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FATF की ‘रेगूलर फॉलो-अप’ लिस्ट में भारत को मिली जगह, जानें क्या है इसकी अहमियत? - Financial Action Task Force - FINANCIAL ACTION TASK FORCE

FATF Mutual Evaluation Procedure: भारत ने फाइनेंशियल टास्क फोर्स के म्यूचुअल इवैल्यूएशन प्रोसेस को पास कर लिया है और अब इसे रेगूलर फॉलो-अप देशों की कैटेगरी में रखा गया है.

FATF Mutual Evaluation Procedure
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (IANS)
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By Aroonim Bhuyan

Published : Jun 29, 2024, 3:48 PM IST

नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को सिंगापुर में संपन्न फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के म्यूचुअल इवैल्यूएशन के बाद देशों की 'रेगूलर फॉलो-अप' कैटेगरी में शामिल होने को शानदार बताया है. इस संबंध में वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि एफएटीएफ ने 2023-24 के दौरान किए गए म्यूचुअल इवैल्यूएशन में भारत ने एक उत्कृष्ट परिणाम हासिल किया है. भारत की म्यूचुअल इवैल्यूएशन रिपोर्ट में भारत को 'रेगूलर फॉलो-अप' श्रेणी में रखा गया है.

मंत्रालय ने बताया कि इस रिपोर्ट को 26 जून से 28 जून 2024 के बीच सिंगापुर में आयोजित एफएटीएफ प्लेनरी में अडोप्ट किया गया था. यह मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिए देश के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. बयान के अनुसार एफएटीएफ ने भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और संगठित अपराध से प्राप्त आय को वैध बनाने सहित मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग से होने वाले रिस्क को कम करने के लिए भारत के प्रयासों को मान्यता दी है.

भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के जोखिमों को कम करने के लिए कैश की जगह डिजिटल इकोनॉमी ट्रांजिशन को प्रभावी रूप से लागू किया है. इतना ही नहीं भारत ने कैश लेनदेन पर कड़े नियमों के साथ-साथ जन धन, आधार, मोबाइल ट्रिनिटी को लागू किया है, जिससे वित्तीय समावेशन और डिजिटल लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इससे लेनदेन का पता लगाना आसान हो गया है और मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग का रिस्क कम हो गया है और वित्तीय समावेशन भी बढ़ गया है.

क्या है FATF का म्यूचुअल इवैल्यूएशन?
FATF एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 1989 में G7 की पहल पर मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए नीतियां बनाने के उद्देश्य से की गई थी. वहीं, 2001 में आतंकवाद के वित्तपोषण को शामिल करने के लिए इसके अधिदेश का विस्तार किया गया था. FATF का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के खतरों से निपटने के लिए कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना और स्टैंडर्ड निर्धारित करना है.

FATF म्यूचुअल इवैल्यूएशन इन-डेप्थ कंट्री रिपोर्ट है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद से निपटने के उपायों को लागू करने और उनकी प्रभावशीलता का विश्लेषण करती है. FATF की वेबसाइट के अनुसार विभिन्न देशों के सदस्य दूसरे देश का मूल्यांकन करते हैं. म्यूचुअल इवैल्यूएशन रिपोर्ट किसी देश की एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण प्रणाली का गहन विवरण और विश्लेषण करती है. साथ ही इसमें प्रणाली को और मजबूत करने के लिए सिफारिशें भी की जाती है.

म्यूचुअल इवैल्यूएशन के दौरान मूल्यांकन किए गए देश को यह प्रदर्शित करना होता है कि उसके पास फाइनेंशियल सिस्टम को दुरुपयोग से बचाने के लिए एक प्रभावी ढांचा है. प्रभावशीलता और तकनीकी अनुपालन म्यूचुअल इवैल्यूएशन के दो प्रमुख कंपोनेंट होते हैं. म्यूचुअल इवैल्यूएशन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा किसी देश की प्रभावशीलता रेटिंग है. यह देश से अपेक्षा, मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और अन्य जोखिमों के आधार पर भिन्न होती है.

