बीकानेर: प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में बीकानेर से भी खालसा (कैंप) लगाया जाएगा. रामझरोखा कैलाशधाम के पीठाधीश्वर राष्ट्रीय संत सरजूदासजी महाराज ने बताया कि साल 2025 के महाकुंभ का आरंभ पौष पूर्णिमा से हो रहा है और इसका समापन 12 फरवरी को होगा. महामंडलेश्वर सरजूदासजी महाराज ने बताया कि रामझरोखा कैलाशधाम की ओर से प्रयागराज महाकुंभ में सेक्टर 19, मुक्ति मार्ग, ओल्ड जीटी रोड एवं गंगोली शिवाला के मध्य बीकानेर खालसा लगाया जाएगा.
साढ़े तीन बीघा में शिविर: उन्होंने बताया कि करीब साढ़े तीन बीघा परिसर में शिविर की अनुमति मिली है. जिसमें रोजाना करीब 4000 हजार लोगों के भोजन तथा 900 लोगों के सोने की निशुल्क व्यवस्था रहेगी. शिविर का शुभारम्भ 10 जनवरी को ध्वजारोहण के साथ होगा, जो 13 फरवरी तक चलेगा. शिविर में रामझरोखा कैलाशधाम के करीब 200 से अधिक सदस्य श्रद्धालुओं को सेवाएं देने पहुंचेंगे. महाराज ने बताया कि बीकानेर व आसपास ग्रामीण क्षेत्रों के श्रद्धालुओं को आश्रम में दो फोटो व एक आईडी के साथ रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. तत्काल भी रजिस्ट्रेशन हो सकेगा, लेकिन पहले से ही रजिस्ट्रेशन करवाने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी.
4 जनवरी को निकलेगी शोभायात्रा: प्रयागराज में होने वाले इस महाकुम्भ में बीकानेर से हजारों श्रद्धालु पहुंचेंगे. इस दिव्य आयोजन से पूर्व 4 जनवरी को एक विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी. सरजूदासजी महाराज ने बताया कि यह शोभायात्रा गंगाशहर मुख्य बाजार, गोपेश्वर बस्ती, मोहता सराय, हरोलाई हनुमान मंदिर, नत्थूसर गेट, गोकुल सर्किल, नयाशहर थाना क्षेत्र, जस्सूसर गेट, चौखूंटी पुलिया, मुख्य डाकघर, केईएम रोड, मॉर्डन मार्केट, अम्बेडकर सर्किल होते हुए मेजर पूर्णसिंह सर्किल पर समाप्त होगी.
144 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग: उन्होंने बताया कि यह अद्वितीय मेला चार पवित्र स्थानों पर ही आयोजित किया जाता है. इसमें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक शामिल हैं. यह न केवल एक धार्मिक आयोजन है बल्कि इसमें खगोलीय घटनाओं का भी गहरा प्रभाव माना जाता है. कुंभ मेले के चार प्रकार होते हैं, कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्णकुंभ और महाकुंभ. इसका आयोजन तब होता है जब सूर्य, चंद्रमा और गुरु ग्रह विशिष्ट खगोलीय स्थिति में होते हैं. इस अवधि में गंगा, क्षिप्रा, गोदावरी और संगम का जल विशेष रूप से पवित्र माना जाता है.
उन्होंने बताया कि अर्धकुंभ मेला हर 6 वर्ष के अंतराल पर आयोजित किया जाता है. यह भारत में सिर्फ दो जगहों हरिद्वार और प्रयागराज में लगता है. अर्ध का अर्थ आधा होता है. हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ लगता है, इसलिए इसे कुंभ मेला के मध्य चरण के रूप में देखा जाता है. पूर्णकुंभ 12 साल में एक बार लगता है. पूर्णकुंभ मेला केवल प्रयागराज में आयोजित होता है. हालांकि पूर्णकुंभ को भी महाकुंभ कहते हैं.
उन्होंने बताया कि जब गुरु ग्रह बृहस्पति, वृषभ राशि में और ग्रहों के राजा मकर राशि में होते हैं, तो महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जाता है. इस साल का महाकुंभ इसलिए खास है कि यह महाकुंभ हर 12 साल के बाद आता है और इस साल 12-12 के पूरे बारह चरण पूर्ण हो रहे हैं, जिसकी वजह से 144 साल के बाद ऐसा संयोग बन रहा है. यह महाकुंभ इसलिए भी खास होता है कि इसमें ग्रहों की स्थिति, तिथि और हर एक गतिविधि अनुकूल होती है और एक दुर्लभ संयोग बनता है.