नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर की सोसाइटी में कुत्तों के हमले की घटनाएं आम हो गई है. ताजा मामला गाजियाबाद से सामने आया है, जहां राजनगर स्थित केडीपी ग्रैंड सवाना सोसाइटी में आवारा कुत्तों के आतंक से सोसाइटी के लोग काफी परेशान हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक, केडीपी ग्रैंड समान समिति में तकरीबन 1200 फ्लैट हैं, जिनमें तकरीबन 5000 लोग रहते हैं. कुत्तों के हमले की वजह से सोसाइटी में छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक स्टिक लेकर निकलते हैं.
केडीपी ग्रैंड समान समिति के सचिव राहुल बालियान के मुताबिक, बीते दो-तीन महीने से सोसाइटी में आवारा कुत्तों की समस्या बढ़ गई है. हालांकि पहले भी समस्या थी लेकिन बीते चंद महीनों में यह समस्या काफी बढ़ गई है. 26 जनवरी 2024 को पार्क में खेल रहे ढाई साल के बच्चे पर कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया था. करीब 10 मीटर तक कुत्तों ने मासूम को घसीटा. तब आसपास मौजूद एक व्यक्ति ने कुत्तों से बच्चे की जान बचाई थी.
"केडीपी सोसाइटी से नगर निगम द्वारा कुत्तों को एबीसी सेंटर ले जाया गया. जो कुत्ते हिंसक लग रहे थे उन सभी को चार दिन ऑब्जर्वेशन में रखा गया. सभी कुत्तों का फिर से रेबीज का वैक्सीनेशन कराया गया. इसके बाद सभी कुत्तों को उनके यथा स्थान पर छोड़ दिया गया. गाजियाबाद में प्रतिदिन 25 कुत्तों का बधियाकरण एबीसी सेंटर में किया जाता है. बधियाकरण की क्षमता बढ़ाने के लिए शहर में एक और एबीसी सेंटर खोलने के लिए शासन से मंजूरी मिल गई है. 6 महीने में एबीसी केंद्र बनकर तैयार हो जाएगा इसके बाद हर दिन 40 से 50 कुत्तों का बधियाकरण हो सकेगा."
डॉ अनुज कुमार सिंह, उप मुख्य पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी
राहुल बालियान ने कहा कि बीते दो दिनों में डॉग बाइट के दो नए मामले सामने आए हैं. सोसाइटी में सात आठ कुत्तों का झुंड है. जिस तरह से लगातार डॉग बाइट के सोसाइटी में मामले सामने आ रहे हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे कुत्ते पागल हो चुके हैं.
केडीपी निवासी करण सिंह डोगरा बताते हैं कि पिछले चंद महीनों में घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. सोसाइटी में नीचे टहलते हुए या फिर पार्क में जाने से बच्चे और बुजुर्ग घबराते हैं. सोसाइटी निवासियों को डर बना रहता है कि कहीं कुत्ता हमला ना कर दे. 26 जनवरी 2024 को पत्नी शाम को टहलने निकली थी अचानक से पत्नी पर एक काले कुत्ते ने हमला कर दिया. कुत्ते के काटने के बाद पत्नी को उपचार के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा.
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केडीपी निवासी विजय बताते हैं कि कुत्तों का आतंक इतना है कि बच्चे जब नीचे खेलने जाते हैं तो उनके साथ जाना पड़ता है. अपनी सुरक्षा के लिए स्टिक साथ में रखनी पड़ती है. वहीं, राशि बताती हैं कि हर वक्त नीचे उतरने पर कुत्तों का डर बना रहता है. कई बार किसी जरूरी काम से जब नीचे उतरना पड़ता है और समिति के बाहर जाना होता है तो गार्ड को ढूंढना पड़ता है. गार्ड से कहना पड़ता है कि हमें गेट पार करा दो.