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हेल्थ टिप्स : आयुर्वेद की 3000 वर्ष पुरानी अग्निकर्म उपचार, जोड़ों के दर्द और सर्वाइकल से मिल सकती है राहत - Health Tips

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 7, 2024, 5:27 PM IST

Joint Pain and Cervical Treatment, यदि आप भी जोड़ों के दर्द, सर्वाइकल आदि कष्टदायक रोग से ग्रसित हैं तो आयुर्वेद की 3000 वर्ष पुरानी अग्निकर्म उपचार की पद्धति आपके लिए त्वरित असरदार हो सकती है. अजमेर जेएलएन अस्पताल के आयुर्वेद चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गोविंद चोयल की क्या है राय ? यहां जानिए...

Ajmer JLN Hospital Doctor
डॉ. गोविंद चोयल (ETV Bharat Ajmer)
जोड़ों की दर्द की दवा, डॉ. गोविंद चोयल को सुनिए... (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर. अनियमित जीवन शैली के कारण लोगों कई प्रकार की कष्टदायक रोगों से जकड़ रहे हैं. खास बात यह है कि कष्ट को मिटाने के लिए रोगी पेन किलर का सहारा लेता है, जिससे कई तरह के साइड इफेक्ट शरीर में पड़ते हैं. आयुर्वेद की अग्निकर्म पद्धति ऐसे कष्टदायक रोगों के लिए काफी लाभकारी है. जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेदिक चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गोविंद चोयल से जानते हैं अग्निकर्म चिकित्सा पद्धति और उससे रोगी को होने वाले फायदे के बारे में...

आयुर्वेद वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गोविंद चौयल बताते हैं कि वर्तमान में भाग दौड़ की जिंदगी में लोग अपने शरीर का ख्याल नहीं रख पाते हैं. शारीरिक परिश्रम नहीं करते. वहीं, पौष्टिक भोजन भी नहीं ले पाते हैं. इसके अलावा कई लोग घंटों कुर्सी पर बैठ कर काम करते हैं. इसके कारण कई तरह के कष्टदायक रोग से लोग पीड़ित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि दर्द से तत्काल निजात पाने के लिए रोगी पेन किलर का सहारा लेता है. बार-बार पेन किलर लेने की आदत रोगी को अन्य रोग दे देती है. लिहाजा रोगी के लिए और भी ज्यादा कष्टदायी हो जाता है. आयुर्वेद में अग्निकर्म इन कष्टदायक रोगों के उपचार के लिए कारगर है. इसमें रोगी को त्वरित फायदा मिलता है, साथ ही रोगी को अस्पताल में भर्ती रहने की भी जरूरत नहीं पड़ती है.

3000 साल पुरानी है अग्निकर्म चिकित्सा : उन्होंने बताया कि अग्निकर्म को धर्मलमाइक्रोकोटरी भी कहा जाता है. अग्निकर्म चिकित्सा 3000 वर्ष पुरानी है. आयुर्वेद के ग्रंथ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, अष्टांग हृदय में अग्निकर एम चिकित्सा का विस्तृत वर्णन है. अग्निकर्म उपचार से विभिन्न प्रकार के कष्टदायक रोगों में असरदार परिणाम देती है. अग्निकर्म उपचार अनुभवी चिकित्सकों की देखरेख और वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है.

पढ़ें : हेल्थ टिप्स: स्वस्थ लंग्स बचाते हैं कई बीमारियों से, जानिए फेफड़ों को स्वस्थ रखने के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय - Ayurvedic Home Remedies For Lungs

ऐसे होता है अग्निकर्म चिकित्सा से उपचार : डॉ. चोयल बताते हैं कि रोगी की प्रकृति, रोग, रोग का प्रभाव, स्थान, दोष आदि का अध्ययन करते हुए विशेषज्ञ चिकित्सकों के माध्यम से संबंधित जांच मरी एक्स-रे आदि से रोग के बारे में जानकारी ली जाती है. अग्निकर्म चिकित्सा में रोगी के दर्द स्थान पर चिकित्सक की ओर से परीक्षण करके निश्चित बिंदु तय किए जाते हैं. इसके बाद एक विशेष धातु से निर्मित सलाका (छड़ी) को तप्त (गर्म) करके तो बिंदु पर क्षण भर के लिए स्पर्श करवाया जाता है. इसके बाद तुरंत एक विशेष हर्बल क्रीम लगाई जाती है. इस प्रक्रिया में रोगी को बहुत ही मामूली गर्म स्पर्श का आभास होता है, लेकिन इस प्रक्रिया से रोगी को त्वरित लाभ मिलता है. चिकित्सा के रोग के लक्षण और रोग की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग समय पर इस प्रक्रिया को करते हैं. अग्निकर्म की है कम समय में पूरी हो जाती है.