वहीं, कंप्लायंस का मूल्यांकन भी म्यूचुअल इवैल्यूएशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके तहत मूल्यांकन किए गए देश को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद और प्रसार के वित्तपोषण से निपटने के लिए अपने पास मौजूद कानूनों, विनियमों और किसी भी अन्य कानूनी साधनों के बारे में जानकारी प्रदान करनी होती है.

FATF देशों को किन कैटेगरी में रखता है?
FATF देशों को धन शोधन विरोधी और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने (AML/CFT) के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड कंप्लायंस के स्तर के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में रखता है. ये कैटेगररीज FATF की म्यूचुअल इवैल्यूएशन प्रोसेस का हिस्सा हैं, जो देशों के AML/CFT ढांचों और FATF रेकेमंडेशन को लागू करने में उनकी प्रभावशीलता का आकलन करती है. इसकी कई कैटेगरीज होती हैं.

रेगूलर फॉलो-अप
इन देशों ने आपसी मूल्यांकन किया है. इस कैटेगरी के देशों में आम तौर पर एक मजबूत एएमएल/सीएफटी प्रणाली होती है, लेकिन इनमें एफएटीएफ की सिफारिशों के साथ कुछ नॉन-कंप्लायंस क्षेत्र हो सकते हैं. पहचानी गई कमियां इंटरनेशनल फाइनेंस सिस्टम के लिए कोई महत्वपूर्ण जोखिम पैदा नहीं करती हैं.

ग्रे सूची उन देशों की पहचान करती है जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए अपने शासन में रणनीतिक कमियों को दूर करने के लिए एफएटीएफ के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. जब एफएटीएफ किसी क्षेत्राधिकार को बढ़ी हुई निगरानी के तहत रखता है, तो इसका मतलब है कि देश ने पहचानी गई रणनीतिक कमियों को सहमत समय सीमा के भीतर तेजी से हल करने के लिए प्रतिबद्ध किया है और बढ़ी हुई निगरानी के अधीन है.

एन्हांस फॉलो-अप
इस कैटेगरी में आने वाले देशों को हर दो से तीन साल में कमियों को दूर करने में अपनी प्रगति के बारे में FATF को रिपोर्ट करना आवश्यक है. ये वे देश हैं जिनमें नॉन-कंप्लायंस की समस्या है या जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के लिए उच्च जोखिम पैदा करते हैं.

पोस्ट ओबजर्वेशन पीरियड
जिन देशों ने म्यूचुअल इवैल्यूएशन में पहचानी गई कमियों को दूर करने में पर्याप्त प्रगति की है, लेकिन उन्हें समय के साथ अपने एएमएल/सीएफटी उपायों की प्रभावशीलता को बनाए रखने और प्रदर्शित करने की आवश्यकता है. ऐसे देसों को इस श्रेणी में रखा गया है.

ब्लैक लिस्ट में आने वाले देश
ब्लैक लिस्ट में ऐसे देशों को रखा जाता है, जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए गंभीर रणनीतिक खामिया हैं. हाई रिस्क वाले सभी देशों के लिए, FATF सभी सदस्यों से उचित कार्रवाई का आह्वान करता है. इन देशों से कहा जाता है कि वे मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार वित्तपोषण जोखिमों से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की रक्षा के लिए जरूरी उपाय लागू करें.

ग्रे लिस्ट में आने वाले देश
ग्रे सूची में उन देशों को शामिल किया जाता है जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए अपने शासन में रणनीतिक कमियों को दूर करने के लिए FATF के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, जब FATF किसी क्षेत्राधिकार को बढ़ी हुई निगरानी के अंतर्गत रखता है, तो इसका मतलब है कि देश ने सहमत समय-सीमा के भीतर पहचानी गई रणनीतिक कमियों को तेजी से हल करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है और वह बढ़ी हुई निगरानी के अधीन है.

नो फॉलो-अप
इस कैटेगरी के अंतर्गत रखे गए देशों का आपसी मूल्यांकन किया गया है और पाया गया है कि उनकी एएमएल/सीएफटी प्रणालियों में कोई महत्वपूर्ण खामी नहीं है.

