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छात्राओं को दिखाता था अश्लील वीडियो, हाईकोर्ट ने प्रधानाध्यापक की बेल खारिज की - ALLAHABAD HIGH COURT NEWS

बुलंदशहर के प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक पर अश्लील हरकत करने का आरोप

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 21, 2024, 8:57 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्कूली छात्राओं को फोन पर अश्लील वीडियो दिखाने और उनका यौन उत्पीड़न करने के आरोपी प्रधानाध्यापक की जमानत याचिका खारिज कर दी है. बुलंदशहर के एक प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रताप सिंह की याचिका पर न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने सुनवाई की.

बुलंदशहर के थाना अरनिया में 25 मार्च 2024 को याची पर यौन शोषण, पॉक्सो एक्ट की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था. आरोप है कि याची छात्राओं से अश्लील हरकतें करता था और उन्हें अपने मोबाइल पर अश्लील वीडियो दिखाता था. यह भी आरोप लगाया गया कि इसकी वजह से ओबीसी और एससी वर्ग के छह बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया.

याची के वकील का कहना था कि शिकायतकार्त व अन्य पीड़ितों के परिवार के सदस्यों को राज्य से कोई छात्रवृत्ति नहीं मिली, इसलिए याची को झूठा फंसाया गया है. याची खांसी और सांस लेने में तकलीफ से पीड़ित था. इसलिए उसे 10 से 25 मार्च 2024 के बीच आराम करने की सलाह दी गई थी. वह पहले से ही कैंसर का मरीज था. अब वह 25 मार्च 2024 से जेल में है. ऐसे में पुन: उसके कैंसर से प्रभावित होने की आशंका है.

राज्य सरकार के वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया. दलील दी कि पीड़ितों की उम्र 9 से 13 वर्ष के बीच है. ऐसे में किया गया अपराध गंभीर है और अध्यापक की गरिमा के विरूद्ध है. प्रस्तुत मेडिकल प्रमाणपत्र नकली है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि पीड़ितों की उम्र 9-13 साल को ध्यान में रखते हुए याची जमानत पर रिहा किए जाने योग्य नहीं है. कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी.

यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट ने कहा- प्राथमिक शिक्षा की जड़ों को खोखला कर रही है शिक्षकों की अनुपस्थिति, सरकार सख्त एक्शन ले

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्कूली छात्राओं को फोन पर अश्लील वीडियो दिखाने और उनका यौन उत्पीड़न करने के आरोपी प्रधानाध्यापक की जमानत याचिका खारिज कर दी है. बुलंदशहर के एक प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रताप सिंह की याचिका पर न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने सुनवाई की.

बुलंदशहर के थाना अरनिया में 25 मार्च 2024 को याची पर यौन शोषण, पॉक्सो एक्ट की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था. आरोप है कि याची छात्राओं से अश्लील हरकतें करता था और उन्हें अपने मोबाइल पर अश्लील वीडियो दिखाता था. यह भी आरोप लगाया गया कि इसकी वजह से ओबीसी और एससी वर्ग के छह बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया.

याची के वकील का कहना था कि शिकायतकार्त व अन्य पीड़ितों के परिवार के सदस्यों को राज्य से कोई छात्रवृत्ति नहीं मिली, इसलिए याची को झूठा फंसाया गया है. याची खांसी और सांस लेने में तकलीफ से पीड़ित था. इसलिए उसे 10 से 25 मार्च 2024 के बीच आराम करने की सलाह दी गई थी. वह पहले से ही कैंसर का मरीज था. अब वह 25 मार्च 2024 से जेल में है. ऐसे में पुन: उसके कैंसर से प्रभावित होने की आशंका है.

राज्य सरकार के वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया. दलील दी कि पीड़ितों की उम्र 9 से 13 वर्ष के बीच है. ऐसे में किया गया अपराध गंभीर है और अध्यापक की गरिमा के विरूद्ध है. प्रस्तुत मेडिकल प्रमाणपत्र नकली है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि पीड़ितों की उम्र 9-13 साल को ध्यान में रखते हुए याची जमानत पर रिहा किए जाने योग्य नहीं है. कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी.

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