इन रोगों में अग्निकर्म चिकित्सा असरकारक : आयुर्वेद वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गोविंद चोयल ने बताया कि अग्निकर्म चिकित्सा से कष्टदाई रोगों से निजात मिलती है. इनमें जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, कोहनी का दर्द, गार्डन का दर्द, एडी का दर्द, साइटिका, माइग्रेन, सर्वाइकल, कंधे का दर्द, स्लिप डिस्क और हाथ पैरों में झनझनाहट आदि शामिल हैं.

अग्निकर्म उपचार के फायदे : डॉ. चोयल बताते हैं कि अग्निकर्म उपचार से दर्द में जल्द राहत मिलती है. सुरक्षित एवं बिना साइड इफेक्ट के उपचार होता है. दर्द में लंबे समय तक रहता मिलती है. रोगी को शल्य क्रिया, बिना दर्द का उपचार मिलता है. वहीं, अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं होती है.

यह दाग प्रथा नहीं : अमूमन ग्रामीण क्षेत्रो में रोगों से उपचार के लिए अशिक्षित और भोले-भाले लोग अंधविश्वास में पड़कर ऐसे लोगों के चुंगल में फस जाते हैं जो उनका पैसे के लिए फायदा उठाते है और पैसा लेने के बावजूद मुसीबत में डाल देते हैं. कई बार तो रोगी की जान पर बनती है. डॉ. चोयल ने बताया कि अग्निकर्म उपचार में बारीक सलाका का उपयोग होता है. इसके उपयोग से रोगी को आभास तक नहीं होता. उन्होंने कहा कि अग्निकर्म विशेषज्ञ चिकित्सकों के परीक्षण के बाद ही किया जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास के चलते दाग प्रथा से बचना चाहिए. डॉ. चोयल बताते हैं कि अग्निकर्म आज के परिपेक्ष में कष्टदायी रोगियों के लिए कम समय में असरदार उपचार है.

जोड़ों की दर्द की दवा, डॉ. गोविंद चोयल को सुनिए... (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर. अनियमित जीवन शैली के कारण लोगों कई प्रकार की कष्टदायक रोगों से जकड़ रहे हैं. खास बात यह है कि कष्ट को मिटाने के लिए रोगी पेन किलर का सहारा लेता है, जिससे कई तरह के साइड इफेक्ट शरीर में पड़ते हैं. आयुर्वेद की अग्निकर्म पद्धति ऐसे कष्टदायक रोगों के लिए काफी लाभकारी है. जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेदिक चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गोविंद चोयल से जानते हैं अग्निकर्म चिकित्सा पद्धति और उससे रोगी को होने वाले फायदे के बारे में...

आयुर्वेद वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गोविंद चौयल बताते हैं कि वर्तमान में भाग दौड़ की जिंदगी में लोग अपने शरीर का ख्याल नहीं रख पाते हैं. शारीरिक परिश्रम नहीं करते. वहीं, पौष्टिक भोजन भी नहीं ले पाते हैं. इसके अलावा कई लोग घंटों कुर्सी पर बैठ कर काम करते हैं. इसके कारण कई तरह के कष्टदायक रोग से लोग पीड़ित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि दर्द से तत्काल निजात पाने के लिए रोगी पेन किलर का सहारा लेता है. बार-बार पेन किलर लेने की आदत रोगी को अन्य रोग दे देती है. लिहाजा रोगी के लिए और भी ज्यादा कष्टदायी हो जाता है. आयुर्वेद में अग्निकर्म इन कष्टदायक रोगों के उपचार के लिए कारगर है. इसमें रोगी को त्वरित फायदा मिलता है, साथ ही रोगी को अस्पताल में भर्ती रहने की भी जरूरत नहीं पड़ती है.

