उत्तरकाशी: इन दिनों उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 144 सालों बाद आने वाला महाकुंभ मेला चल रहा है. प्रयागराज में गंगा और यमुना के संगम पर श्रद्धालु आस्था की डूबकी लगा रहे हैं. इसी कड़ी में आज ईटीवी भारत आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताएगा, जहां प्रयागराज से पहले ही मां गंगा और यमुना का संगम होता है. उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मां गंगा और यमुना की जलधाराएं एक-दूसरे से मिलती हैं.
दरअसल, ये स्थान है उत्तरकाशी जिले के यमुनोत्री हाईवे से लगा गंगनानी. यहां प्राचीन कुंड से भागीरथी का जल एक जलधारा के रूप में निकलकर यमुना से मिलता है. लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव और सरकारी सिस्टम की उपेक्षा के चलते गंगा-यमुना का यह पहला संगम लोगों की नजरों से ओझल है.
उत्तरकाशी के बड़कोट तहसील मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर दूर यमुनोत्री हाईवे पर यमुना तट किनारे गंगनानी नाम की जगह है, जहां प्राचीन कुंड से भागीरथी का जल निकलता है. ये एक जलधारा के रूप में यहां यमुना नदी से मिलता है. इसी स्थान पर सरबडियार की ओर से बहकर आने वाली केदारगंगा के मिलने से यह संगम त्रिवेणी संगम हो जाता है.
कुंड के निकट स्थित गंगा मंदिर के पुजारी हरीश डिमरी और अंकित डिमरी बताते हैं कि, प्राचीन मान्यताओं को देखें तो अपने तपस्या काल में जमदग्नि ऋषि यहां निकट ही थान गांव में निवास करते थे. वो प्रतिदिन गंगा स्नान के लिए उत्तरकाशी जाते थे. हालांकि, वृद्धावस्था में अधिक दूरी को देखते हुए यह संभव नहीं हुआ तो उन्होंने तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर मां गंगा उनके निवास के समीप गंगनानी कुंड में अवतरित हुईं. गंगा मंदिर के पुजारियों का कहना है कि गंगनानी के प्रचार-प्रचार हो तो यह धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है.
घटता-बढ़ता रहता है जल: भागीरथी के समान ही इस कुंड से निकलने वाले जल का स्तर घटता-बढ़ता रहता है. चारों धामों के समान ही टिहरी रियासत के समय हर साल राजकोष से 20 रुपए यहां धूप दीप खर्चे के लिए मनीआर्डर से आता था, जो करीब एक दशक से अधिक समय से टिहरी के राजा मानवेंद्र शाह के निधन के बाद से आना बंद हो चुका है.
कुंड की जातर का होता है आयोजन: पौराणिक धार्मिक महत्व के चलते प्रति वर्ष फरवरी माह में यहां कुंड की जातर का आयोजन होता है, जो इस वर्ष 13 फरवरी से शुरू होगा. त्रिवेणी संगम पर चूड़ाकर्म, शादियों और अन्य धार्मिक कार्यों का महत्व है.
धार्मिक महत्व को देखते हुए पूर्व विधायक ने यहां सामूहिक विवाह केंद्र स्वीकृत कराया था, लेकिन बजट के अभाव में इसका निर्माण अधर में लटका हुआ है. गंगा-यमुना के संगम तट गंगनानी कुंड की अपने आप एक पौराणिक धार्मिक महत्व है. इसको पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए लिए प्रयास किए जा रहे हैं. जिससे स्थानीय लोगों को स्वरोजगार भी मिलेगा.
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