भोपाल। चार जून को आने वाले लोकसभा चुनाव के नतीजे एमपी में केवल उम्मीदवारों की किस्मत तय नहीं करेंगे. संगठन से लेकर सरकार तक ये नतीजे सीएम डॉ मोहन यादव से लेकर वीडी शर्मा और कई कैबिनेट मंत्रियों की परफार्मेंस रिपोर्ट भी देंगे. डॉ मोहन यादव की लीडरशिप में हुआ ये पहला ही चुनाव है. वीडी शर्मा हालांकि अपनी परफार्मेंस पहले भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दिखा चुके हैं, लेकिन उनके आगे की पारी के लिए ये नतीजे बहुत मायने रखेंगे. सबसे बड़ा इम्तेहान है, उन मंत्रियों का जिन्हें अघोषित तौर पर ये कहा जा चुका था कि उनकी जिम्मेदारी वाले इलाकों में मतदान प्रतिशत नहीं गिरना चाहिए. लोकसभा चुनाव के पहले जिस तरह से एमपी की सत्ता में हाईकमान ने प्रयोग किए क्या नतीजे आने के बाद भी हाईकमान बड़े फेरबदल के साथ चौंकाएगा. कौन से मंत्री हैं, जिन पर तलवार लटक रही है.
चार जून इन मंत्रियों के लिए भी नतीजे का दिन
तो चार जून के नतीजे सिर्फ एमपी की 29 सीटों पर चुनाव लड़ रहे बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला नहीं करेंगे. चार जून के नतीजे सीएम डॉ मोहन यादव समेत मोहन कैबिनेट के कई मंत्रियों की परफार्मेंस रिपोर्ट देते हुए ये बता देंगे कि उनकी और कितनी लंबी पारी है. जिन मंत्रियों को अलग-अलग लोकसभा सीटों की जवाबदारी दी गई है. उस सीट पर वोटिंग परसेंट तो क्राइटेरिया होगा ही. वहां से उम्मीदवार की जीत और लीड का अंतर भी मायने रखेगा.
इनमें खास तौर पर झाबुआ-रतलाम लोकसभा सीट के अलावा छिंदवाड़ा लोकसभा सीट है. जहां की कमान पूरी तरह से कैलाश विजयवर्गीय ने संभाली. अघोषित रुप से इंदौर के नतीजे भी विजयवर्गीय के खाते में जाएंगे. रीवा सीट पर राजेन्द्र शुक्ल, जबलपुर लोकसभा सीट पर राकेश सिंह इनके अलावा कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट, निर्मला भूरिया, विजय शाह से लेकर भोपाल के दो मंत्री कृष्णा गौर और विश्वास सांरग की परफार्मेंस भी भोपाल लोकसभा सीट पर आंकी जाएगी. हालांकि बीजेपी प्रवक्ता डॉ हितेष वाजपेयी कहते हैं कि 'हम परिणाम का आंकलन जरुर करेंगे, लेकिन प्रभार पर गए मंत्रियों के संदर्भ में की जा रही बातों का कोई ठोस आधार नहीं है.'
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दूसरे चरण के बाद दे दी थी शाह ने चेतावनी
असल में एमपी में जिस तरह से वोटिंग प्रतिशत गिरा, उसके ठीक बाद ही केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया जाता है कि विधायकों और मंत्रियों को ये चेतावनी दे दी थी कि अगर मंत्रियों के प्रभार के इलाके में वोटिंग प्रतिशत गिरा, तो उनकी छुट्टी करने में देर नहीं लगेगी. फिर बदलाव कर उन विधायकों को मौका दिया जाएगा. जिनके इलाके में मतदान का प्रतिशत बढ़ा है. शाह के क्राइटेरिया के बाद से एमपी में मोहन कैबिनेट के मंत्रियों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं.