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पंचतत्व में विलीन हुए प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र बाबू पहलवान, बड़े बेटे ने दी मुखाग्नि - Burhanpur Hind Kesari dies - BURHANPUR HIND KESARI DIES

देश के प्रथम हिंद केसरी ने शनिवार को अपने जीवन की अंतिम सांस ली. लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे. 95 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.

BURHANPUR HIND KESARI DIES
पंचतत्व में विलीन हुए प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र बाबू पहलवान
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 21, 2024, 10:57 PM IST

बुरहानपुर। शनिवार दोपहर 3.15 बजे भारत के प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र बाबू पहलवान ने दुनिया को अलविदा कह दिया. इसके बाद रविवार को नगर में उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. देश के प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र बाबू पहलवान नेपानगर में ताप्ती नदी के किनारे पंचतत्व में विलीन हो गए. उनके बड़े बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी. रामचंद्र पहलवान के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और समाजजन शामिल हुए. हिंदू रीती रिवाज़ से उनका अंतिम संस्कार किया गया

प्रथम हिंद केसरी का जीता था खिताब

ऐतिहासिक नगरी बुरहानपुर में सन 1929 में जन्मे रामचंद्र बाबू पहलवान ने सन 1958 में थल सेना के प्रसिद्ध पहलवान को पटखनी देकर प्रथम हिंद केसरी का खिताब हासिल किया था. इस उपलब्धि पर उन्हें कर्नाटक के गर्वनर ने 15 किलो वजनी चांदी का गदा बतौर पुरस्कार के रूप में दिया था. आपको बता दें कि रामानंद सागर द्वारा निर्मित रामायण धारावाहिक में हनुमान जी के रोल के लिए रामचन्द्र बाबू पहलवान को ऑफर दिया गया था. लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकराया दिया था. जिसके बाद दारा सिंह को हनुमान के रोल के लिए कास्ट किया गया था.

यहां पढ़ें...

जन्मदिन मनाया और हो गई मौत, फिर परिवार के लोगों ने कर दिया देहदान

देश के प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र पहलवान का निधन, लंबे समय थे बीमार, कुश्ती में जीते थे 200 से ज्यादा अवार्ड

देसी अखाड़े में सीखे थे दांव पेच

रामचंद्र बाबू पहलवान ने देसी अखाड़े की मिट्टी में पहलवानी के दांव पेच सीखे थे. परिजन बताते है कि उन्होंने 45 साल के पहलवानी जीवन में करीब 100 से ज्यादा छोटे-बड़े पहलवानों को कुश्ती के गुण सिखाए है. जिसमें देश व प्रदेश के नामचीन पहलवानों का नाम शुमार है. इसके अलावा उनके शागिर्द रतन पहलवान, प्रताप पहलवान, घन्सू भाई पहलवान सहित मदन मोहन पहलवान राज्य स्तरीय कुश्तियों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं.

बुरहानपुर। शनिवार दोपहर 3.15 बजे भारत के प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र बाबू पहलवान ने दुनिया को अलविदा कह दिया. इसके बाद रविवार को नगर में उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई. देश के प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र बाबू पहलवान नेपानगर में ताप्ती नदी के किनारे पंचतत्व में विलीन हो गए. उनके बड़े बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी. रामचंद्र पहलवान के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और समाजजन शामिल हुए. हिंदू रीती रिवाज़ से उनका अंतिम संस्कार किया गया

प्रथम हिंद केसरी का जीता था खिताब

ऐतिहासिक नगरी बुरहानपुर में सन 1929 में जन्मे रामचंद्र बाबू पहलवान ने सन 1958 में थल सेना के प्रसिद्ध पहलवान को पटखनी देकर प्रथम हिंद केसरी का खिताब हासिल किया था. इस उपलब्धि पर उन्हें कर्नाटक के गर्वनर ने 15 किलो वजनी चांदी का गदा बतौर पुरस्कार के रूप में दिया था. आपको बता दें कि रामानंद सागर द्वारा निर्मित रामायण धारावाहिक में हनुमान जी के रोल के लिए रामचन्द्र बाबू पहलवान को ऑफर दिया गया था. लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकराया दिया था. जिसके बाद दारा सिंह को हनुमान के रोल के लिए कास्ट किया गया था.

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देसी अखाड़े में सीखे थे दांव पेच

रामचंद्र बाबू पहलवान ने देसी अखाड़े की मिट्टी में पहलवानी के दांव पेच सीखे थे. परिजन बताते है कि उन्होंने 45 साल के पहलवानी जीवन में करीब 100 से ज्यादा छोटे-बड़े पहलवानों को कुश्ती के गुण सिखाए है. जिसमें देश व प्रदेश के नामचीन पहलवानों का नाम शुमार है. इसके अलावा उनके शागिर्द रतन पहलवान, प्रताप पहलवान, घन्सू भाई पहलवान सहित मदन मोहन पहलवान राज्य स्तरीय कुश्तियों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं.

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