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76 के बुंदेली दशरथ मांझी किस 1 पैसे के लिए 6 साल से खोद रहे कुआं, क्रिकेटर ने भेजी थी फोटो - Bundelkhand Dashrath Manjhi

बुंदेलखंड के 'दशरथ मांझी' के नाम से मशहूर 76 वर्षीय सीताराम लोधी का जज्बा, लगन और मेहनत के कायल पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण भी हो गए थे. इस बुजुर्ग ने डेढ़ साल तक कड़ी मेहनत से अपने दम पर अकेले ही कुआं खोद डाला. लेकिन वह सरकारी सरकारी सिस्टम का शिकार हो गए हैं.

Bundelkhand Dashrath Manjhi
बुंदेलखंड के 'दशरथ मांझी' ने अपनी दम पर खोदा कुआं (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 16, 2024, 12:25 PM IST

Updated : Aug 16, 2024, 1:06 PM IST

छतरपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की ग्राप पंचायत प्रतापपुरा के हडुआ गांव के रहने रहने वाले सीताराम लोधी आज से करीब 5 साल पहले राष्ट्रीय पटल पर चर्चा में आए. उन्होंने 70 साल की उम्र में अकेले अपनी दम पर गांव के खेत में कुआं खोद डाला. सीताराम लोधी का कहना है "गांव में पानी की बहुत कमी है. खेत में सिंचाई के लिए भी पानी नहीं मिल रहा था. इसीलिए खुद के दम पर लगभग 18 माह की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने अपने खेत में एक कुआं खोद डाला. लेकिन कुआं कच्चा होने के कारण हर साल बारिश में धंस जाता है. वह हर साल कुएं से मिट्टी निकालते हैं."

बुंदेलखंड के 'दशरथ मांझी' ने अपनी दम पर खोदा कुआं (ETV BHARAT)

5 साल पहले खोदा कुआं, अभी भी जुटे काम में

बुंदेलखंड के 'दशरथ मांझी' के नाम से मशहूर सीताराम लोधी का कहना है "उन्होंने 2018 में कुआं खोदने का काम शुरू किया. डेढ़ साल तक अकेले खुद की दम पर कुआं खोद डाला." जब सीताराम की ये उपलब्धि स्थानीय प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की नजर में आई तो उन्हें आर्थिक मदद देने के आश्वासन मिले. तत्कालीन कलेक्टर ने दो लाख रुपए देने के लिए कहा था, जिससे उनका कच्चा कुआं पक्का हो सके. लेकिन करीब 5 साल बीत गए, किसी ने सुध तक नहीं ली. अपने हाथों से खोदे गए कुएं की हालत को लेकर परेशान सीताराम का कहना है "हर बारिश में कुआं धसक जाता है और फिर वापस कुएं से मिट्टी निकालनी पड़ती है. अगर आर्थिक मदद मिल जाती तो कच्चे कुएं को बांधा जा सकता है."

पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण भी हुए मुरीद

गौरतलब है कि कुछ माह पहले मशहूर पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने सीताराम लोधी की मेहनत, लगन व जज्बा की तारीफ करते हुए ट्वीट किया था. इस ट्वीट के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया था और तहसीलदार ने उनका गरीबी रेखा का राशन कार्ड बनवाया. इसके अलावा आज तक उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है. सीताराम लोधी का कहना है न तो उनको आवास योजना का लाभ मिला है और न ही शौचालय का लाभ. सीताराम लोधी के परिजनों का कहना है "जिला प्रशासन के अधिकारियों ने वाहवाही लूटने के लिए झूठे वादे किए. कई बार वे लोग अफसरों व नेताओं के चक्कर काट चुके हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है." सीताराम लोधी फिलहाल 76 साल के हैं. फिर भी वह हर साल बारिश के बाद कुएं को धंसने से बचाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं.

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सारे वादे भूल गए अफसर व नेता

सीताराम लोधी की लगन, मेहनत व जज्बा देखकर जिला प्रशासन के अधिकारी व स्थानीय नेता भी अचंभित हो गए थे. अफसरों के साथ ही नेताओं ने सीतारम लोधी की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए कुएं के लिए आर्थिक मदद का आश्वासन दिया. ऐसे में कुछ दिनों तक सीताराम लोधी राष्ट्रीय पटल पर चर्चा का केंद्र बने रहे. लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरा तो अपनी आदत के मुताबिक अफसर व नेता अपने वायदे भूल गए. अब सीताराम लोधी गरीबी व तंगहाली से जूझ रहे हैं. कोई अफसर या नेता इन 5 साल के दौरान उनकी सुध लेने नहीं आया.

छतरपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की ग्राप पंचायत प्रतापपुरा के हडुआ गांव के रहने रहने वाले सीताराम लोधी आज से करीब 5 साल पहले राष्ट्रीय पटल पर चर्चा में आए. उन्होंने 70 साल की उम्र में अकेले अपनी दम पर गांव के खेत में कुआं खोद डाला. सीताराम लोधी का कहना है "गांव में पानी की बहुत कमी है. खेत में सिंचाई के लिए भी पानी नहीं मिल रहा था. इसीलिए खुद के दम पर लगभग 18 माह की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने अपने खेत में एक कुआं खोद डाला. लेकिन कुआं कच्चा होने के कारण हर साल बारिश में धंस जाता है. वह हर साल कुएं से मिट्टी निकालते हैं."

बुंदेलखंड के 'दशरथ मांझी' ने अपनी दम पर खोदा कुआं (ETV BHARAT)

5 साल पहले खोदा कुआं, अभी भी जुटे काम में

बुंदेलखंड के 'दशरथ मांझी' के नाम से मशहूर सीताराम लोधी का कहना है "उन्होंने 2018 में कुआं खोदने का काम शुरू किया. डेढ़ साल तक अकेले खुद की दम पर कुआं खोद डाला." जब सीताराम की ये उपलब्धि स्थानीय प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की नजर में आई तो उन्हें आर्थिक मदद देने के आश्वासन मिले. तत्कालीन कलेक्टर ने दो लाख रुपए देने के लिए कहा था, जिससे उनका कच्चा कुआं पक्का हो सके. लेकिन करीब 5 साल बीत गए, किसी ने सुध तक नहीं ली. अपने हाथों से खोदे गए कुएं की हालत को लेकर परेशान सीताराम का कहना है "हर बारिश में कुआं धसक जाता है और फिर वापस कुएं से मिट्टी निकालनी पड़ती है. अगर आर्थिक मदद मिल जाती तो कच्चे कुएं को बांधा जा सकता है."

पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण भी हुए मुरीद

गौरतलब है कि कुछ माह पहले मशहूर पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने सीताराम लोधी की मेहनत, लगन व जज्बा की तारीफ करते हुए ट्वीट किया था. इस ट्वीट के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया था और तहसीलदार ने उनका गरीबी रेखा का राशन कार्ड बनवाया. इसके अलावा आज तक उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है. सीताराम लोधी का कहना है न तो उनको आवास योजना का लाभ मिला है और न ही शौचालय का लाभ. सीताराम लोधी के परिजनों का कहना है "जिला प्रशासन के अधिकारियों ने वाहवाही लूटने के लिए झूठे वादे किए. कई बार वे लोग अफसरों व नेताओं के चक्कर काट चुके हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है." सीताराम लोधी फिलहाल 76 साल के हैं. फिर भी वह हर साल बारिश के बाद कुएं को धंसने से बचाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं.

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Last Updated : Aug 16, 2024, 1:06 PM IST
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