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वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हीरा पंजाबी की ऐतिहासिक तस्वीर ने घना को दिलाई 10 देशों में नई पहचान - WILDLIFE PHOTOGRAPHER HIRA PUNJABI

वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हीरा पंजाबी की दुर्लभ तस्वीर ने दिलाई केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को अंतरराष्ट्रीय पहचान.

Wildlife photographer Hira Punjabi
हीरा पंजाबी की तस्वीर ने घना को दिलाई 10 देशों में नई पहचान (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 3, 2025, 5:15 PM IST

भरतपुर : भारत की जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य ने एक बार फिर विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ी है. मुंबई के वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हीरा पंजाबी की खींची एक दुर्लभ तस्वीर ने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना) को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाते हुए संरक्षण और फोटोग्राफी के क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है. पैराकीट और मॉनिटर लिजार्ड के संघर्षपूर्ण पल को कैमरे में कैद करती ये तस्वीर न केवल प्रकृति की खूबसूरती को उजागर करती है, बल्कि इसके संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित करती है. इस एक तस्वीर ने घना को भारत समेत 11 देशों में नई पहचान दिलाई है.

तीन दिन में क्लिक हुई अद्भुत तस्वीर : हीरा पंजाबी ने बताया कि जनवरी 2024 में उन्होंने घना की इस ऐतिहासिक तस्वीर को क्लिक किया. इसमें एक पैराकीट (तोता) को मॉनिटर लिजार्ड (गोह) पर हमला करते हुए दिखाया गया है. मॉनिटर लिजार्ड जब पैराकीट के घोंसले की तरफ बढ़ता है, तब पैराकीट उसकी पूंछ पर हमला करता है. यह दृश्य करीब 45 मिनट तक चला. तस्वीर का यह पल प्रकृति के संघर्ष और सह अस्तित्व की गहराई को बयान करता है. यह तस्वीर बीबीसी वाइल्डलाइफ व भारत समेत 11 देशों के प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर प्रकाशित हुई है. इस छवि ने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दी है. यह तस्वीर भारत, फ्रांस, इटली, स्पेन, बेल्जियम, रोमानिया, पुर्तगाल, कैलिफोर्निया, रूस, वाशिंगटन और लंदन में ये फोटो पब्लिश हो चुकी है.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान (ETV BHARAT BHARATPUR)

इसे भी पढ़ें - मुंबई के इस वाइल्डलाइफर का घना से है 33 साल पुराना रिश्ता, कैद कर चुके हैं साइबेरियन क्रेन, अब हालात देख हुए मायूस - Wildlife Photographer Hira Punjabi

घना से खास जुड़ाव : हीरा पंजाबी और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का साथ करीब 34-35 साल पुराना है. हर साल इस उद्यान की यात्रा करने वाले पंजाबी का कहना है कि यह जगह वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी का स्वर्ग है. हर बार यहां कुछ नया देखने और अनुभव करने को मिलता है. हीरा पंजाबी ने बताया कि उनको पहला इंटरनेशनल गोल्ड मेडल 1999 में ताइवान में घना के ही फोटो पर मिला. ऐसे में उनको घना से बड़ा ही गहरा लगाव है.

Wildlife photographer Hira Punjabi
फोटोग्राफर हीरा पंजाबी की दुर्लभ तस्वीर (Courtesy wildlife photographer Hira Punjabi)

50 देशों में प्रकाशित फोटो : हीरा पंजाबी के दर्जनों फोटो अब तक 50 देशों की मैगजीन और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रकाशित हो चुके हैं. उनकी फोटोग्राफी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है.

इसे भी पढ़ें - जैव विविधता का अनमोल खजाना है घना, राजस्थान की विविधता का बहुत बड़ा हिस्सा यहां मौजूद

जंगल के प्रति जुनून : हीरा पंजाबी का जंगलों के प्रति गहरा लगाव उनके जीवन का केंद्र है. 60 वर्ष की उम्र में भी वे साल के 200 दिन जंगलों में बिताते हैं. हीरा पंजाबी कहते हैं कि जंगल मेरे लिए जीने की प्रेरणा है. जंगल में बिताया हर क्षण मुझे सजीव बनाता है. उनकी घना की ये तस्वीर उन सभी फोटोग्राफरों के लिए प्रेरणा है, जो प्रकृति के अनछुए पहलुओं को दुनिया के सामने लाना चाहते हैं.