3000 साल पुरानी है अग्निकर्म चिकित्सा : उन्होंने बताया कि अग्निकर्म को धर्मलमाइक्रोकोटरी भी कहा जाता है. अग्निकर्म चिकित्सा 3000 वर्ष पुरानी है. आयुर्वेद के ग्रंथ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, अष्टांग हृदय में अग्निकर एम चिकित्सा का विस्तृत वर्णन है. अग्निकर्म उपचार से विभिन्न प्रकार के कष्टदायक रोगों में असरदार परिणाम देती है. अग्निकर्म उपचार अनुभवी चिकित्सकों की देखरेख और वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है.

पढ़ें : हेल्थ टिप्स: स्वस्थ लंग्स बचाते हैं कई बीमारियों से, जानिए फेफड़ों को स्वस्थ रखने के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय - Ayurvedic Home Remedies For Lungs

ऐसे होता है अग्निकर्म चिकित्सा से उपचार : डॉ. चोयल बताते हैं कि रोगी की प्रकृति, रोग, रोग का प्रभाव, स्थान, दोष आदि का अध्ययन करते हुए विशेषज्ञ चिकित्सकों के माध्यम से संबंधित जांच मरी एक्स-रे आदि से रोग के बारे में जानकारी ली जाती है. अग्निकर्म चिकित्सा में रोगी के दर्द स्थान पर चिकित्सक की ओर से परीक्षण करके निश्चित बिंदु तय किए जाते हैं. इसके बाद एक विशेष धातु से निर्मित सलाका (छड़ी) को तप्त (गर्म) करके तो बिंदु पर क्षण भर के लिए स्पर्श करवाया जाता है. इसके बाद तुरंत एक विशेष हर्बल क्रीम लगाई जाती है. इस प्रक्रिया में रोगी को बहुत ही मामूली गर्म स्पर्श का आभास होता है, लेकिन इस प्रक्रिया से रोगी को त्वरित लाभ मिलता है. चिकित्सा के रोग के लक्षण और रोग की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग समय पर इस प्रक्रिया को करते हैं. अग्निकर्म की है कम समय में पूरी हो जाती है.

इन रोगों में अग्निकर्म चिकित्सा असरकारक : आयुर्वेद वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गोविंद चोयल ने बताया कि अग्निकर्म चिकित्सा से कष्टदाई रोगों से निजात मिलती है. इनमें जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, कोहनी का दर्द, गार्डन का दर्द, एडी का दर्द, साइटिका, माइग्रेन, सर्वाइकल, कंधे का दर्द, स्लिप डिस्क और हाथ पैरों में झनझनाहट आदि शामिल हैं.

अग्निकर्म उपचार के फायदे : डॉ. चोयल बताते हैं कि अग्निकर्म उपचार से दर्द में जल्द राहत मिलती है. सुरक्षित एवं बिना साइड इफेक्ट के उपचार होता है. दर्द में लंबे समय तक रहता मिलती है. रोगी को शल्य क्रिया, बिना दर्द का उपचार मिलता है. वहीं, अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं होती है.

यह दाग प्रथा नहीं : अमूमन ग्रामीण क्षेत्रो में रोगों से उपचार के लिए अशिक्षित और भोले-भाले लोग अंधविश्वास में पड़कर ऐसे लोगों के चुंगल में फस जाते हैं जो उनका पैसे के लिए फायदा उठाते है और पैसा लेने के बावजूद मुसीबत में डाल देते हैं. कई बार तो रोगी की जान पर बनती है. डॉ. चोयल ने बताया कि अग्निकर्म उपचार में बारीक सलाका का उपयोग होता है. इसके उपयोग से रोगी को आभास तक नहीं होता. उन्होंने कहा कि अग्निकर्म विशेषज्ञ चिकित्सकों के परीक्षण के बाद ही किया जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास के चलते दाग प्रथा से बचना चाहिए. डॉ. चोयल बताते हैं कि अग्निकर्म आज के परिपेक्ष में कष्टदायी रोगियों के लिए कम समय में असरदार उपचार है.

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