जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने दौसा के लालसोट में मार्च, 2022 को एक अस्पताल में प्रसूता की मौत के बाद केस दर्ज होने पर डॉ. अर्चना शर्मा के सुसाइड करने के मामले में सवाई माधोपुर के खंडार विधायक जितेंद्र गोठवाल सहित अन्य आरोपियों को राहत दी है. अदालत ने मामले में एडीजे कोर्ट लालसोट के 9 फरवरी 2022 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप तय किए थे. जस्टिस गणेशराम मीणा ने यह आदेश जितेन्द्र गोठवाल, बलराम बैरवा व अन्य की रिवीजन याचिकाओं को मंजूर करते हुए दिया.
अदालत ने एडीजे कोर्ट को निर्देश दिए हैं कि वह मामले में मूल चालान और पूरक आरोप पत्र के आधार पर याचिकाकर्ताओं पर आरोप लगाने या आरोप मुक्त करने के संबंध में आदेश पारित करे. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अग्रिम अनुसंधान में विधायक जितेंद्र गोठवाल पर लगाए गए आरोप आधारहीन पाए गए हैं और मामले में उनकी किसी तरह की संलिप्तता नहीं पाई गई है. अदालत ने आदेश की कॉपी डीजीपी को भेजते हुए कहा कि किसी निर्दोष व्यक्ति को जेल नहीं भेजा जाए और केसों में निष्पक्ष तौर पर अनुसंधान किया जाना सुनिश्चित किया जाए.
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अदालत ने कहा कि यदि मामले की अग्रिम अनुसंधान रिपोर्ट सही है तो स्पष्ट है कि गोठवाल को बिना किसी आधार के गिरफ्तार किया था, जबकि पूरक आरोप पत्र में गोठवाल का नाम ही नहीं था. ऐसे में या तो मूल चालान किसी साक्ष्य के बिना पेश किया था अथवा पूरक चालान बिना किसी साक्ष्य व अनुसंधान के दिया था. ऐसे में अग्रिम अनुसंधान की रिपोर्ट आए बिना आरोप तय नहीं किए जाने चाहिए थे. गोठवाल के अधिवक्ता हेमंत नाहटा ने बताया कि अस्पताल में प्रसूता की मौत को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज हुआ था. वहीं, अगले दिन अर्चना ने आत्महत्या कर ली. इस पर अर्चना के पति ने कुछ लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कराया. इसके बाद पुलिस ने मामले में गोठवाल को भी गिरफ्तार किया था.