जैसलमेर: जैसाण धरा के सपूत अमर शहीद पूनमसिंह भाटी का 59वां बलिदान दिवस समारोह शहीद के जन्म स्थान हाबूर (पूनमनगर) में मनाया गया. शहीद पूनमसिंह भाटी के बलिदान दिवस पर लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए. उन्होंने 1965 के युद्ध में पाक कमांडर समेत 8 पाकिस्तानी रेंजर्स को मार गिराया था. हालांकि, युद्ध में उन्होंने खुद भी लड़ते-लड़ते प्राण न्यौछावर कर दिए थे.
ग्रामीण शैतानसिंह ने बताया कि पूनमसिंह भाटी वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध में सीमांत भुटो वाली चौकी पर अपने सात साथियों के साथ तैनात थे. 8 सितम्बर 1965 की मध्यरात्रि को पाक कमांडर अफजल खान ने अपने 60 रेंजर्स के साथ भूटो वाली चौकी पर हमला किया था. परमवीर पूनमसिंह भाटी ने सारी रात अपने साथियों के साथ दुश्मन का वीरता पूर्वक मुकाबला किया. यहां तक की वो अपने खेमे में कारतूस खत्म होने पर दुश्मन के खेमे से कारतूस तक ले आए थे और पाक कमांडर अफजल खान सहित 8 पाकिस्तानियों को मार खुद वीरगति को प्राप्त हो गए थे. शेष दुश्मन सैनिक डरकर भाग खड़े हुए थे. उनकी वीरता के कारण भूटो वाली चौकी सुरक्षित रही. उन्हें मरणोपरांत राष्ट्रपति पुलिस मेडल देकर सम्मानित किया गया. उनकी स्मृति को चिर स्थाई बनाए रखने के लिए प्रति वर्ष 9 सितम्बर को बलिदान दिवस समारोह मनाया जाता है.
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भूस्वामी आंदोलन का सत्याग्रही रह चुके : ग्रामीण जालमसिंह ने बताया कि पूनमसिंह का जन्म ग्राम हाबूर के जयसिंह के घर 16 जून 1940 को हुआ था. पूनमसिंह बचपन से वीर थे. पांचवी कक्षा तक अध्ययन करने के बाद 17 वर्षीय पूनमसिंह सन 1956 में राजस्थान में चलाए गए ऐतिहासिक भूस्वामी आंदोलन का सत्याग्रही बनकर जेल भी गए थे. 15 अक्टूबर 1961 को वो पुलिस सेवा में भर्ती हो गए. तब के पुलिस अधीक्षक ठा. मोतीसिंह हाड़ा ने भर्ती के समय कहा था कि यह युवक राष्ट्र का नाम उज्ज्वल करेगा. युद्ध समाप्ति के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति ने पूनमसिंह भाटी को मरणोपरांत भारतीय पुलिस का अग्नि सेवा पदक प्रदान कर सम्मानित किया था. उनकी याद में बाद में हाबुर का नाम पूनम नगर रखा गया.