भरतपुर : सामान्य तौर पर हम खाली प्लास्टिक की बोतल, पॉलीथिन, जले हुए दीपक और पुराने कपड़े कचरा समझकर फेंक देते हैं, लेकिन भरतपुर की कुछ महिलाओं और बालिकाओं ने इस वेस्ट यानी कचरे से कमाल के प्रोडक्ट तैयार कर दिए हैं. जिस कचरे को हम गंदा समझकर डस्टबिन में डाल देते हैं, ऐसे ही कचरे से घर को सुंदर बनाने वाले सजावटी सामान तैयार किए गए हैं. कई प्रोडक्ट घर को संक्रमणमुक्त बनाने में भी मददगार साबित हो सकते हैं. इन प्रोडक्ट के निर्माण से जहां वेस्ट का सही इस्तेमाल हो रहा है, वहीं दर्जनों महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है.
गाय के गोबर व टूटे हुए दीपक का इस्तेमाल : सोशल वेलफेयर एंड रिसर्च ग्रुप स्वर्ग संस्था के प्रबंधक बलवीर सिंह ने बताया कि संस्था से जिले की करीब 600 महिलाएं जुड़ी हैं, जो गाय के गोबर और मूत्र से अलग-अलग करीब 150 प्रकार के प्रोडक्ट तैयार करती हैं. इनमें मंदिरों में जले हुए दीपक के टुकड़ों और गाय के गोबर से गमले, घड़ी, गणेश जी की प्रतिमा जैसे तमाम प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं.
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गौमूत्र से फिनायल : बलवीर सिंह ने बताया कि गौमूत्र से फिनायल की तरह गौनायल तैयार किया है. इसमें गौमूत्र के साथ खुशबू वाले चीज और डिस्टिल मिलाकर तैयार किया गया है. इसका इस्तेमाल घर की साफ-सफाई में कर सकते हैं. इसके इस्तेमाल से घर को संक्रमण मुक्त रख सकते हैं. साथ ही शादी समारोह में कई बार पेपर नैपकिन को बिना यूज किए फेंक देते हैं. हमने ऐसे पेपर नैपकिन को इकट्ठा करके सुंदर गुलदस्ते तैयार करवाए हैं, जिनको हम घरों में सजा सकते हैं.
पुरानी साड़ियों से थैले : बलवीर सिंह ने बताया कि घरों में पुराने कपड़े और पुरानी साड़ियों को लोग फेंक देते हैं, लेकिन महिलाओं ने इनसे कपड़े के थैले तैयार किए हैं. ये 90 रुपए में 100 थैले देते हैं. इससे पॉलीथिन के इस्तेमाल पर भी रोक लगेगी. बलवीर ने बताया कि कपड़े के बैग और गौमूत्र की फिनाइल को नगर निगम का सहयोग मिले तो इनका काफी उपयोग बढ़ सकता है.
चाय के कप, पॉलीथिन का कमाल : नंदिनी ने बताया कि लोग चाय के कप को यूज करके फेंक देते हैं, लेकिन हमने ऐसे कपों को साफ करके पुरानी ऊनी कपड़ों के ऊन की मदद से सजावटी झालर बनाई है. साथ ही प्लास्टिक की पॉलिथिन के इस्तेमाल से भी झालर तैयार की है. इसके अलावा प्लास्टिक की खाली बोतल और अलग-अलग रंग की पॉलीथिन से सजावटी गमला तैयार किया है.
शादी के कार्ड से सजावटी सामान : नंदिनी ने बताया कि घर पर शादी के निमंत्रण पत्र खूब आते हैं, लेकिन शादी समारोह के बाद उन्हें हम लोग कचरा समझकर फेंक देते हैं. हमने ऐसे कार्ड को इकट्ठा करके अलग-अलग प्रकार के गुलदस्ते, झालर आदि तैयार किए हैं, जिनके माध्यम से हम अपने घर को सजाकर सुंदर बना सकते हैं. बलवीर सिंह ने बताया कि महिलाओं द्वारा निर्मित इन प्रोडक्ट को ऑनलाइन डिमांड पर उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से आयोजित होने वाले ग्रामीण हाट, मेलों में स्टॉल लगाकर बिक्री की जाती है. इससे महिलाओं को आय होती है और महिलाएं आत्मनिर्भर बनती हैं.