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गहने बनवाने पर लगता है एक्सट्रा पैसा! तो जानें कैसे किया जाता है मेकिंग चार्ज कैलकुलेट - GOLD MAKING CHARGES

गोल्ड-मेकिंग चार्ज से मतलब उन रेट से है जो ज्वैलर्स सोने को आभूषण में बदलने के लिए प्रोसेसिंग के लिए लेते हैं.

Gold making charges
प्रतीकात्मक फोटो (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 21, 2025, 5:04 PM IST

नई दिल्ली: भारत में सोने का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व बहुत गहरा है. सोने के आभूषण सिर्फ एक कीमती संपत्ति से कहीं ज्यादा हैं. यह एक निवेश है. यह धन, स्थिति और समृद्धि का प्रतीक भी है और आज भी इसे सबसे पसंदीदा विकल्पों में से एक माना जाता है. कई भारतीय शादियों और त्यौहारों (जैसे दिवाली और अक्षय तृतीया) जैसे पारंपरिक रिचुअल्स के हिस्से के रूप में सोने में निवेश करते हैं. हालांकि खरीदारों को ज्यादातर इस बात की जानकारी नहीं होती कि सोने के आभूषणों पर मेकिंग चार्ज की गणना कैसे की जाती है.

बिहार के रामजी प्रसाद ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड के अभिषेक कुमार सोनी बताते है कि कई खरीदार इस बात से अनजान हैं कि सोने के आभूषणों की अंतिम कीमत की गणना कैसे की जाती है. अभिषेक कुमार सोनी ने मेकिंग चार्ज और सोने के आभूषणों की कीमत को प्रभावित करने वाले अन्य कारणों को भी बताया है.

प्रयागराज के तनिष्क ज्वैलर्स के अजमत बताते है कि आभूषण के डिजाइन, प्रकार, आकार और शिल्प के आधार पर मेकिंग चार्ज लगाया जाता है. तनिष्क में सोने के आभूषणों के मेकिंग चार्ज कुल सोने के मूल्य का 8% से 25% तक है.

सोने के आभूषणों की कीमत की गणना करने का फॉर्मूला

अंतिम कीमत = (सोने की कीमत x वजन) + मेकिंग चार्ज + जीएसटी + हॉलमार्किंग शुल्क

  • बता दें कि सोने की कीमत उसकी शुद्धता (24KT, 22KT, 18KT, 14KT, आदि) पर निर्भर करती है. अधिक शुद्धता का मतलब है अधिक कीमत.
  • ऑथेनसिटी के लिए करने के लिए हॉलमार्किंग शुल्क अनिवार्य है.
  • जीएसटी कुल लागत पर लगाया जाता है, जिसमें मेकिंग चार्ज भी शामिल है.

मेकिंग चार्ज को प्रभावित करने वाले कारण

सोने की गुणवत्ता और शुद्धता-

  • 22KT और 18KT के आभूषणों की लागत अलग-अलग होती है, क्योंकि उनमें सोने की मात्रा अलग-अलग होती है.
  • हाई कैरेट के सोने के लिए अधिक कारीगरी की आवश्यकता होती है, जिससे लागत बढ़ जाती है.

कारीगरी और डिजाइन-

  • हाथ से बने आभूषणों में जटिल विवरण के कारण अधिक निर्माण शुल्क लगता है.
  • मशीन से बने आभूषणों की लागत कम होती है, जो कुल कीमत का 3 फीसदी से 25 फीसदी तक होती है.
  • हीरे या रत्न जड़े आभूषणों में नाजुक कारीगरी के कारण अधिक शुल्क लगता है.

ट्रांसपोर्टेशन और हैंडलिंग लागत-

  • आयातित सोने और डिजाइनर आभूषणों में अतिरिक्त सप्लाई लागत शामिल होती है.
  • कस्टम-मेड आभूषणों को विशेष हैंडलिंग की आवश्यकता होती है, जिससे कुल कीमत बढ़ जाती है.

मेकिंग चार्ज की गणना कैसे की जाती है?