Wildlife photographer Hira Punjabi
वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हीरा पंजाबी (ETV BHARAT)

घना के लिए नई संभावनाएं : इस तस्वीर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित होने के बाद केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को पर्यटन और शोध के नए अवसर मिलने की उम्मीद है. यह भारत की जैव विविधता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक शानदार उदाहरण है. हीरा पंजाबी की इस उपलब्धि ने वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और संरक्षण के प्रति एक नई प्रेरणा दी है. उनका काम आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति से जुड़ने और इसे संरक्षित करने का संदेश देता है.

भरतपुर : भारत की जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य ने एक बार फिर विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ी है. मुंबई के वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हीरा पंजाबी की खींची एक दुर्लभ तस्वीर ने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना) को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाते हुए संरक्षण और फोटोग्राफी के क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है. पैराकीट और मॉनिटर लिजार्ड के संघर्षपूर्ण पल को कैमरे में कैद करती ये तस्वीर न केवल प्रकृति की खूबसूरती को उजागर करती है, बल्कि इसके संरक्षण के महत्व को भी रेखांकित करती है. इस एक तस्वीर ने घना को भारत समेत 11 देशों में नई पहचान दिलाई है.

तीन दिन में क्लिक हुई अद्भुत तस्वीर : हीरा पंजाबी ने बताया कि जनवरी 2024 में उन्होंने घना की इस ऐतिहासिक तस्वीर को क्लिक किया. इसमें एक पैराकीट (तोता) को मॉनिटर लिजार्ड (गोह) पर हमला करते हुए दिखाया गया है. मॉनिटर लिजार्ड जब पैराकीट के घोंसले की तरफ बढ़ता है, तब पैराकीट उसकी पूंछ पर हमला करता है. यह दृश्य करीब 45 मिनट तक चला. तस्वीर का यह पल प्रकृति के संघर्ष और सह अस्तित्व की गहराई को बयान करता है. यह तस्वीर बीबीसी वाइल्डलाइफ व भारत समेत 11 देशों के प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म्स पर प्रकाशित हुई है. इस छवि ने केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दी है. यह तस्वीर भारत, फ्रांस, इटली, स्पेन, बेल्जियम, रोमानिया, पुर्तगाल, कैलिफोर्निया, रूस, वाशिंगटन और लंदन में ये फोटो पब्लिश हो चुकी है.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान (ETV BHARAT BHARATPUR)

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घना से खास जुड़ाव : हीरा पंजाबी और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का साथ करीब 34-35 साल पुराना है. हर साल इस उद्यान की यात्रा करने वाले पंजाबी का कहना है कि यह जगह वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी का स्वर्ग है. हर बार यहां कुछ नया देखने और अनुभव करने को मिलता है. हीरा पंजाबी ने बताया कि उनको पहला इंटरनेशनल गोल्ड मेडल 1999 में ताइवान में घना के ही फोटो पर मिला. ऐसे में उनको घना से बड़ा ही गहरा लगाव है.

Wildlife photographer Hira Punjabi
फोटोग्राफर हीरा पंजाबी की दुर्लभ तस्वीर (Courtesy wildlife photographer Hira Punjabi)

50 देशों में प्रकाशित फोटो : हीरा पंजाबी के दर्जनों फोटो अब तक 50 देशों की मैगजीन और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रकाशित हो चुके हैं. उनकी फोटोग्राफी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है.

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जंगल के प्रति जुनून : हीरा पंजाबी का जंगलों के प्रति गहरा लगाव उनके जीवन का केंद्र है. 60 वर्ष की उम्र में भी वे साल के 200 दिन जंगलों में बिताते हैं. हीरा पंजाबी कहते हैं कि जंगल मेरे लिए जीने की प्रेरणा है. जंगल में बिताया हर क्षण मुझे सजीव बनाता है. उनकी घना की ये तस्वीर उन सभी फोटोग्राफरों के लिए प्रेरणा है, जो प्रकृति के अनछुए पहलुओं को दुनिया के सामने लाना चाहते हैं.

Wildlife photographer Hira Punjabi
वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हीरा पंजाबी (ETV BHARAT)

घना के लिए नई संभावनाएं : इस तस्वीर के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित होने के बाद केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को पर्यटन और शोध के नए अवसर मिलने की उम्मीद है. यह भारत की जैव विविधता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक शानदार उदाहरण है. हीरा पंजाबी की इस उपलब्धि ने वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और संरक्षण के प्रति एक नई प्रेरणा दी है. उनका काम आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति से जुड़ने और इसे संरक्षित करने का संदेश देता है.

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