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गिद्धेश्वर में मिला 4 फीट लंबा 10 किलो का दुर्लभ गिद्ध, 'जटायु' के नाम से प्रसिद्ध है स्थली - VULTURE FOUND IN JAMUI

जमुई के गिद्धेश्वर में दो दशकों बाद दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध देखा गया, जो रामायण काल से जुड़े ऐतिहासिक-स्थल पर था, स्थानीय लोग हैरान हैं-

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 5 hours ago

जमुई : बिहार में जमुई के गिद्धेश्वर इलाके में एक दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध दो दशकों बाद दिखा. यह घटना ग्रामीणों के लिए एक आश्चर्य का विषय बन गई, और देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए. ग्रामीणों ने बताया कि गिद्ध का वजन लगभग 10 किलो और लंबाई 4 फीट होगी.

गिद्धेश्वर का ऐतिहासिक महत्व : गिद्धेश्वर क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व रामायण काल से जुड़ा हुआ है. कहते हैं कि जब रावण ने सीता का हरण किया था, तो पक्षीराज जटायु ने उसे रोकने की कोशिश की थी. इस दौरान जटायु गंभीर रूप से घायल हुआ और एक पहाड़ की चोटी पर गिर पड़ा. जटायु की याद में उस पहाड़ को "गिद्धेश्वर पहाड़" नाम दिया गया. पहाड़ की चोटी पर एक मंदिर भी है और तलहटी में भोलेनाथ का एक प्राचीन मंदिर स्थित है.

दुर्लभ है गिद्ध : कई सालों तक गिद्धेश्वर पहाड़ की चोटी पर सैंकड़ों गिद्धों का बसेरा था, लेकिन धीरे-धीरे उनकी संख्या में कमी आई और वे लुप्तप्राय हो गए. अब, दो दशकों बाद, एक विशालकाय गिद्ध को देखकर लोग हैरान रह गए.

गिद्धेश्वर में दिखे गिद्धराज 'जटायु' : गिद्धेश्वर इलाके के ढाबे में यह दुर्लभ गिद्ध देखा गया. खबर फैलने पर लोग गिद्ध को देखने पहुंचे, लेकिन गिद्ध पहले एक पेड़ पर बैठा था और फिर जमीन पर आ बैठा. बढ़ती भीड़ से डरकर गिद्ध उड़ा और गिद्धेश्वर पहाड़ की चोटी की ओर चला गया. वन विभाग को सूचना दी गई, लेकिन तब तक गिद्ध उड़ चुका था.

पर्यावरणीय दृष्टिकोण से गिद्ध का महत्व : विशेषज्ञों के अनुसार, गिद्ध एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्यावरणीय पक्षी है और यह 12 कोस (लगभग 48 किलोमीटर) तक देख सकता है. गिद्धों की उपस्थिति पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है.

ये भी पढ़ें- जमुई में जख्मी हालत में मिला दुर्लभ 'जटायु' पक्षी, वन विभाग ने किया रेस्क्यू - Fearsome Bonelli Eagle

जमुई : बिहार में जमुई के गिद्धेश्वर इलाके में एक दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध दो दशकों बाद दिखा. यह घटना ग्रामीणों के लिए एक आश्चर्य का विषय बन गई, और देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए. ग्रामीणों ने बताया कि गिद्ध का वजन लगभग 10 किलो और लंबाई 4 फीट होगी.

गिद्धेश्वर का ऐतिहासिक महत्व : गिद्धेश्वर क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व रामायण काल से जुड़ा हुआ है. कहते हैं कि जब रावण ने सीता का हरण किया था, तो पक्षीराज जटायु ने उसे रोकने की कोशिश की थी. इस दौरान जटायु गंभीर रूप से घायल हुआ और एक पहाड़ की चोटी पर गिर पड़ा. जटायु की याद में उस पहाड़ को "गिद्धेश्वर पहाड़" नाम दिया गया. पहाड़ की चोटी पर एक मंदिर भी है और तलहटी में भोलेनाथ का एक प्राचीन मंदिर स्थित है.

दुर्लभ है गिद्ध : कई सालों तक गिद्धेश्वर पहाड़ की चोटी पर सैंकड़ों गिद्धों का बसेरा था, लेकिन धीरे-धीरे उनकी संख्या में कमी आई और वे लुप्तप्राय हो गए. अब, दो दशकों बाद, एक विशालकाय गिद्ध को देखकर लोग हैरान रह गए.

गिद्धेश्वर में दिखे गिद्धराज 'जटायु' : गिद्धेश्वर इलाके के ढाबे में यह दुर्लभ गिद्ध देखा गया. खबर फैलने पर लोग गिद्ध को देखने पहुंचे, लेकिन गिद्ध पहले एक पेड़ पर बैठा था और फिर जमीन पर आ बैठा. बढ़ती भीड़ से डरकर गिद्ध उड़ा और गिद्धेश्वर पहाड़ की चोटी की ओर चला गया. वन विभाग को सूचना दी गई, लेकिन तब तक गिद्ध उड़ चुका था.

पर्यावरणीय दृष्टिकोण से गिद्ध का महत्व : विशेषज्ञों के अनुसार, गिद्ध एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्यावरणीय पक्षी है और यह 12 कोस (लगभग 48 किलोमीटर) तक देख सकता है. गिद्धों की उपस्थिति पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है.

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