  • फ्लैट रेट मेथड- प्रति ग्राम निश्चित शुल्क (उदाहरण के लिए, 10 ग्राम के लिए 500 रुपये प्रति ग्राम = 5000 रुपये)
  • परसेंटेज मेथड- कुल सोने के मूल्य का प्रतिशत (उदाहरण के लिए, 7,00,000 रुपये पर 10 प्रतिशत = 70,000 रुपये)

रामजी प्रसाद ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड के अभिषेक कुमार सोनी के अनुसार प्रतिशत-आधारित मॉडल के तहत ज्वैलर्स सोने के मूल्य का 8 प्रतिशत से 35 प्रतिशत तक शुल्क लगाते हैं.

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बिहार के रामजी प्रसाद ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड के अभिषेक कुमार सोनी बताते है कि कई खरीदार इस बात से अनजान हैं कि सोने के आभूषणों की अंतिम कीमत की गणना कैसे की जाती है. अभिषेक कुमार सोनी ने मेकिंग चार्ज और सोने के आभूषणों की कीमत को प्रभावित करने वाले अन्य कारणों को भी बताया है.

प्रयागराज के तनिष्क ज्वैलर्स के अजमत बताते है कि आभूषण के डिजाइन, प्रकार, आकार और शिल्प के आधार पर मेकिंग चार्ज लगाया जाता है. तनिष्क में सोने के आभूषणों के मेकिंग चार्ज कुल सोने के मूल्य का 8% से 25% तक है.

सोने के आभूषणों की कीमत की गणना करने का फॉर्मूला

अंतिम कीमत = (सोने की कीमत x वजन) + मेकिंग चार्ज + जीएसटी + हॉलमार्किंग शुल्क

  • बता दें कि सोने की कीमत उसकी शुद्धता (24KT, 22KT, 18KT, 14KT, आदि) पर निर्भर करती है. अधिक शुद्धता का मतलब है अधिक कीमत.
  • ऑथेनसिटी के लिए करने के लिए हॉलमार्किंग शुल्क अनिवार्य है.
  • जीएसटी कुल लागत पर लगाया जाता है, जिसमें मेकिंग चार्ज भी शामिल है.

मेकिंग चार्ज को प्रभावित करने वाले कारण

सोने की गुणवत्ता और शुद्धता-

  • 22KT और 18KT के आभूषणों की लागत अलग-अलग होती है, क्योंकि उनमें सोने की मात्रा अलग-अलग होती है.
  • हाई कैरेट के सोने के लिए अधिक कारीगरी की आवश्यकता होती है, जिससे लागत बढ़ जाती है.

कारीगरी और डिजाइन-

  • हाथ से बने आभूषणों में जटिल विवरण के कारण अधिक निर्माण शुल्क लगता है.
  • मशीन से बने आभूषणों की लागत कम होती है, जो कुल कीमत का 3 फीसदी से 25 फीसदी तक होती है.
  • हीरे या रत्न जड़े आभूषणों में नाजुक कारीगरी के कारण अधिक शुल्क लगता है.

ट्रांसपोर्टेशन और हैंडलिंग लागत-

  • आयातित सोने और डिजाइनर आभूषणों में अतिरिक्त सप्लाई लागत शामिल होती है.
  • कस्टम-मेड आभूषणों को विशेष हैंडलिंग की आवश्यकता होती है, जिससे कुल कीमत बढ़ जाती है.

मेकिंग चार्ज की गणना कैसे की जाती है?

  • फ्लैट रेट मेथड- प्रति ग्राम निश्चित शुल्क (उदाहरण के लिए, 10 ग्राम के लिए 500 रुपये प्रति ग्राम = 5000 रुपये)
  • परसेंटेज मेथड- कुल सोने के मूल्य का प्रतिशत (उदाहरण के लिए, 7,00,000 रुपये पर 10 प्रतिशत = 70,000 रुपये)

रामजी प्रसाद ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड के अभिषेक कुमार सोनी के अनुसार प्रतिशत-आधारित मॉडल के तहत ज्वैलर्स सोने के मूल्य का 8 प्रतिशत से 35 प्रतिशत तक शुल्क लगाते हैं.

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