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दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करने के लिए बचे 35 दिन, एमपी हाईकोर्ट ने 120 दिन की दी थी समय सीमा - Daily Wage Worker Regular in MP

एमपी सरकार के विभागों में काम कर रहे दैनिक वेतनभोगी और स्थाईकर्मियों को नियमित करने का रास्ता तो पहले ही साफ हो चुका है लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार के पास अब 35 दिन ही बचे हैं. इस दौरान सरकार को 10 साल की सेवा देने वालों को हर हाल में नियमित करना है.

DAILY WAGE WORKER REGULAR IN MP
दैनिक वेतन भोगियों को नियमित करने के लिए बचे 35 दिन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 23, 2024, 9:09 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के विभागों में लंबे समय से काम कर रहे दैनिक वेतनभोगियों और स्थाईकर्मियों को सरकार को नियमित करना होगा. इसके लिए हाईकोर्ट ने 120 दिन की समय सीमा दी थी, जो कि 27 जून 2024 को पूरी होने वाली है. यानि कि सरकार के पास अब 35 दिन शेष हैं. बता दें कि एमपी हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि जो कर्मचारी 10 वर्ष या उससे अधिक समय तक सरकारी विभागों में सेवाएं दे चुके हैं, उनको हर हाल में नियमित करना होगा.

10 वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वालों को लाभ

हाईकोर्ट के आदेश के तहत जो कर्मचारी 10 वर्ष या उससे अधिक समय तक सरकारी विभागों में सेवाएं दे चुके हैं. उनको नियमित करना होगा. इसके लिए हाईकोर्ट ने 120 दिन की समयसीमा दी थ. यह समय सीमा 27 जून 2024 को पूरी होने वाली है, यानि कि सरकार के पास अब 35 दिन ही बचे हैं.

नियमित करने के लिए 2004 में हुआ था समझौता

दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष गोकुल चंद राय ने बताया कि "31 जनवरी 2004 को लोक अदालत के दौरान दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों और स्थाईकर्मियों को नियमित करने के लिए सरकार ने सहमति दी थी, लेकिन अब तक कर्मचारियों को नियमितीकरण का लाभ नहीं मिला."

20 साल बाद भी कर्मचारियों को नहीं मिला लाभ

दरअसल लोक अदालत के दौरान सरकार ने नियमितीकरण की सहमति तो दे दी लेकिन बाद में एक आदेश जारी किया. जिसमें लिखा गया कि पद रिक्त होने पर उक्त कर्मचारियों को नियमित किया जाए. इस कारण अब तक कर्मचारी नियमितीकरण के लिए कोर्ट और सरकार के चक्कर लगा रहे है.

लाड़ली बहनों को पैसा दे रहे, भाइयों को क्यों नहीं

इस मामले की सुनवाई बीते 18 अक्टूबर 2023 को जस्टिस गुणपाल सिंह कर रहे थे, तब उन्होंने सरकार के वकील से कहा था कि मिस्टर गांगुली आप इससे बच नहीं सकते. कर्मचारियों को नियमित करना पड़ेगा. भले ही चार-चार बैंकों से कर्ज लेकर पैसा देना पड़े. जब लाड़ली बहनों को पैसा दे रहे हो, तो भाईयों को क्यों नहीं.

ये भी पढ़ें:

नियुक्ति देने का पैमाना योग्यता होनी चाहिए बहुमत नहीं, एमपी हाईकोर्ट का अहम आदेश

एमपी हाईकोर्ट के नए कार्यकारी जज होंगे जस्टिस शील नागू, जस्टिस रवि मलिमठ रिटायर हो रहे हैं

कोरोना के कारण फैसले में हुई देरी

इस मामले में फैसला 2020 में आना था, कोर्ट ने तब सरकार से जवाब-तलब करते हुए 10 हजार रुपये की पेनाल्टी लगाई थी. साथ ही फरवरी 2020 में आखिरी सुनवाई करने का कहा था लेकिन इसके बाद कोरोना आ गया, जिससे सुनवाई टलती रही.

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के विभागों में लंबे समय से काम कर रहे दैनिक वेतनभोगियों और स्थाईकर्मियों को सरकार को नियमित करना होगा. इसके लिए हाईकोर्ट ने 120 दिन की समय सीमा दी थी, जो कि 27 जून 2024 को पूरी होने वाली है. यानि कि सरकार के पास अब 35 दिन शेष हैं. बता दें कि एमपी हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि जो कर्मचारी 10 वर्ष या उससे अधिक समय तक सरकारी विभागों में सेवाएं दे चुके हैं, उनको हर हाल में नियमित करना होगा.

10 वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वालों को लाभ

हाईकोर्ट के आदेश के तहत जो कर्मचारी 10 वर्ष या उससे अधिक समय तक सरकारी विभागों में सेवाएं दे चुके हैं. उनको नियमित करना होगा. इसके लिए हाईकोर्ट ने 120 दिन की समयसीमा दी थ. यह समय सीमा 27 जून 2024 को पूरी होने वाली है, यानि कि सरकार के पास अब 35 दिन ही बचे हैं.

नियमित करने के लिए 2004 में हुआ था समझौता

दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष गोकुल चंद राय ने बताया कि "31 जनवरी 2004 को लोक अदालत के दौरान दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों और स्थाईकर्मियों को नियमित करने के लिए सरकार ने सहमति दी थी, लेकिन अब तक कर्मचारियों को नियमितीकरण का लाभ नहीं मिला."

20 साल बाद भी कर्मचारियों को नहीं मिला लाभ

दरअसल लोक अदालत के दौरान सरकार ने नियमितीकरण की सहमति तो दे दी लेकिन बाद में एक आदेश जारी किया. जिसमें लिखा गया कि पद रिक्त होने पर उक्त कर्मचारियों को नियमित किया जाए. इस कारण अब तक कर्मचारी नियमितीकरण के लिए कोर्ट और सरकार के चक्कर लगा रहे है.

लाड़ली बहनों को पैसा दे रहे, भाइयों को क्यों नहीं

इस मामले की सुनवाई बीते 18 अक्टूबर 2023 को जस्टिस गुणपाल सिंह कर रहे थे, तब उन्होंने सरकार के वकील से कहा था कि मिस्टर गांगुली आप इससे बच नहीं सकते. कर्मचारियों को नियमित करना पड़ेगा. भले ही चार-चार बैंकों से कर्ज लेकर पैसा देना पड़े. जब लाड़ली बहनों को पैसा दे रहे हो, तो भाईयों को क्यों नहीं.

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कोरोना के कारण फैसले में हुई देरी

इस मामले में फैसला 2020 में आना था, कोर्ट ने तब सरकार से जवाब-तलब करते हुए 10 हजार रुपये की पेनाल्टी लगाई थी. साथ ही फरवरी 2020 में आखिरी सुनवाई करने का कहा था लेकिन इसके बाद कोरोना आ गया, जिससे सुनवाई टलती रही.

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