अशोकनगर: वैसे तो अक्सर ज्योतिरादित्य सिंधिया बैट-बॉल थामे नजर आते हैं लेकिन अशोकनगर में उन्होंने गिल्ली-डंडा में हाथ अजमाए और खिलाड़ियों के छक्के छुड़ा दिए. उन्होंने जब गिल्ली उचकाई और जब उसे डंडे से मारा तो गिल्ली के दूर गिरते ही तालियां बज उठीं.
मंच पर माइक थामा तो बोले अगले साल यहीं पर बैडमिंटन खेलूंगा. मैं नेता नहीं खिलाड़ी हूं और आप लोगों के बीच आकर नौजवान बन जाता हूं. दरअसल केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद खेल प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए अशोकनगर पहुंचे थे, जहां उन्होंने लगभग 13 खेलों में अपनी सहभागिता दिखाई. यहां उन्होंने उपस्थित खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन भी किया.
13 खेलों में शामिल खिलाड़ियों से लिया परिचय
संजय स्टेडियम में 7 फरवरी से जिला स्तरीय सांसद खेल प्रतियोगिता चल रही थी जिसका रविवार को समापन हुआ. इस मौके पर पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दौड़, रस्साकशी, कबड्डी, सुठालिया, वॉलीबॉल, बुशु सहित अन्य खेलों में शामिल खिलाड़ियों से परिचय कर उनका उत्साहवर्धन किया और कई खेलों में हाथ अजमाए.
सिंधिया ने खेला गिल्ली-डंडा
संजय स्टेडियम में चल रहीं खेल प्रतियोगिताओं के दौरान सिंधिया ने गिल्ली-डंडा खेला. उन्होंने जैसे ही गिल्ली उचकाई तो तुरंत ही सामने खड़े खिलाड़ी ने उनकी गिल्ली को कैच कर लिया. इसके बाद दूसरी बार उन्होंने गिल्ली को दूर तक मारा. इसके अलावा उन्होंने अन्य खेलों में भी उपस्थिती दी.
ग्रामीण खेलों को जीवित करना है उद्देश्य
वर्तमान में अब बच्चे मोबाइल की तरफ आकर्षित हो रहे हैं ऐसे में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सांसद खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाया. इस आयोजन में ग्रामीण क्षेत्रों में खेले जाने वाले खेलों को प्राथमिकता दी गई. इस दौरान सितोलिया, रस्साकशी, कबड्डी, दौड़ जैसे खेलों का आयोजन भी रखा गया ताकि अधिक से अधिक बच्चे इन खेलों में जोर आजमाइश कर शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें.
'मैं नेता नहीं खिलाड़ी हूं'
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि "मैं नेता नहीं एक खिलाड़ी हूं. मैं भी कभी-कभी जब तंग आ जाता हूं और अध्यक्ष जी मुझे बहुत दौरा कराते हैं तो कभी-कभी इस वातावरण में आकर मुझे लगता है कि मैं भी नौजवान बन जाता हूं."
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'राजनेताओं को खिलाड़ियों से लेना चाहिए सीख'
खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि "खेल नेतृत्व को जन्म देता है. खेल टीम भावना के साथ खेलना चाहिए. जब तक टीम का एक-एक व्यक्ति सफल नहीं होगा, तब तक हमारी जीत पूरी नहीं होगी. उन्होंने बुशु-कराटे खेल में अनुशासन देखते हुए कहा कि जिस तरह यह खिलाड़ी फाइट के पहले एक दूसरे के गले लगते हैं और फिर जमकर लड़ते हैं और फिर इसके बाद गले लग जाते हैं. इन बच्चों से हम लोगों को यह कला भी सीखनी होगी. राजनीतिक मंच पर हम लोग समझ लेते हैं कि हम जीवन भर एक दूसरे के दुश्मन हो गए. इन खिलाड़ियों से हमें सीखना चाहिए. हमारे अंदर भावना होनी चाहिए कि चुनाव के बाद हम लोग जनता के साथ मिलकर ही काम करें."