कोटा. हाड़ौती संभाग की बड़ी नदियां बारिश के सीजन में उफान पर रहती हैं, लेकिन इस बार भी बड़ी नदियों और उनकी सहायक नदियों के जरिए भरने वाले डैम खाली पड़े हैं. बीते साल हाड़ौती संभाग में कम बारिश हुई थी. इस कारण पानी जल्दी रीत गए थे. चंबल नदी के चार बड़े बांधों को छोड़कर 4.5 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता से अधिक वाले 44 बांध हाड़ौती में हैं. इनमें से 25 पूरी तरह से खाली हैं, जबकि शेष 19 बांधों में 10 से लेकर 30 फीसदी तक पानी है. इन 19 बांधों की क्षमता 680.92 मिलियन क्यूबिक मीटर है, जबकि इनमें 23 फीसदी यानी 157.41 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है. छोटे सभी 33 बांध पूरी तरह से रीते हुए हैं. बारिश के सीजन में छोटे व बड़े डैम में पानी आ जाने के बाद फसलों में यह पानी काम आता है. डैम से आसपास के खेतों के कुएं या तालाब पानी से रिचार्ज हो जाते हैं.
ये बड़े बांध पूरी तरह से खाली : 4.5 मिलियन क्यूबिक मीटर से ज्यादा क्षमता वाले बांधों में बारां जिले के गोपालपुरा, विलास डैम, उम्मेद सागर, इकलेरा सागर, रटलाई, कालीसोट, छतरपुरा, बूंदी जिले का बरधा, बूंदी का गोठड़ा पूरी तरह से खाली हैं. इसी तरह डूंगरी, भीमलत, अभयपुर, पेच की बावड़ी, माछली, इंद्राणी, रुणीजा, बड़ा नयागांव, झालावाड़ जिले का कनवारा, सारणखेड़ी, सारोला, मुंडियाखेड़ी, रोशनबाड़ी, कोटा जिले का आलनिया, सावन भादो व ताकली पूरी तरह से खाली हैं.
यह डैम भी खाली जैसे ही : बारां जिले के बैथली डैम में 37.24 एमक्यूएम पानी की क्षमता है, लेकिन महज 3.06 एमसीएम पानी है. इसी तरह से ल्हासी डैम में 30.80 एमक्यूएम पानी की क्षमता है, लेकिन 2.86 एमक्यूएम ही पानी है. हिंगलोट बांध में 16.20 की क्षमता है, वहां 3.65 एमक्यूएम पानी है. उतावली बांध की क्षमता 4.80 एमक्यूएम क्षमता है, लेकिन वहां 0.68 एमक्यूएम पानी है. बूंदी जिले के गूढ़ा डैम की क्षमता 95.51 एमक्यूएम है, वहां पर महज 6.40 एमक्यूएम पानी है. इसी तरह से पैबालपुरा डैम की क्षमता 12.83 है, पानी 2.05 एमक्यूएम है. चाकन डैम की क्षमता 12.88 है, वहां पर 4.26 एमक्यूएम पानी है. बूंदी जिले के गरदडा बांध में 44.38 एमक्यूएम की अपेक्षा 3.49 एमक्यूएम पानी है.
झालावाड़ जिले के बांधों में शेष है कुछ पानी : झालावाड़ जिले के छापी बांध की क्षमता 82.57 एमक्यूएम पानी की क्षमता है, वहां पर 22.46 एमसीएम पानी है. इसी तरह से भीमसागर डैम की क्षमता 76.62 है, वहां पर 10.82 एमक्यूएम पानी है. राजगढ़ डैम की क्षमता 58.29 है वहां पर 27.06 एमक्यूएम पानी है. इसी तरह कालीसिंध डैम की पूरी क्षमता 54.37 एमक्यूएम है, इसमें से 28.03 एमक्यूएम पानी है. गागरिन बांध में 52.5 एमक्यूएम की क्षमता है उसमें 30.4 एमक्यूएम पानी है. चंवली डैम की क्षमता 53.50 से उसमें 5.46 एमक्यूएम पानी है. पीपलाद डैम की क्षमता 24.4 की अपेक्षा 1.90 एमक्यूएम पानी, कालीखार डैम में 14.65 की अपेक्षा 2.70 एमक्यूएम पानी, गुलंडी बांध में 13.38 एमक्यूएम की जगह की 2.13 एमक्यूएम पानी, भीमनी डैम में 12.10 की अपेक्षा 2.40 एमक्यूएम पानी और रेवा बांध में 12 एमक्यूएम की जगह 5.72 एमक्यूएम पानी है.
33 छोटे बांधों में बिल्कुल भी नहीं है पानी : जल संसाधन विभाग के अधीन आने वाले 4.5 एमक्यूएम से छोटे बांधों में लगभग सभी बांध रीते हुए हैं. ये 33 डैम पूरी तरह से खाली हैं. इनमें बारां जिले का अहमदी, नारायण खेड़ा, खटका, महोदरी, सेमली फाटक, फलिया, नाहरगढ़, बूंदी जिले का सथुर माता, मारडिया, बसोली, मोतीपुरा, चांद का तालाब, भटवाड़ी पूरी तरह से रीते हुए हैं. साथ ही बनाकिया खाल, मेंड़ी, नारायणपुरा, झालावाड़ जिले का कराड़िया, गणेशपुरा, मोगरा, जसवंतपुरा, बिनायगा, बोरदा, गोवर्धनपुरा, चेलिया, राजपुरा, ठीकरिया, मथानिया, बिसथूनीया, कंवरपुरा, बोरबंद, कोटा जिले का डायरा और डोलिया भी पूरी तरह से रीते हुए हैं.