रेगूलर फॉलो-अप कैटेगरी के अंतर्गत रखे गए देशों से क्या अपेक्षाएं हैं?
रेगूलर फॉलो-अप कैटेगरी में आने वाले देशों से निरंतर मॉनटरिंग और चालू प्रणाली सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है. यह म्यूचुअल इवैल्यूएशन का न्यूनतम मानक है जो पहले ढाई साल बाद और फिरतीन साल के अंतराल पर सभी सदस्यों पर लागू होता है. अगर किसी देश के ऑन-साइट विजिट के बाद से FATF मानकों में से किसी को संशोधित किया गया है, तो देश को उसके पुनः रेटिंग अनुरोध पर विचार किए जाने के समय सभी संशोधित मानकों के अनुपालन के लिए मूल्यांकन किया जाएगा.

सिंगापुर में एफएटीएफ द्वारा किए गए म्यूचुअल इवैल्यूएशन के बाद शुक्रवार को जारी परिणाम के अनुसार भारत एफएटीएफ आवश्यकताओं के साथ तकनीकी अनुपालन के उच्च स्तर पर पहुंच गया है और इसके धन शोधन विरोधी, आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने और प्रसार वित्तपोषण का मुकाबला करने की व्यवस्था अच्छे परिणाम प्राप्त कर रही है, जिसमें इसके मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग रिस्क, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, बुनियादी और लाभकारी जानकारी तक एक्सेस, वित्तीय खुफिया जानकारी का उपयोग और अपराधियों को उनकी संपत्ति से वंचित करना और प्रसार वित्तपोषण के उपाय शामिल हैं.

हालांकि, कुछ गैर-वित्तीय क्षेत्रों में निवारक उपायों के पर्यवेक्षण और कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए सुधार की आवश्यकता है. भारत को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को समाप्त करने में होने वाली देरी को भी संबोधित करने की आवश्यकता है. साथ ही यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि गैर-लाभकारी क्षेत्र को टेरर फंडिग का दुरुपयोग होने से रोका जाए. इसके लिए सीएफटी उपायों को जोखिम-आधारित दृष्टिकोण के अनुरूप लागू किया जाए.

यह भी पढ़ें- पर्यावरण अनुकूल कृषि की ओर बढ़ें, सिंथेटिक फर्टिलाइजर से हो रहा नुकसान

नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को सिंगापुर में संपन्न फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के म्यूचुअल इवैल्यूएशन के बाद देशों की 'रेगूलर फॉलो-अप' कैटेगरी में शामिल होने को शानदार बताया है. इस संबंध में वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि एफएटीएफ ने 2023-24 के दौरान किए गए म्यूचुअल इवैल्यूएशन में भारत ने एक उत्कृष्ट परिणाम हासिल किया है. भारत की म्यूचुअल इवैल्यूएशन रिपोर्ट में भारत को 'रेगूलर फॉलो-अप' श्रेणी में रखा गया है.

मंत्रालय ने बताया कि इस रिपोर्ट को 26 जून से 28 जून 2024 के बीच सिंगापुर में आयोजित एफएटीएफ प्लेनरी में अडोप्ट किया गया था. यह मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिए देश के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. बयान के अनुसार एफएटीएफ ने भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और संगठित अपराध से प्राप्त आय को वैध बनाने सहित मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग से होने वाले रिस्क को कम करने के लिए भारत के प्रयासों को मान्यता दी है.

भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के जोखिमों को कम करने के लिए कैश की जगह डिजिटल इकोनॉमी ट्रांजिशन को प्रभावी रूप से लागू किया है. इतना ही नहीं भारत ने कैश लेनदेन पर कड़े नियमों के साथ-साथ जन धन, आधार, मोबाइल ट्रिनिटी को लागू किया है, जिससे वित्तीय समावेशन और डिजिटल लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इससे लेनदेन का पता लगाना आसान हो गया है और मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग का रिस्क कम हो गया है और वित्तीय समावेशन भी बढ़ गया है.

