जमुई : पेरिस पैरालंपिक 2024 में शामिल होने के लिए बिहार के शैलेश कुमार रवाना हो गए हैं. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण की ओर से रविवार को सम्मान और शुभकामना के साथ बिहार से विदा किया गया. पेरिस में 28 अगस्त से 8 सितंबर तक आयोजित होने वाली 17वीं पैरालंपिक में शैलेश हाई जम्प T-42/63 श्रेणी में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे. बिहार के जमुई जिले के अलीगंज प्रखंड के इस्लामनगर गांव के रहने वाले हैं शैलेश कुमार.
पेरिस पैरालंपिक में होगा जमुई के लाल का जलवा : बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रवीन्द्रण शंकरण ने बताया कि पैरालंपिक में भारत के 84 खिलाड़ियों के साथ अब तक की सबसे बड़ी भारतीय टीम 12 खेलों में हिस्सा लेगी. जिसमें हाई जम्प T-42/63 श्रेणी की प्रतिस्पर्धा के लिए शैलेश कुमार भारतीय टीम में चुने गए हैं. समाज कल्याण विभाग में बाल विकास प्रोजेक्ट ऑफिसर के रूप में कार्यरत शैलेश अभी गुजरात के गांधीनगर स्थिति साई के प्रशिक्षण केन्द्र में प्रशिक्षण ले रहे थे.
''आज पूरा बिहार अपनी शुभकामनाओं के साथ पेरिस पैरालंपिक के लिए इन्हें विदा कर रहा है. हमें उम्मीद ही नहीं पूरा यकीन है कि शैलेश पदक जीत कर बिहार और देश का नाम रोशन करेंगे.''- शिवाजी कुमार, कन्वीनर, पैरालंपिक व एशियन गेम्स
शैलेश ने बिहार सरकार का जताया आभार : पेरिस पैरालंपिक के लिए बिहार से रवाना होने से पहले शैलेश ने सबका आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार और बिहार राज्य खेल प्राधिकरण की ओर से हमेशा ही मुझे पूरा सहयोग और प्रोत्साहन मिलता रहा है, जिसकी बदौलत आज मैं इस स्थान पर पहुंचा हूं. मेरा सिलेक्शन एथलेटिक्स के तीन खेलों के लिए हुआ था लेकिन मैंने हाई जम्प में ही आगे बढ़ने का निर्णय लिया. यही वजह है कि इसी में आज ओलंपिक तक पहुंचा हूं. मैं पैरालंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करूंगा और पदक जीत कर राज्य और देश का नाम रोशन करने की कोशिश करूंगा.
'पढ़ाई और खेल के लिए गिरवी रख दी जमीन' : शैलेश के पिता बेहद ही गरीब किसान हैं. खेतीबारी और कुछ मवेशी पालकर वो अपनी जीविका चलाते हैं. एक समय ऐसा आया कि बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसा इकट्ठा करना भी मुश्किल हो गया था. उन्होंने खेत को गिरवी रखकर, कर्ज लेकर पढ़ाया. शैलेश के पिता ने कहा कि शुरू से ही उसकी एड़ी में दिक्कत थी. स्कूल के टाइम से ही वो खेलने में काफी दिलचस्पी लेता था, कब उसने ये सब खेला और प्रैक्टिस की हमें तब पता चला जब उसका सलेक्शन हुआ.
'मेडल लेकर आया तो हम सभी हैरान थे' : शैलेश के पिता ने कहा कि शैलेश दो भाई और एक बहन है. शैलेश का बड़ा भाई पुलिस में है और शैलेश ने खेल में अपना कैरियर बनाकर देश और प्रदेश का नाम रोशन कर रहा है. हम लोगों को तो ये भी जानकारी नहीं थी कि ये खेलता क्या है. पहली बार मैडल लेकर आया तो हम सभी हैरान थे. उसने अपनी मेहनत की बदौलत देश का नाम रोशन किया है.
अब ओलंपिक में लाएगा गोल्ड : महज 23 साल की उम्र में ही फ्रांस में पारा एथलेटिक्स वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया था. वहीं बेंगलुरू में आयोजित 5वीं इंडिन ओपन पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ऊंची कूद में गोल्ड मेडल झटका था. अब उसका सलेक्शन पैरालंपिक 2024 के लिए हुआ है तो ये खुशी की बात है. गोल्ड का सूखा मेरा भाई खत्म करेगा और जीत का परचम लहराकर लौटेगा.
''पेरिस में गोल्ड का सूखा शैलेश खत्म करेगा. वह एशियन गेम्स की तरह पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड जीतकर आएगा और देश का नाम रोशन करेगा. हमें पूरी उम्मीद है कि वह वहां पर राष्ट्रगान बजवाएगा.''- शैलेश के परिजन
एशियाई पारा गेम्स में गोल्ड झटक चुके हैं शैलेश : बताते चलें कि शैलेश जमुई जिले के अलीगंज प्रखंड क्षेत्र के इस्लामनगर के रहने वाले हैं तथा इससे पहले उन्होंने चीन के हांगझो में आयोजित हुए एशियाई पारा गेम्स में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था. अब इस बार पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड की उम्मीद बढ़ गई है.
कन्वीनर के रूप में शिवाजी जाएंगे पेरिस : शैलेश के अलावा पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया की ओर से बिहार पैरा स्पोटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवाजी कुमार को भारतीय दल का कन्वीनर के रूप में चयन किया गया है. यह जानकारी शिवाजी कुमार ने पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया की ओर से जारी पत्र के आधार पर दी. बता दें कि इससे पहले भी पैरालंपिक व एशियन गेम्स में शिवाजी कुमार बतौर कन्वेनर शामिल हुए है.
टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने जीते थे 19 मेडल : पेरिस पैरालंपिक 2024 में भाग्यश्री जाधव और सुमित अंतिल भारत के ध्वजवाहक होंगे. इससे पहले टोक्यो पैरालंपिक 2020 में 54 एथलीट ने हिस्सा लिया था और सबसे ज्यादा 19 मेडल जीते थे. पैरालंपिक खेलों की शुरुआत 1960 में हुई थी. भारत ने अब तक इसके 11 संस्करणों में हिस्सा लिया है. इस दौरान देश को कुल 31 मेडल मिले हैं. इनमें 9 गोल्ड, 12 सिल्वर और 10 कांस्य हैं.
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