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किसके सिर सजेगा तरारी का ताज, जानें सीट का समीकरण और इतिहास

तरारी विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव है. बीजेपी और जन सुराज की वाम दल के किले को ध्वस्त करने की योजना तैयार है.

bhojpur tarari assembly by election
तरारी सीट का समीकरण (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 17, 2024, 7:08 PM IST

पटना: बिहार में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं. उपचुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल जोर आजमाइश के लिए तैयार हैं. प्रत्याशियों का चयन भी कर लिया गया है. वाम दल के मजबूत किले के रूप में स्थापित तरारी विधानसभा सीट को साधना भाजपा और प्रशांत किशोर दोनों के लिए चुनौती है. बाहुबली नेता सुनील पांडे तरारी विधानसभा सीट पर तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं.

तरारी सेट को साधना भाजपा के लिए चुनौती: भोजपुर जिले का तरारी विधानसभा सीट बिहार में होने वाले उपचुनाव में हॉट केक है. तरारी विधानसभा क्षेत्र में मजबूत दखल रखने वाले बाहुबली नेता सुनील पांडे फिर से मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं. सुनील पांडे पर भाजपा ने दांव लगाया है. भारतीय जनता पार्टी की ओर से सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत को मैदान में उतरने की तैयारी है. सुनील पांडे तरारी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार एसके सिंह (ETV Bharat)

तरारी सीट पर वाम दल का कब्जा: आपको बता दें कि तरारी विधानसभा सीट आरा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. पहले इस विधानसभा सीट को पीरो विधानसभा सीट के नाम से जाना जाता था, लेकिन परिसीमन के बाद तरारी विधानसभा सीट के रूप में जाना जाने लगा.

वोटरों की संख्या: तरारी विधानसभा सीट पर 2 लाख 60000 वोटर हैं. जिसमें 1 लाख 40000 पुरुष और 1 लाख 20000 महिला वोटर हैं. फिलहाल तरारी विधानसभा सीट पर भाकपा माले का कब्जा है.

bhojpur tarari assembly by election
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

भाजपा उम्मीदवार नहीं बचा पाए थे जमानत: 2020 विधानसभा चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से कौशल विद्यार्थी चुनाव लड़े थे. इसके अलावा रालोसपा से संतोष सिंह और एनसीपी से सूर्यजीत सिंह उम्मीदवार थे. सीपीआईएमएलके सुदामा प्रसाद चुनाव जीते थे. 2015 में सुदामा प्रसाद भाकपा (माले) के टिकट पर यहां से जीते थे. उनके और LJP उम्मीदवार गीता पांडे की बीच सिर्फ 272 वोटों का अंतर था. 2010 में यहां हुए पहले चुनाव में JDU के नरेंद्र कुमार पांडे उर्फ सुनील पांडे ने जीत हासिल की थी.

bhojpur tarari assembly by election
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

कांटे की लड़ाई के आसार: अगर जातिगत समीकरण की बात करें तो तरारी विधानसभा सीट पर भूमिहार जाति की सबसे अधिक आबादी है. तकरीबन 65000 भूमिहार वोटर हैं. दूसरे स्थान पर ब्राह्मण वोटर हैं जिनकी संख्या 30000 के आसपास है. राजपूत वोटरों की संख्या 20000 के करीब है. पिछड़ी और अति पिछड़े जाति की आबादी 45 से 50000 के बीच है. इसके अलावा यादव वोटर 30000, बनिया 25000, कुशवाहा 15000 और मुस्लिम वोटर 20000 के आसपास हैं . वोट बैंक के लिहाज से अगर बात करें तो एनडीए और महागठबंधन के बीच लड़ाई बहुत कांटे की होने वाली है.

2020 में सुदामा प्रसाद की जीत: 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने तरारी विधानसभा सीट पर उम्मीदवार खड़ा किया था. जबकि सुनील पांडेय ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था. हालांकि वहां से सीपीआई माले के सुदामा प्रसाद को जीत मिली थी.

क्या था जीत का मार्जिन: आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद चुनाव जीते थे. इस चुनाव में सुदामा प्रसाद को 75945 वोट मिले, जबकि सुनील पांडे को 62930 वोट मिले. सुनील पांडे ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 37% मत हासिल किया था, जबकि सुदामा प्रसाद को 43% से अधिक मत हासिल हुआ.

