मांझी ने लगायी छलांग, असफलता के बावजूद नहीं हारे, जानें MLA से केंद्रीय मंत्री तक का सफर - Cabinet Minister Jitan Ram Manjhi

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 10, 2024, 9:56 AM IST

Jitan Ram Manjhi: कैबिनेट मंत्री जीतन राम मांझी का राजनीतिक राह आसान नहीं रहा लेकिन उन्होंने असफलता से कभी हार नहीं मानी. विधायक से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने के लिए 40 साल संघर्ष करना पड़ा. पढ़ें पूरी खबर.

कैबिनेट मंत्री जीतन राम मांझी
कैबिनेट मंत्री जीतन राम मांझी (Etv Bharat)

पटनाः केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी बड़े दलित नेताओं में शुमार हैं. रामविलास पासवान के बाद जीतन राम मांझी ने दलितों की आवाज बुलंद की. अलग राजनीतिक स्टैंड अख्तियार कर अपनी अलग पहचान बनाई. कई बार असफलता के बावजूद 10 साल के अंतर पर जीतन राम मांझी ने राजनीति में नई मुकाम हासिल की. रविवार को जीतन राम मांझी ने एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की.

5 दिनों तक कार्यवाहक विधानसभा अध्यक्ष रहेः जीतन राम मांझी का राह आसान नहीं रहा. 1980 में पहली बार कांग्रेस पार्टी के जरिए राजनीति में कदम रखा और 79 साल की उम्र पूरी होते-होते केंद्रीय मंत्री तक की सफर तय की. 2005 आते-आते जीतन राम मांझी ने कांग्रेस छोड़ दिया और जदयू के टिकट पर विधायक बने. बिहार सरकार में मंत्री बनने का अवसर भी उन्हें प्राप्त हुआ. 2020 में जीतन राम मांझी पांच दिनों के लिए कार्यवाहक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे.

पहली बार कांग्रेस से विधायक बनेः 1980 में जीतन राम मांझी कांग्रेस पार्टी की टिकट पर फतेहपुर सुरक्षित सीट से विधायक बने. उसके बाद 1983 में चंद्रशेखर सिंह के सरकार में राज्य मंत्री बने. 1985 में जीतन राम मांझी फिर से विधायक बने. हालांकि जीतन राम मांझी तीन बार लोकसभा चुनाव हार चुके हैं. चुनाव में हारने के बाद भी जीतन राम मांझी ने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ते गए. यही कारण है कि लोकसभा चुनाव 2024 में वे गया से निर्वाचित हुए.

कैबिनेट मंत्री जीतन राम मांझी का राजनीतिक करियर
कैबिनेट मंत्री जीतन राम मांझी का राजनीतिक करियर (ETV Bharat)

तीन बार लोकसभा चुनाव हारेः 1991 में जीतन राम मांझी ने पहली बार गया सुरक्षित सीट से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2014 के लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी ने गया सुरक्षित सीट पर भाग्य आजमाया लेकिन उस समय भी हार का सामना करना पड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी ने एनडीए छोड़ दिया और महागठबंधन का हिस्सा हो गए. फिर से लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाया लेकिन हार गए. आखिर में 2024 में एनडीए ने मांझी की नया पर लगाए और वे चुनाव जीत गए.

हारने के बाद भी बन गए सीएमः 2014 लोकसभा चुनाव की हार जीतन राम मांझी के लिए संजीवनी साबित हुई. नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया. दलित वोट को मजबूत करने के लिए जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया. जीतन राम मांझी 2014 मई से 2015 फरवरी तक 9 महीने मुख्यमंत्री पद पर विराजमान रहे लेकिन नीतीश कुमार से विवाद के बाद उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी.

देश के बड़े दलित नेता के रूप में पहचानः 2015 से लेकर 2024 तक जीतन राम मांझी अपने दल हम पार्टी को मजबूत करते रहे. 2024 में उनकी हसरत पूरी हो गयी. नरेंद्र मोदी कैबिनेट में वह मंत्री बनाए गए. जीतन राम मांझी हार 10 साल के अंतर पर छलांग लगाते चले गए और आज की तारीख में उनकी पहचान देश के अंदर बड़े दलित नेता की हो गई.

