बीकानेर: हिंदू धर्म शास्त्रों में करवा चौथ का व्रत पति की दीर्घायु की कामना को लेकर रखा जाता है, इसी तरह करवा चौथ के चार दिन बाद अहोई अष्टमी का व्रत पुत्र की दीर्घायु की कामना को लेकर किया जाता है. इस बारे में बीकानेर के प्रसिद्ध पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि अहोई को माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है. मां पार्वती की आराधना करते हुए दीवार पर आकृति स्वरूप में मां और उनके सात पुत्रों की तस्वीर बनाई जाती है और चावल का भोग अर्पित करते हुए अष्टोई अष्टमी की व्रत कथा सुननी चाहिए. महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए इस व्रत को करती हैं. रात्रि में तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है.
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संतान सुख की कामना होती पूरी: पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि केवल अपने पुत्र के लिए ही माताएं ही इस व्रत को नहीं करती है, बल्कि जिन महिलाओं को संतान नहीं होती है, वो भी पुत्र की कामना को लेकर इस व्रत को करती है. अहोई माता उन पर प्रसन्न होकर उन्हें पुत्र रत्न का आशीर्वाद भी देती है. इस दौरान घर में बुजुर्ग महिला या सास को भी उपहार के तौर पर कुछ दिया जाता है. अहोई अष्टमी को लेकर बीकानेर में महिलाओं में काफी उत्साह है. महिलाएं इन दिनों करवा चौथ और अहोई अष्टमी की तैयारियों में लगी हुई है.