"मैं तरारी क्षेत्र का रहने वाला हूं और क्षेत्र से जुड़ा हुआ रहा हूं. प्रशांत किशोर के तरीकों ने मुझे प्रभावित किया है. मुझे उम्मीद है कि तरारी की जनता का समर्थन मुझे मिलेगा. मैंने क्षेत्र में काम किया है और मेरा लगाव भी रहा है."- एसके सिंह, प्रत्याशी, जन सुराज

सुनील पांडे के बेटे हो सकते हैं बीजेपी उम्मीदवार: अब जबकि सुनील पांडे भाजपा में शामिल हो चुके हैं, वैसी स्थिति में सुनील पांडे खुद तरारी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. लेकिन भाजपा के लिए मुश्किल यह है कि बाहुबली छवि के नेता को कैसे मैदान में उतारे. वैसे में भाजपा सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत को मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. सुनील पांडे के नेतृत्व में तरारी विधानसभा क्षेत्र में सम्मेलन भी आयोजित किया गया, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल शामिल हुए.

राजू यादव हो सकते हैं महागठबंधन के उम्मीदवार: सीपीआईएमएल के तत्कालीन विधायक सुदामा प्रसाद सांसद चुने जा चुके हैं और इस वजह से तरारी विधानसभा सीट खाली हुई है. सीपीआई एमएल की ओर से राजू यादव को मैदान में उतरने की तैयारी है. राजू यादव एमपी का चुनाव लड़ चुके हैं. जन सुराज की ओर से एसके सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है.

राजेंद्र पाठक निर्दलीय ठोकेंगे ताल: बहुजन समाजवादी पार्टी की ओर से कुशवाहा जाति के नेता को मैदान में उतारने की तैयारी है तो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राजेंद्र पाठक भी नामांकन की तैयारी कर रहे हैं. राजेंद्र पाठक जन सुराज से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं. राजेंद्र पाठक ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि प्रशांत किशोर जी ने तीन आधार पर टिकट देने की बात कही थी.

"टिकट देने का आधार सर्वे या फिर आम जनता द्वारा चुनाव या फिर कार्यकर्ताओं द्वारा चयन की बात कही गई थी. तीनों में कोई तरीका नहीं अपनाया गया और एक सेलिब्रिटी को उम्मीदवार बना दिया गया. इसी वजह से मैं निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने जा रहा हूं."- राजेंद्र पाठक, निर्दलीय उम्मीदवार, तरारी

"तरारी की लड़ाई दिलचस्प होने वाली है और दोनों ही गठबंधन का पलड़ा बराबर दिखाई दे रहा है. एसके सिंह कितना प्रभावी होंगे और प्रशांत किशोर का जादू चलेगा या नहीं यह तो देखने वाली बात होगी. तरारी में त्रिकोणात्मक लड़ाई के आसार दिखाई दे रहे हैं. अगर लड़ाई त्रिकोणात्मक हुई तो बाजी कोई भी मार सकता है."-डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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पटना: बिहार में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं. उपचुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल जोर आजमाइश के लिए तैयार हैं. प्रत्याशियों का चयन भी कर लिया गया है. वाम दल के मजबूत किले के रूप में स्थापित तरारी विधानसभा सीट को साधना भाजपा और प्रशांत किशोर दोनों के लिए चुनौती है. बाहुबली नेता सुनील पांडे तरारी विधानसभा सीट पर तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं.

तरारी सेट को साधना भाजपा के लिए चुनौती: भोजपुर जिले का तरारी विधानसभा सीट बिहार में होने वाले उपचुनाव में हॉट केक है. तरारी विधानसभा क्षेत्र में मजबूत दखल रखने वाले बाहुबली नेता सुनील पांडे फिर से मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं. सुनील पांडे पर भाजपा ने दांव लगाया है. भारतीय जनता पार्टी की ओर से सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत को मैदान में उतरने की तैयारी है. सुनील पांडे तरारी विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार एसके सिंह (ETV Bharat)

तरारी सीट पर वाम दल का कब्जा: आपको बता दें कि तरारी विधानसभा सीट आरा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. पहले इस विधानसभा सीट को पीरो विधानसभा सीट के नाम से जाना जाता था, लेकिन परिसीमन के बाद तरारी विधानसभा सीट के रूप में जाना जाने लगा.

वोटरों की संख्या: तरारी विधानसभा सीट पर 2 लाख 60000 वोटर हैं. जिसमें 1 लाख 40000 पुरुष और 1 लाख 20000 महिला वोटर हैं. फिलहाल तरारी विधानसभा सीट पर भाकपा माले का कब्जा है.

bhojpur tarari assembly by election
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

भाजपा उम्मीदवार नहीं बचा पाए थे जमानत: 2020 विधानसभा चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी की ओर से कौशल विद्यार्थी चुनाव लड़े थे. इसके अलावा रालोसपा से संतोष सिंह और एनसीपी से सूर्यजीत सिंह उम्मीदवार थे. सीपीआईएमएलके सुदामा प्रसाद चुनाव जीते थे. 2015 में सुदामा प्रसाद भाकपा (माले) के टिकट पर यहां से जीते थे. उनके और LJP उम्मीदवार गीता पांडे की बीच सिर्फ 272 वोटों का अंतर था. 2010 में यहां हुए पहले चुनाव में JDU के नरेंद्र कुमार पांडे उर्फ सुनील पांडे ने जीत हासिल की थी.

