रुद्रपुर (उत्तराखंड): नेशनल गेम्स में बैक टू बैक तीसरी बार गोल्ड मेडल लेने वाले अंतरराष्ट्रीय साइकिलिंग खिलाड़ी डेविड बेकहम तब सुर्खियों में आए थे, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका जिक्र मन की बात में किया था. 22 साल की उम्र में वह साइकिलिंग की दुनिया में कई अवॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं.
डेविड बेकहम ने ट्रैक साइकिलिंग में जीता गोल्ड मेडल: उत्तराखंड में चल रहे 38वें नेशनल गेम्स में आयोजित ट्रैक साइकिलिंग प्रतियोगिता में एक बार फिर अंडमान निकोबार से आने वाले अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी डेविड बेकहम ने गोल्ड मेडल झटका है. ईटीवी भारत के साथ उन्होंने फुटबॉलर से साइकिलिंग तक के सफर को साझा किया.
अंडमान निकोबार से हैं डेविड बेकहम: फुटबॉल की दुनिया के हीरो डेविड बेकहम का नाम कौन नहीं जानता? लेकिन आज हम आपको भारत के अंडमान निकोबार के छोटे से आइलैंड कार निकोबार से निकल कर साइकिलिंग की दुनिया में कम उम्र में ही नाम कमाने वाले डेविड बेकहम से रूबरू कराते हैं. डेविड बेकहम तब सुर्खियों में आए थे, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में उनका जिक्र किया था.
अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी के लिए आए नेशनल गेम्स: उत्तराखंड में चल रहे 38वें नेशनल गेम्स में ट्रैक साइकिलिंग प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी डेविड बेकहम भी पहुंचे हैं. आज उन्होंने स्प्रिंट डिस्टेंस 2 लैप्स में अंडमान निकोबार को गोल्ड दिलाया. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने अपनी यात्रा के पल साझा किए.
डेविड बेकहम ने बताया कि-
'मैं 12 साल की उम्र से साइकिलिंग कर रहा हूं. अब तक मैं कई मेडल अपने नाम कर चुका हूं. नेशनल गेम मेरा लक्ष्य नहीं है. मेरा लक्ष्य एशियन गेम्स, वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक गेम्स हैं. उनकी तैयारी के लिए मैं नेशनल गेम में भाग लेने आया हूं. मैं 9 साल से साइकिल रेस में हिस्सा ले रहा हूं.'
-डेविड बेकहम, साइकिलिंग की ट्रैक रेसिंग में गोल्ड मेडल विजेता-
फुटबॉल खिलाड़ी से बने साइकिलिस्ट: डेविड बेकहम ने बताया कि साइकिलिंग में आने से पहले वह एक फुटबॉलर खिलाड़ी हुआ करते थे. उन्होंने अंडमान निकोबार में काफी फुटबॉल भी खेला है. उन्होंने बताया कि उनका साइकिलिंग की ओर कैसे ध्यान गया, इस बारे में उन्हें ज्यादा कुछ याद नहीं, लेकिन एक इंटरनेशनल साइकिलिंग खिलाड़ी को देख उनकी दिलचस्पी इस और बढ़ी.
एक बार तेबुरा की इंटरनेशनल महिला खिलाड़ी का स्वागत अंडमान में चल रहा था. इस दौरान मैं भी उनकी समर्थन में नारेबाजी के लिए वहां पर मौजूद था. इसी बीच उस इंटरनेशनल साइकिलिंग खिलाड़ी को लेने के लिए एक महंगी कार आई थी. तभी मैंने ठान लिया था कि मैं भी इस खेल से अपना नाम दुनिया भर में बनाऊंगा और ऐसी ही गाड़ी में बैठूंगा. इसके बाद मैं इस खेल से जुड़ गया. दिल्ली ट्रेनिंग के लिए आया और धीरे धीरे साइकिलिंग की दुनिया में नाम कमाया. जब साइकिलंग में मैंने नाम कमाया तो चार पांच साल बाद अंडमान लौटने पर मुझे भी उसी अंदाज में पार्टी दी गई.
-डेविड बेकहम, साइकिलिंग की ट्रैक रेसिंग में गोल्ड मेडल विजेता-
लक्ष्य 2028 ओलंपिक गेम्स: अंतरराष्ट्रीय साइकिलिंग खिलाड़ी डेविड बेकहम ने बताया कि वह दिल्ली में रह कर एशियन चैंपियनशिप और वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे हैं. जॉब के बारे में उन्होंने कहा कि वह जॉब अभी नहीं चाहते. उन्होंने बताया कि उन्हें जॉब मिल जाएगी तो उनकी लक्ष्य पाने की भूख समाप्त हो सकती है. उन्होंने बताया कि वह रोजाना 5 से 6 घंटे साइकिलिंग को देते हैं. एशियन चैंपियनशिप की उनकी तैयारी चल रही है. अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए वह इसी तरह की मेहनत करते रहेंगे.
सुनामी से पहले माता पिता की हो गई थी मृत्यु, पिता थे फुटबॉलर प्रेमी: नेशनल गेम्स में गोल्ड मेडल की हैट्रिक लगाने वाले डेविड बेकहम ने बताया कि उनके पिता फुटबॉल प्रेमी थे. इसलिए उनका नाम भी इंग्लैंड के फुटबॉल खिलाड़ी डेविड बेकहम के नाम पर उनका नाम रखा गया था. 12 वर्ष की उम्र तक उन्होंने भी फुटबॉल खेला. सुनामी से पूर्व उनके माता पिता की बीमारी के कारण मौत हो गई थी. 12 साल की उम्र में उन्होंने साइकिलिस्ट बनने की ठानी. उन्होंने बताया कि वह नेशनल गेम्स में चार गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. उत्तराखंड 38 वें नेशनल गेम्स में भी उन्होंने गोल्ड जीता है.
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