जयपुर. राजस्थान में भले ही दो चरणों में लोकसभा चुनाव संपन्न हो गए हो, लेकिन अन्य राज्यों में जारी चुनाव प्रक्रिया के बीच अभी भी प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू है. आचार संहिता की बीच किसी भी तरह का कोई कार्य आदेश जारी नहीं हो सकता, लेकिन गर्मी के मौसम को देखते हुए कई तरह के आवश्यक कार्यों की स्वीकृति की जरूरत होने लगी है. ऐसे में विधानसभा मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखा है. इस पत्र के जरिए प्रदेश में गर्मी के मौसम को देखते हुए आदर्श आचार संहिता में कई तरह की छूट दिए जाने का आग्रह किया है.
आवश्यक कार्यों में छूट को मांग : मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखा है, जिसमें बताया कि राज्य सहित देश में मतगणना 4 जून को है. राज्य में आदर्श आचार संहिता लगभग सवा महीने लागू रहेगी. गर्मी के मौसम को देखते हुए जल, विद्युत आपूर्ति और मौसमी बिमारियों की रोकथाम जरूरी है. अन्य प्रदेशों के मतदाता प्रभावित नहीं होते हो तो ऐसे कार्यों को चिन्हित कर आदर्श आचार संहिता में उन कार्यों को किए जाने की छूट प्रदान की जाए. आदर्श आचार संहिता के समय राजस्थान सरकार के निर्णयों से मतदाता प्रभावित हो, ऐसे कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन राजस्थान में दोनों चरणों का चुनाव सम्पन्न हो चुका है. गर्मी के मौसम को देखते हुए जल एवं विद्युत आपूर्ति बहुत अत्यावश्यक सेवा की श्रेणी में आती है, इसके अलावा विकास के कई ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें किया जाना जनहित में आवश्यक होता है. अतः ऐसे कार्यों जिनसे राजस्थान के अलावा अन्य प्रदेशों के मतदाता प्रभावित नहीं होते हो, उन कार्यों को किये जाने की छूट दी जानी अत्यावश्यक है. पत्र में कहा गया कि इस संबंध में उच्च स्तर पर निर्णय लेकर तत्काल जनहित में ऐसे कार्यों को चिन्हित किया जाएं जो कि इस अवधि में किए जा सके.
ये पांच मांगे रखी गई :
पहली मांग : राजस्थान जैसे रेगिस्तानी प्रदेश में पेयजल की आपूर्ति विशेषकर गर्मी के मौसम में एक प्रबल चुनौती होती है. जिन क्षेत्रों में सामान्यतः पेयजल संकट नहीं होता है वहां भी भीषण गर्मी के कारण संकट गहरा जाता है. इस संकट के निवारण के लिए सरकार को तत्काल निर्णय करते हुए नये नलकूप बनाने, नये हैण्ड पम्प बनाने और नई पाइप लाइन डालने जैसे अनेक कार्य जनहित में अत्यंत आवश्यक हो जाते हैं, लेकिन आदर्श आचार संहिता के कारण अगले आगामी सवा महीने तक यह सब कर पाना सम्भव नहीं होगा.
दूसरी मांग : गर्मी के मौसम में विद्युत आपूर्ति भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है. शहरी क्षेत्र से लेकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक भीषण गर्मी में आमजन को पर्याप्त बिजली उपलब्ध होती रहे, इस दृष्टि से अनेक बार अनेक स्थान पर नये कार्य करवाना आवश्यक हो जाता है. उसमें भी आदर्श आचार संहिता बाधक बनी रहेगी.
इसे भी पढ़ें : बाड़मेर: कांग्रेस प्रत्याशी ने लगाया आरोप, बूथ कैप्चरिंग और आचार संहिता का हो रहा उल्लंघन - lok sabha election 2024
तीसरी मांग : देश के विद्यालयों में ग्रीष्म अवकाश प्रारम्भ होने वाला है. ग्रीष्म अवकाश के दौरान जब विद्यालयों में अध्ययन कार्य पुनः प्रारम्भ होगा, उससे पूर्व विद्यालयों में शिक्षक वर्ग के रिक्त पद भरे जाने सहित अन्य कई काम करवाने होते हैं, उसमें भी बाधा आएगी.
चौथी मांग : गर्मी जनित मौसमी बिमारियों से पीड़ित मनुष्य और पशुओं को पर्याप्त चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता रहती है, लेकिन दोनों विभागों में बड़ी संख्या में विभिन्न पद रिक्त होने के कारण आमजन को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ता है. कार्मिकों को उक्त न्यूनता को पूरा करने में भी आदर्श आचार संहिता के कारण सवा महीने का अनावश्यक विलम्ब हो जायेगा.
पांचवीं मांग : राजस्थान सरकार के अन्य विभागों में भी जन समस्याओं के निराकरण के लिए अनेक विकास कार्यों की स्वीकृति / कार्यादेश प्रक्रियाधीन है. उस प्रक्रिया को भी पूरा होने में सवा महीने का अनावश्यक विलम्ब हो जायेगा.