बैतूल: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में पहली बार आयोजित तितलियों का समर सर्वेक्षण एक बड़ी उपलब्धि के रूप में सामने आया है. दक्षिण वन मंडल क्षेत्र में सर्वेक्षण के दौरान 43 प्रकार की तितलियों की पहचान की गई है, जिसमें कई प्रजातियां ऐसी हैं जो प्रदेश में बहुत कम देखी जाती हैं. डीएफओ (Divisional Forest Officer) विजयानन्तम टीआर की पहल पर यह सर्वेक्षण किया गया. जिसका उद्देश्य तितलियों की विविधता को समझना और उसे दस्तावेजीकृत करना था, ताकि बैतूल की प्राकृतिक धरोहर को संजोया जा सके.
प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं बैतूल के जंगल
तितलियों के 4 चरणों में विभाजित जीवन चक्र (अंडा, कैटरपिलर, प्यूपा, वयस्क) को देखकर सभी का मन आकर्षित होता है. वास्तव में ये पर्यावरण के स्वास्थ्य के अत्यधिक संवेदनशील संकेतक मानी जाती हैं. ये न केवल पौधों के परागण में अहम भूमिका निभाती हैं, बल्कि इनके जरिए पर्यावरणीय कारकों जैसे आर्द्रता, तापमान और लार्वा होस्ट पौधों की उपलब्धता का आंकलन भी किया जा सकता है. बैतूल के जंगल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं.
तितलियों को आकर्षित करते हैं यहां के पौधे
डीएफओ विजयानन्तम टीआर ने बताया कि ''यह सर्वेक्षण इस बात का प्रमाण है कि यहां के पेड़-पौधे कई दुर्लभ और असामान्य तितलियों को आकर्षित करते हैं. सर्वेक्षण के दौरान हेस्पेरिडे परिवार की स्पॉटेड स्मॉल फ्लैट तितली भी देखी गई, जो इससे पहले केवल पचमढ़ी में रिकॉर्ड की गई थी. इसका बैतूल में मिलना संकेत देता है कि इस क्षेत्र में तितलियों की और भी कई असामान्य प्रजातियां पाई जा सकती हैं. इसके अलावा स्लेट फ्लैश, कॉमन ट्रीब्राउन, कॉमन शॉट सिल्वरलाइन, कॉमन पॉमफ्लॉय, डबल बैंडेड जुडी, कॉमन थी-रिंग, कॉमन हेज ब्लू और कॉमन माइम स्वैलोटेल जैसी प्रजातियों का भी दस्तावेजीकरण किया गया है.''
दुनिया में है 17,000 तितलियों की प्रजातियां
भारत अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है और यहां तितलियों की लगभग 1,500 प्रजातियां पाई जाती हैं, जो कि दुनिया भर में पाई जाने वाली 17,000 तितली प्रजातियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इनमें से कई प्रजातियां स्थानी हैं यानी वह केवल भारत में ही पाई जाती हैं, जिससे भारत तितली विविधता का एक हॉटस्पॉट बनता है. मध्यप्रदेश में भी 150 से अधिक प्रजातियों की तितलियों को रिकॉर्ड किया गया है, जो कि इस राज्य की जैव विविधता का एक अनमोल हिस्सा है.
तितलियां देती हैं इस बात का खास संदेश
डीएफओ ने बताया कि ''इस सर्वेक्षण का एक प्रमुख उद्देश्य तितलियों की प्रजातियों का दस्तावेजीकरण के साथ लोगों में तितलियों और उनके पारिस्थितिक महत्व के बारे में जागरूक करना भी था. तितलियों की उपस्थिति पर्यावरण के स्वास्थ्य का संकेत देती है और इनका संरक्षण हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हमारे आसपास के क्षेत्रों में भी कई प्रकार की तितलियां देखी जा सकती हैं, चाहे वो चट्टानों पर धूप सेंकती हों या फूलों का रस पीती हों या फिर मिट्टी के गीले हिस्से पर बैठे हुए खनिज और लवण चूसती हों. तितलियों की इस विविधता और उनके संरक्षण के प्रयासों के माध्यम से हम अपनी प्राकृतिक धरोहर को संजो सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे सुरक्षित रख सकते हैं.''
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इन दुर्लभ तितलियों की हुई खोज
मोटल्ड इमिग्रेंट, पायनियर, लाइम स्वालोटेल, प्लेन टाइगर, पेंटेड लेडी, कॉमन ग्रास येलो, लेमन पंसी, पेल ग्रास ब्लू, स्पॉटलेस ग्रास येलो, कॉमन हेज ब्लू, कॉमन सार्जेंट, जेब्रा ब्लू, स्पॉट स्वॉर्डटेल, स्पॉटेड स्माल फ्लैट, कॉमन शॉट सिल्वरलाइन, ग्रेट एगफ्लाई, डिंगी बुशब्राउन, बैरोनेट, कॉमन थ्री-रिंग, कॉमन माइम स्वालोटेल, चॉकलेट पंसी, कॉमन ट्रीब्राउन, कॉमन पामफ्लाई, स्लेट फ्लैश, स्माल ग्रास येलो, चेस्टनट-स्ट्रिक्ड सैलर, कॉमन लेपर्ड, डार्क ग्रास ब्लू, लेमन इमिग्रेंट, डेनाइड एगफ्लाई, कॉमन कास्टर, इंडियन जेज़ेबेल, ब्लू पंसी, ग्रेट एगफ्लाई, कॉमन क्रो, कॉमन रोज स्वालोटेल, इंडियन जेज़ेबेल, स्ट्रिप्ड टाइगर, कॉमन मोरमॉन स्वालोटेल, ग्राम ब्लू, प्लम जूडी/डबल-बैंडेड जूडी, कॉमन सैलर, ब्लू पियरोट्स/स्पॉटेड पियरोट.