पटना: प्रदेश के सरकारी विद्यालयों के संचालन के नए समय को लेकर कांग्रेस पार्टी काफी आक्रोश में नजर आ रही है. बिहार कांग्रेस ने सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जवाब मांगा है. इसी बीच पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और विधान पार्षद मदन मोहन झा के आवास पर शिक्षक निर्वाचन के छ: विधान पार्षदों में पांच विधान पार्षद एकजुट हुए और स्कूलों के परिवर्तित समय सारणी पर चर्चा की और पत्र लिखकर सरकार से स्कूलों के समय में बदलाव की मांग की.
स्कूलों के समय में बदलाव की मांग: उन्होंने पत्र में स्कूलों के प्रातः कालीन कक्षा की संचालन अवधि सुबह 6:30 बजे से 11:30 तक निर्धारित करने की मांग की. इस बैठक में सीपीआई के संजय कुमार सिंह, जदयू के वीरेंद्र नारायण यादव, संजीव कुमार सिंह, निर्दलीय आफाक अहमद शामिल हुए और सभी ने पत्र पर मदन मोहन झा के साथ हस्ताक्षर भी किया. शिक्षक निर्वाचन से भाजपा के नवल किशोर यादव बैठक में नहीं रहे, लेकिन नवल किशोर यादव ने भी विधान पार्षदों की मांगों पर सहमति जताते हुए सरकार से जवाब मांगा है और विद्यालय संचालन अवधि में परिवर्तन की मांग की है.
शिक्षकों को समय बदलाव से परेशानी: इस दौरान बताया गया कि तमाम शिक्षक निर्वाचन के विधान पार्षदों ने कहा है कि सुदूर देहाती क्षेत्र में सुबह 6:00 बजे आवागमन की उचित सुविधा उपलब्ध नहीं होती है और इस कारण शिक्षक-शिक्षिकाओं को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. विद्यालयों में आने जाने के क्रम में अल्पाहार तथा खाने-पीने की समस्या भी शिक्षकों को झेलनी पड़ रही है.
"सुबह 6:00 बजे विद्यालय पहुंचने में विद्यार्थियों को भी समस्याएं हो रही हैं. विद्यार्थियों की नींद नहीं खुल रही है और इस कारण कक्षाओं में विद्यार्थियों की संख्या भी कम दर्ज की जा रही है. इसके अलावा 12:00 छुट्टी के बाद दोपहर 1:30 बजे शिक्षकों का छुट्टी होना और व्यावहारिक है और इससे शिक्षकों के स्कूल से लौटते समय बीमार पड़ने की संभावना अधिक है. इस समय लू काफी तेज चल रही होती है."- विधान पार्षद
शिक्षा विभाग पर फूटा विधान पार्षदों का गुस्सा: विधान पार्षदों ने एक सुर में दलगत भावना से ऊपर उठकर एकजुट होकर कहा कि कई महीने से देखा जा रहा है कि शिक्षा विभाग द्वारा ऐसे-ऐसे निर्देश निर्गत किये जा रहे हैं, जिसके कारण विद्यालयों में अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है. अगर समय रहते ऐसे अव्यावहारिक आदेश को संशोधित नहीं किया जाता है, तो विद्यालयों में शैक्षणिक माहौल बिगड़ता चला जाएगा. शिक्षकों के ग्रीष्मावकाश में भी कटौती कर ली गई है. अभी के समय शिक्षकों के पास 25 दिन का अर्जितावकाश हो गया है जबकि यह न्यूनतम 33 होना चाहिए. आस्था से जुड़े महत्वपूर्ण अवकाशों में भी कटौती की गई है और अभी तक विभागीय स्तर पर इसमें संशोधन नहीं किया गया है, यह बहुत ही खेद जनक है.
शिक्षकों ने दी विधान पार्षदों को चेतावनी: इधर प्रदेश के तमाम शिक्षक संगठन शिक्षक निर्वाचन से जुड़े 6 विधान पार्षद और स्नातक निर्वाचन से जुड़े 6 विधान परिषद अर्थात कुल 12 विधान पार्षदों को चेतावनी दे रहे हैं कि शिक्षकों की समस्याओं पर आंदोलन खड़ा करें नहीं तो इसका विरोध उन्हें झेलना होगा. बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ ने शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन के सभी 12 विधान पार्षदों को कहा है कि लेटर बड़ी ही नहीं बल्कि सड़क पर उतरकर आंदोलन करें.
"सोमवार तक ऐसा नहीं होता है तो शिक्षक इन निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ आंदोलन करेंगे और जहां मिलेंगे उनका घेराव होगा. शिक्षक संगठनों का कहना है कि शिक्षकों की मांगों पर विधान पार्षद 24 घंटे के अंदर एसी कमरे से निकलकर धरने पर बैठें. लू को लेकर येलो अलर्ट के बीच 12:00 बजे विद्यालय की छुट्टी होने के बाद दोपहर 1:30 बजे शिक्षकों की छुट्टी होना, शिक्षा विभाग का यह निर्णय शिक्षकों के जान के साथ खिलवाड़ करने वाला है."- शिक्षक
स्कूलों के समय में बदलाव: बता दें कि नए परिवर्तित समय के मुताबिक गुरुवार से सुबह 6:00 बजे से दिन के 12:00 तक विद्यालयों में पठन-पाठन शुरू हुआ है और शिक्षकों के लिए सुबह 6:00 से 1:30 तक विद्यालयों में रहना अनिवार्य है. कांग्रेस इसे अव्यावहारिक बताते हुए कह रही है कि शिक्षक और शिक्षिकाओं की अपनी निजी जिम्मेदारियां होती हैं, उनके भी बच्चे हैं. ऐसे में शिक्षकों के साथ-साथ कांग्रेस और विधान पार्षदों में भी आक्रोश देखा जा रहा है.
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