यह भी पढ़ेंः मोदी कैबिनेट में बिहार से 8 मंत्री बने, शपथ लेने के बाद सुनिये क्या बोले चिराग-मांझी और गिरिराज? - Modi Cabinet

पटनाः केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी बड़े दलित नेताओं में शुमार हैं. रामविलास पासवान के बाद जीतन राम मांझी ने दलितों की आवाज बुलंद की. अलग राजनीतिक स्टैंड अख्तियार कर अपनी अलग पहचान बनाई. कई बार असफलता के बावजूद 10 साल के अंतर पर जीतन राम मांझी ने राजनीति में नई मुकाम हासिल की. रविवार को जीतन राम मांझी ने एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की.

5 दिनों तक कार्यवाहक विधानसभा अध्यक्ष रहेः जीतन राम मांझी का राह आसान नहीं रहा. 1980 में पहली बार कांग्रेस पार्टी के जरिए राजनीति में कदम रखा और 79 साल की उम्र पूरी होते-होते केंद्रीय मंत्री तक की सफर तय की. 2005 आते-आते जीतन राम मांझी ने कांग्रेस छोड़ दिया और जदयू के टिकट पर विधायक बने. बिहार सरकार में मंत्री बनने का अवसर भी उन्हें प्राप्त हुआ. 2020 में जीतन राम मांझी पांच दिनों के लिए कार्यवाहक विधानसभा अध्यक्ष भी रहे.

पहली बार कांग्रेस से विधायक बनेः 1980 में जीतन राम मांझी कांग्रेस पार्टी की टिकट पर फतेहपुर सुरक्षित सीट से विधायक बने. उसके बाद 1983 में चंद्रशेखर सिंह के सरकार में राज्य मंत्री बने. 1985 में जीतन राम मांझी फिर से विधायक बने. हालांकि जीतन राम मांझी तीन बार लोकसभा चुनाव हार चुके हैं. चुनाव में हारने के बाद भी जीतन राम मांझी ने हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ते गए. यही कारण है कि लोकसभा चुनाव 2024 में वे गया से निर्वाचित हुए.

कैबिनेट मंत्री जीतन राम मांझी का राजनीतिक करियर
कैबिनेट मंत्री जीतन राम मांझी का राजनीतिक करियर (ETV Bharat)

तीन बार लोकसभा चुनाव हारेः 1991 में जीतन राम मांझी ने पहली बार गया सुरक्षित सीट से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2014 के लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी ने गया सुरक्षित सीट पर भाग्य आजमाया लेकिन उस समय भी हार का सामना करना पड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी ने एनडीए छोड़ दिया और महागठबंधन का हिस्सा हो गए. फिर से लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाया लेकिन हार गए. आखिर में 2024 में एनडीए ने मांझी की नया पर लगाए और वे चुनाव जीत गए.

हारने के बाद भी बन गए सीएमः 2014 लोकसभा चुनाव की हार जीतन राम मांझी के लिए संजीवनी साबित हुई. नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया. दलित वोट को मजबूत करने के लिए जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया. जीतन राम मांझी 2014 मई से 2015 फरवरी तक 9 महीने मुख्यमंत्री पद पर विराजमान रहे लेकिन नीतीश कुमार से विवाद के बाद उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी.

देश के बड़े दलित नेता के रूप में पहचानः 2015 से लेकर 2024 तक जीतन राम मांझी अपने दल हम पार्टी को मजबूत करते रहे. 2024 में उनकी हसरत पूरी हो गयी. नरेंद्र मोदी कैबिनेट में वह मंत्री बनाए गए. जीतन राम मांझी हार 10 साल के अंतर पर छलांग लगाते चले गए और आज की तारीख में उनकी पहचान देश के अंदर बड़े दलित नेता की हो गई.

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