हैदराबाद: शरीर स्वस्थ तो मन स्वस्थ और हेल्दी डाइट से यह संभव है. हालांकि, आज भागदौड़ भरी जिंदगी में अपनी डाइट को लेकर लापरवाही एक नॉर्मल सी बात हो चुकी है. यह लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है. ऐसा हम नहीं भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का कहना है. ICMR ने बताया है कि भारत में कुल बीमारी का 56.4 प्रतिशत अनहेल्दी डाइट की वजह से है.
आईसीएमआर ने कहा कि हेल्दी डाइट और फिजिकल एक्टिविटी कोरोनरी हार्ट रोग (सीएचडी) के एक बड़े अनुपात को कम कर सकती है और हाई ब्लड प्रेशर (एचटीएन) और टाइप 2 शुगर को 80 प्रतिशत तक रोक सकता है. आईसीएमआर ने कहा कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर समय से पहले होने वाली मौत के खतरे को रोका जा सकता है. बायोमेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) रिपोर्ट में बताया गया है कि संतुलित डाइट पोषण संबंधी कमियों के सभी प्रतिकूल प्रभावों को रोकता है और विकास भी सुनिश्चित करता है.
व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण 2019 (सीएनएनएस) के डाटा से पता चलता है कि बड़ी संख्या में बच्चों में गैर-संचारी रोग (एनसीडी) और इससे संबंधित जैसे शुगर और हाई बीपी के शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं. आधे से अधिक कुपोषित और सामान्य वजन वाले बच्चों और किशोरों में हेल्थ संबंधित स्वास्थ्य चिंताओं को जन्म देती है.
बढ़ते वजन को ना करें इग्नोर
शर्करा और वसा से भरे खाद्य पदार्थों की खपत में वृद्धि, कम शारीरिक गतिविधि और पोषक तत्वों की कमी आपके लिए मोटापे की समस्या को बढ़ा सकती है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन) की रिपोर्ट के अनुसार अनहेल्दी, उच्च वसा, चीनी और नमक हेल्दी ऑप्शन की तुलना में अधिक किफायती और सुलभ हो गए हैं. ऐसे में लोग भोजन की थाली में इन अनहेल्दी चीजों को शामिल करने लगे हैं. परिणामस्वरुप शरीर का वजन तेजी से बढ़ता जा रहा है.
सीएनएनएस रिपोर्ट के अनुसार 1-4 वर्ष की आयु के 40.6 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का जिक्र करते हुए आईसीएमआर ने कहा कि इसी आयु वर्ग के 32.1 फीसदी बच्चे आयरन की कमी से पीड़ित हैं. इसी तरह, 10-19 वर्ष की आयु के 36.7 प्रतिशत बच्चे फोलेट की कमी से पीड़ित हैं. गैर-संचारी रोगों का जिक्र करते हुए आईसीएमआर ने कहा कि 5-9 साल की उम्र के 34.0 प्रतिशत बच्चे उच्च ट्राइग्लिसराइड्स से पीड़ित हैं. 10-19 वर्ष की आयु के कम से कम 28.2 प्रतिशत बच्चे कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) से पीड़ित हैं. एनएफएचएस 5, 2021 के अनुसार, 24.0 प्रतिशत पुरुष हाई बीपी से पीड़ित हैं, जबकि 21.3 प्रतिशत महिलाएं समान एनसीडी से पीड़ित हैं. 18-69 आयु वर्ग के कम से कम 47.7 प्रतिशत पुरुष पेट के मोटापे से पीड़ित हैं और इसी आयु वर्ग की 56.7 प्रतिशत महिलाएं पेट के मोटापे से पीड़ित हैं. 18-69 आयु वर्ग के बीच 22.9 प्रतिशत पुरुष और 24.0 प्रतिशत महिलाएं अधिक वजन और मोटापे से पीड़ित हैं.
'माई प्लेट फॉर द डे में शामिल करें यह
ICMR- NIN ने 'माई प्लेट फॉर द डे' में कम से कम आठ खाद्य समूहों से सोर्सिंग की सिफारिश करता है, जिसमें सब्जियां, फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, जड़ें और कंद अनिवार्य रूप से प्लेट का आधा हिस्सा होते हैं. इसके साथ ही खाने की प्लेट में अनाज और बाजरा का कब्जा भी होना चाहिए. इसके साथ दालें, मांस, अंडे, मेवे, तेल के बीज और दूध, दही हैं.
आंकड़ों के अनुसार, प्रतिदिन कुल एनर्जी में अनाज का 50 प्रतिशत से 70 प्रतिशत, दालें, मांस, मुर्गी और मछली मिलकर प्रतिदिन कुल ऊर्जा में 6 प्रतिशत से 9 प्रतिशत का योगदान देते हैं, जबकि इन खाद्य पदार्थों से कुल ऊर्जा का सेवन स्तर 14 प्रतिशत है.