क्या है FATF का म्यूचुअल इवैल्यूएशन?
FATF एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 1989 में G7 की पहल पर मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए नीतियां बनाने के उद्देश्य से की गई थी. वहीं, 2001 में आतंकवाद के वित्तपोषण को शामिल करने के लिए इसके अधिदेश का विस्तार किया गया था. FATF का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के खतरों से निपटने के लिए कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना और स्टैंडर्ड निर्धारित करना है.

FATF म्यूचुअल इवैल्यूएशन इन-डेप्थ कंट्री रिपोर्ट है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद से निपटने के उपायों को लागू करने और उनकी प्रभावशीलता का विश्लेषण करती है. FATF की वेबसाइट के अनुसार विभिन्न देशों के सदस्य दूसरे देश का मूल्यांकन करते हैं. म्यूचुअल इवैल्यूएशन रिपोर्ट किसी देश की एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण प्रणाली का गहन विवरण और विश्लेषण करती है. साथ ही इसमें प्रणाली को और मजबूत करने के लिए सिफारिशें भी की जाती है.

म्यूचुअल इवैल्यूएशन के दौरान मूल्यांकन किए गए देश को यह प्रदर्शित करना होता है कि उसके पास फाइनेंशियल सिस्टम को दुरुपयोग से बचाने के लिए एक प्रभावी ढांचा है. प्रभावशीलता और तकनीकी अनुपालन म्यूचुअल इवैल्यूएशन के दो प्रमुख कंपोनेंट होते हैं. म्यूचुअल इवैल्यूएशन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा किसी देश की प्रभावशीलता रेटिंग है. यह देश से अपेक्षा, मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और अन्य जोखिमों के आधार पर भिन्न होती है.

वहीं, कंप्लायंस का मूल्यांकन भी म्यूचुअल इवैल्यूएशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके तहत मूल्यांकन किए गए देश को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद और प्रसार के वित्तपोषण से निपटने के लिए अपने पास मौजूद कानूनों, विनियमों और किसी भी अन्य कानूनी साधनों के बारे में जानकारी प्रदान करनी होती है.

FATF देशों को किन कैटेगरी में रखता है?
FATF देशों को धन शोधन विरोधी और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने (AML/CFT) के लिए इंटरनेशनल स्टैंडर्ड कंप्लायंस के स्तर के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में रखता है. ये कैटेगररीज FATF की म्यूचुअल इवैल्यूएशन प्रोसेस का हिस्सा हैं, जो देशों के AML/CFT ढांचों और FATF रेकेमंडेशन को लागू करने में उनकी प्रभावशीलता का आकलन करती है. इसकी कई कैटेगरीज होती हैं.

रेगूलर फॉलो-अप
इन देशों ने आपसी मूल्यांकन किया है. इस कैटेगरी के देशों में आम तौर पर एक मजबूत एएमएल/सीएफटी प्रणाली होती है, लेकिन इनमें एफएटीएफ की सिफारिशों के साथ कुछ नॉन-कंप्लायंस क्षेत्र हो सकते हैं. पहचानी गई कमियां इंटरनेशनल फाइनेंस सिस्टम के लिए कोई महत्वपूर्ण जोखिम पैदा नहीं करती हैं.

ग्रे सूची उन देशों की पहचान करती है जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए अपने शासन में रणनीतिक कमियों को दूर करने के लिए एफएटीएफ के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. जब एफएटीएफ किसी क्षेत्राधिकार को बढ़ी हुई निगरानी के तहत रखता है, तो इसका मतलब है कि देश ने पहचानी गई रणनीतिक कमियों को सहमत समय सीमा के भीतर तेजी से हल करने के लिए प्रतिबद्ध किया है और बढ़ी हुई निगरानी के अधीन है.

एन्हांस फॉलो-अप
इस कैटेगरी में आने वाले देशों को हर दो से तीन साल में कमियों को दूर करने में अपनी प्रगति के बारे में FATF को रिपोर्ट करना आवश्यक है. ये वे देश हैं जिनमें नॉन-कंप्लायंस की समस्या है या जो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के लिए उच्च जोखिम पैदा करते हैं.