bhojpur tarari assembly by election
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

कांटे की लड़ाई के आसार: अगर जातिगत समीकरण की बात करें तो तरारी विधानसभा सीट पर भूमिहार जाति की सबसे अधिक आबादी है. तकरीबन 65000 भूमिहार वोटर हैं. दूसरे स्थान पर ब्राह्मण वोटर हैं जिनकी संख्या 30000 के आसपास है. राजपूत वोटरों की संख्या 20000 के करीब है. पिछड़ी और अति पिछड़े जाति की आबादी 45 से 50000 के बीच है. इसके अलावा यादव वोटर 30000, बनिया 25000, कुशवाहा 15000 और मुस्लिम वोटर 20000 के आसपास हैं . वोट बैंक के लिहाज से अगर बात करें तो एनडीए और महागठबंधन के बीच लड़ाई बहुत कांटे की होने वाली है.

2020 में सुदामा प्रसाद की जीत: 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने तरारी विधानसभा सीट पर उम्मीदवार खड़ा किया था. जबकि सुनील पांडेय ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था. हालांकि वहां से सीपीआई माले के सुदामा प्रसाद को जीत मिली थी.

क्या था जीत का मार्जिन: आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद चुनाव जीते थे. इस चुनाव में सुदामा प्रसाद को 75945 वोट मिले, जबकि सुनील पांडे को 62930 वोट मिले. सुनील पांडे ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 37% मत हासिल किया था, जबकि सुदामा प्रसाद को 43% से अधिक मत हासिल हुआ.

"मैं तरारी क्षेत्र का रहने वाला हूं और क्षेत्र से जुड़ा हुआ रहा हूं. प्रशांत किशोर के तरीकों ने मुझे प्रभावित किया है. मुझे उम्मीद है कि तरारी की जनता का समर्थन मुझे मिलेगा. मैंने क्षेत्र में काम किया है और मेरा लगाव भी रहा है."- एसके सिंह, प्रत्याशी, जन सुराज

सुनील पांडे के बेटे हो सकते हैं बीजेपी उम्मीदवार: अब जबकि सुनील पांडे भाजपा में शामिल हो चुके हैं, वैसी स्थिति में सुनील पांडे खुद तरारी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. लेकिन भाजपा के लिए मुश्किल यह है कि बाहुबली छवि के नेता को कैसे मैदान में उतारे. वैसे में भाजपा सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत को मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. सुनील पांडे के नेतृत्व में तरारी विधानसभा क्षेत्र में सम्मेलन भी आयोजित किया गया, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल शामिल हुए.

राजू यादव हो सकते हैं महागठबंधन के उम्मीदवार: सीपीआईएमएल के तत्कालीन विधायक सुदामा प्रसाद सांसद चुने जा चुके हैं और इस वजह से तरारी विधानसभा सीट खाली हुई है. सीपीआई एमएल की ओर से राजू यादव को मैदान में उतरने की तैयारी है. राजू यादव एमपी का चुनाव लड़ चुके हैं. जन सुराज की ओर से एसके सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है.

राजेंद्र पाठक निर्दलीय ठोकेंगे ताल: बहुजन समाजवादी पार्टी की ओर से कुशवाहा जाति के नेता को मैदान में उतारने की तैयारी है तो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राजेंद्र पाठक भी नामांकन की तैयारी कर रहे हैं. राजेंद्र पाठक जन सुराज से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं. राजेंद्र पाठक ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि प्रशांत किशोर जी ने तीन आधार पर टिकट देने की बात कही थी.

"टिकट देने का आधार सर्वे या फिर आम जनता द्वारा चुनाव या फिर कार्यकर्ताओं द्वारा चयन की बात कही गई थी. तीनों में कोई तरीका नहीं अपनाया गया और एक सेलिब्रिटी को उम्मीदवार बना दिया गया. इसी वजह से मैं निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने जा रहा हूं."- राजेंद्र पाठक, निर्दलीय उम्मीदवार, तरारी

"तरारी की लड़ाई दिलचस्प होने वाली है और दोनों ही गठबंधन का पलड़ा बराबर दिखाई दे रहा है. एसके सिंह कितना प्रभावी होंगे और प्रशांत किशोर का जादू चलेगा या नहीं यह तो देखने वाली बात होगी. तरारी में त्रिकोणात्मक लड़ाई के आसार दिखाई दे रहे हैं. अगर लड़ाई त्रिकोणात्मक हुई तो बाजी कोई भी मार सकता है."-डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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