लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की हालत खराब होती जा रही है. जिस पार्टी की चार बार उत्तर प्रदेश में सरकार रही हो, उस पार्टी का सिर्फ एक ही विधायक है. लोकसभा में भी बसपा का सूपड़ा साफ है. विधान परिषद में भी प्रतिनिधित्व नहीं बचा है. राज्यसभा में सिर्फ एक सदस्य है. ऐसे में कमजोर होती जा रही बसपा को अब बामसेफ ही संजीवनी बूटी की तरह याद आया है. पार्टी को लगता है, कि बामसेफ को फिर से एक्टिव किया जाए. वही पार्टी को जिंदा करने में सहायक साबित हो सकता है.
बसपा अध्यक्ष मायावती ने आगामी चुनावों को देखते हुए फिर से अपने संगठन बामसेफ को सक्रिय करने का फैसला लिया है. इसके अलावा पार्टी ने संगठन को भी मथने का काम शुरू कर दिया है. नई कमेटियों के साथ ही पदाधिकारियों को भी नई जिम्मेदारी सौंपने का सिलसिला शुरू हो गया है.
बामसेफ होगा पुनर्गठित: साल 2027 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. इस बार मौका किसी तरह से भी हाथ से जाने न पाए इसके लिए बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती पुरजोर कोशिशों में जुट गई हैं. आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बसपा अध्यक्ष मायावती ने वर्षों बाद बामसेफ (ब्राह्मण मुस्लिम भाईचारा कमेटी) को पुनर्गठित करने का निर्णय लिया है. हर जिले में बामसेफ का एक अध्यक्ष और 10 उपाध्यक्ष के साथ विधानसभा स्तर पर संयोजक रखने का फैसला लिया है. तीन मंडलों पर बनाए गए एक सेक्टर की व्यवस्था को पार्टी ने समाप्त कर दिया है, फिर से मंडलीय व्यवस्था लागू कर दी गई है.
हर मंडल पर एक मुख्य कोऑर्डिनेटर होगा और उसके सहयोग के लिए तीन से चार कोऑर्डिनेटर रखे जाएंगे. हर जनपद में मुस्लिम और ब्राह्मण भाईचारा कमेटी या गठित की जा रही हैं. आगे चलकर इनमें और बढ़ोतरी किए जाने का भी पार्टी ने निर्णय लिया है. बसपा संस्थापक कांशीराम ने संगठन को मजबूत करने के लिए बामसेफ और डीएस फोर का गठन किया था. बामसेफ बसपाई की परछाई है. बहुजन समाज पार्टी इसके बिना कुछ भी नहीं है, इसलिए जनपदों में बामसेफ का फिर से सक्रिय होना और इसे विस्तार देना पार्टी के कोर वोटरों तक पहुंचने में निर्णायक साबित हो सकता है. यही सोचकर बसपा अध्यक्ष ने एक बार फिर बामसेफ का सहारा लिया है.
फिर से बनेगी ब्राह्मण मुस्लिम भाईचारा कमेटी: बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने धरातल पर संगठन को मजबूत करने के लिए बूथ और सेक्टर कमेटियों के गठन का भी निर्देश दिया है. अगले साल 15 जनवरी को बसपा अध्यक्ष मायावती के जन्मदिन से इसकी शुरुआत होगी. संगठन को मजबूती से खड़ा करके ही चुनाव जीता जा सकता है, इसलिए बीएसपी मुखिया को बूथ और सेक्टर कमेटियों के गठन का भी निर्णय लिया है.
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के पीडीए की काट भी मायावती ने ऐसे निकाली है कि जमीन पर दलितों, पिछड़ों, वंचितों के साथ मुस्लिम और ब्राह्मणों को जोड़ने के लिए इन समितियों का गठन होगा. हर जिले में ब्राह्मण मुस्लिम भाईचारा कमेटी गठित की जाएंगी. इनका काम लोगों को पार्टी के साथ मजबूती से जोड़ना होगा. पार्टी को उम्मीद है इससे समाजवादी पार्टी के पीडीए को ठिकाने लगाया जा सकता है.
वर्तमान में सक्रिय मंडल कमेटियां: बहुजन समाज पार्टी की वर्तमान में जो मंडल कमेटियां सक्रिय हैं. उनमें लखनऊ मंडल में शमसुद्दीन राईन, अखिलेश अंबेडकर, विजय प्रताप और मौजीलाल गौतम शामिल हैं. कानपुर मंडल में घनश्याम चंद्र खरवार और सूरज सिंह जाटव, चित्रकूट मंडल में घनश्याम चंद्र खरवार और अशोक गौतम, प्रयागराज मंडल में लालाराम राजू, गौतम और दिनेश चंद्र, मिर्जापुर मंडल में विश्वनाथ पाल के साथ गुड्डू राम शामिल हैं.