पोस्ट ओबजर्वेशन पीरियड
जिन देशों ने म्यूचुअल इवैल्यूएशन में पहचानी गई कमियों को दूर करने में पर्याप्त प्रगति की है, लेकिन उन्हें समय के साथ अपने एएमएल/सीएफटी उपायों की प्रभावशीलता को बनाए रखने और प्रदर्शित करने की आवश्यकता है. ऐसे देसों को इस श्रेणी में रखा गया है.

ब्लैक लिस्ट में आने वाले देश
ब्लैक लिस्ट में ऐसे देशों को रखा जाता है, जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए गंभीर रणनीतिक खामिया हैं. हाई रिस्क वाले सभी देशों के लिए, FATF सभी सदस्यों से उचित कार्रवाई का आह्वान करता है. इन देशों से कहा जाता है कि वे मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार वित्तपोषण जोखिमों से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की रक्षा के लिए जरूरी उपाय लागू करें.

ग्रे लिस्ट में आने वाले देश
ग्रे सूची में उन देशों को शामिल किया जाता है जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और प्रसार वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए अपने शासन में रणनीतिक कमियों को दूर करने के लिए FATF के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, जब FATF किसी क्षेत्राधिकार को बढ़ी हुई निगरानी के अंतर्गत रखता है, तो इसका मतलब है कि देश ने सहमत समय-सीमा के भीतर पहचानी गई रणनीतिक कमियों को तेजी से हल करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है और वह बढ़ी हुई निगरानी के अधीन है.

नो फॉलो-अप
इस कैटेगरी के अंतर्गत रखे गए देशों का आपसी मूल्यांकन किया गया है और पाया गया है कि उनकी एएमएल/सीएफटी प्रणालियों में कोई महत्वपूर्ण खामी नहीं है.

रेगूलर फॉलो-अप कैटेगरी के अंतर्गत रखे गए देशों से क्या अपेक्षाएं हैं?
रेगूलर फॉलो-अप कैटेगरी में आने वाले देशों से निरंतर मॉनटरिंग और चालू प्रणाली सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है. यह म्यूचुअल इवैल्यूएशन का न्यूनतम मानक है जो पहले ढाई साल बाद और फिरतीन साल के अंतराल पर सभी सदस्यों पर लागू होता है. अगर किसी देश के ऑन-साइट विजिट के बाद से FATF मानकों में से किसी को संशोधित किया गया है, तो देश को उसके पुनः रेटिंग अनुरोध पर विचार किए जाने के समय सभी संशोधित मानकों के अनुपालन के लिए मूल्यांकन किया जाएगा.

सिंगापुर में एफएटीएफ द्वारा किए गए म्यूचुअल इवैल्यूएशन के बाद शुक्रवार को जारी परिणाम के अनुसार भारत एफएटीएफ आवश्यकताओं के साथ तकनीकी अनुपालन के उच्च स्तर पर पहुंच गया है और इसके धन शोधन विरोधी, आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने और प्रसार वित्तपोषण का मुकाबला करने की व्यवस्था अच्छे परिणाम प्राप्त कर रही है, जिसमें इसके मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग रिस्क, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, बुनियादी और लाभकारी जानकारी तक एक्सेस, वित्तीय खुफिया जानकारी का उपयोग और अपराधियों को उनकी संपत्ति से वंचित करना और प्रसार वित्तपोषण के उपाय शामिल हैं.

हालांकि, कुछ गैर-वित्तीय क्षेत्रों में निवारक उपायों के पर्यवेक्षण और कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए सुधार की आवश्यकता है. भारत को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को समाप्त करने में होने वाली देरी को भी संबोधित करने की आवश्यकता है. साथ ही यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि गैर-लाभकारी क्षेत्र को टेरर फंडिग का दुरुपयोग होने से रोका जाए. इसके लिए सीएफटी उपायों को जोखिम-आधारित दृष्टिकोण के अनुरूप लागू किया जाए.

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