अजमेर: पुलिस और साइबर टीम की संयुक्त कार्रवाई में दो स्थानों पर संचालित फर्जी कॉल सेंटर पर दबिश देकर करीब एक दर्जन से अधिक युवक-युवतियों को हिरासत में लिया गया है. फर्जी कॉल सेंटर के माध्यम से यूएस में लोगों को कॉल कर मोबाइल और लैपटॉप हैक किये जाते और उनका पर्सनल डेटा सार्वजनिक करने या पुलिस को देने की धमकी देकर पैसे एंठे जाते थे.
अजमेर पुलिस कप्तान देवेंद्र विश्नोई ने बताया कि सूचना मिली थी कि कुछ लोग बाहर के आए हुए हैं और संदिग्ध गतिविधियां कर रहे हैं. गंज थाना प्रभारी और साइबर सेल की टीम को सक्रिय किया गया और सूचना का सत्यापन करवाया गया. पुलिस ने पुष्कर रोड स्थित समारोह स्थल पर दबिश दी. जहां कमरों में कॉल सेंटर संचालित किया जा रहा था. पड़ताल में सामने आया कि 15 दिन पहले कुछ लोग होटल में आकर ठहरे थे और 8 दिन पहले ही समारोह स्थल पर कॉल सेंटर को संचालित किया जाने लगा है.
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कॉल सेंटर में 14 लड़के और 4 लड़कियां काम कर रहे थे. ये सभी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, बिहार से हैं. उन्होंने बताया कि कॉल सेंटर पर काम करने वाले और युवक—युवतियों से 29 लैपटॉप, 40 मोबाइल जब्त किए गए हैं. पुलिस की टीमें कॉल सेंटर संबंधी रिकॉर्ड की जांच कर रही हैं. साथ ही ऑनलाइन रिकॉर्ड को भी देखा जा रहा है. आरोपियों ने कॉल सेंटर संचालित करने के लिए किराए पर प्रॉपर्टी ली थी. इंटरनेट कनेक्शन भी लिया था.
साइबर फ्रॉड को दिया जा रहा था अंजाम: एसपी देवेंद्र बिश्नोई ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर फ्रॉड करने वाली यह टीम है. कॉल सेंटर का संचालन पंजाब निवासी शिवम कर रहा था. इस साइबर फ्रॉड टीम के पीछे मास्टरमाइंड कौन है? इस संदर्भ में भी पड़ताल की जा रही है. हीरासत में लिए गए आरोपियों में कोई भी लोकल व्यक्ति नहीं है.
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कॉल करके हैक करते मोबाइल: सूत्रों की माने तो फर्जी कॉल का मुख्य बेस अमेरिका था. कॉल सेंटर के माध्यम से अमेरिका में लोगों को कॉल किया जाता. इसके बाद सॉफ्टवेयर के माध्यम से कॉल किए गए व्यक्ति का मोबाइल हैक कर उसकी पर्सनल जानकारी निकाली जाती. इसके बाद दोबारा उस व्यक्ति को फोन करके उसके पर्सनल फोटो, वीडियो या अन्य डॉक्यूमेंट को सार्वजनिक करने की धमकी दी जाती. पुलिस का डर भी दिखाया जाता. इस तरह से उसे ब्लैकमेल करके पैसा वसूला जाता था.