हैदराबाद : अक्सर आपने देखा होगा कि गांवों में लोग बड़े भोज के दौरान पत्तल पर खाना खाते हैं. भारत में इसकी परंपरा काफी पुरानी है. बल्कि ऐसा कहें कि यह हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.
जब भी सार्वजनिक भोज या बड़े आयोजन होते हैं, तो ऐसा कहा जाता है कि इतने अधिक लोगों के लिए स्टील या फिर किसी मेटल की थाली का इंतजाम करना मुश्किल होता है, इसलिए पत्तल पर खाना खिलाया जाता है. लेकिन बहुत कम लोगों को पत्तल पर खाने के फायदे के बारे में जानकारी है. यह स्वास्थ्य की दृष्टि से यह कितना उत्तम है, यह जानकर आपको हैरानी होगी. वैसे, पर्यावरण की दृष्टि से भी देखें, तो यह पूरी तरह से सुरक्षित है.
स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदे
सबसे पहला फायदा तो यही है कि इन पत्तलों में किसी भी प्रकार के केमिकल या रासायनिक पदार्थ का प्रयोग नहीं किया जाता है. आप जहां से पत्ते को प्राप्त करते हैं, उसे अच्छी तरह से धोकर रख लीजिए, यह आपके यूज के लिए तैयार होता है. या फिर आप इसे बाजार से खरीदते भी हैं, तो इसे पानी से धो लीजिए, यह यूज के लिए तैयार है.
केले के पत्ते
आपको बता दें कि केले के पत्ते में पॉलीफेनॉल्स होते हैं. यह एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट होता है. जैसे ही आप केले के पत्ते पर भोजन रखते हैं, भोजन में पॉलीफेनॉल्स प्रवेश करता है और आपके शरीर को एंटी ऑक्सीडेंट प्राप्त हो जाता है. यह आपके भोजन को पचाने में मदद करता है.
#ChooseLiFE: Green Living for a Sustainable Lifestyle☘️
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) June 16, 2023
➡️Banana Plate for Healthy Eating
👉Banana leaf plates have been used for centuries and are a healthier and more sustainable option than disposable plates. When hot food is placed on the leaf it releases nutrients and adds… pic.twitter.com/ChQUn9wUS2
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपने एक ट्वीट में लिखा है -
केले के पत्तों की प्लेटों का उपयोग सदियों से किया जाता रहा है और यह डिस्पोजेबल प्लेटों की तुलना में अधिक स्वस्थ और टिकाऊ विकल्प हैं. जब गर्म भोजन को पत्ते पर रखा जाता है तो इससे पोषक तत्व निकलते हैं और खाने में सुगंध आती है. परोसने से पहले शुद्धिकरण के लिए पत्ते पर पानी छिड़का जाता है. साथ ही, प्लेटें बायोडिग्रेडेबल हैं, जो उन्हें पर्यावरण-अनुकूल विकल्प बनाती हैं.
अगर आप पलाश के पत्तल में भोजन करते हैं, तो कहा जाता है कि आपको सोने के बर्तन में खाना खाने के बराबर फायदा मिलता है. पलाश के पत्ते में भोजन करने से खून की अशुद्धियां भी दूर होती हैं. पाचन की समस्या है, तो भी आप पलाश के पत्ते में भोजन कर सकते हैं.
सागौन के पत्ते में खाना खाने से स्कीन में ग्लो आता है. इसमें फाइबर भरपूर होता है.
कमल के पत्ते में खाना खाने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है.
पर्यावरण के लिए अनुकूल
पत्तलों की लागत कम होती है. आप इसे रोजगार से भी जोड़ सकते हैं. पर्यावरण भी सही रहता है. पत्तलों को ले जाना आसान होता है. इसे धोना नहीं पड़ता है. पानी भी कम खर्च होगा. किसी केमिकल की जरूरत नहीं पड़ती है. शरीर को नुकसान नहीं होगा.
एक बार जब आपने पत्तल का उपयोग कर लिया, तो आप इसे फेंक देते हैं. यह खुद-ब-खुद डिकंपोज हो जाता है. किसी भी बीमारी या संक्रमण के फैलने का खतरा नहीं रहता है. पत्तल को खाद के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है. आपको इसे जमीन के नीचे गाड़ना होगा, उसके बाद इससे खाद तैयार हो जाता है.
केले और साल के पत्ते में कई औषधीय गुण होते हैं. इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है.
प्लास्टिक के पत्तल नुकसानदायी
दूसरी ओर प्लास्टिक के पत्तलों का उपयोग करेंगे, तो इसे डिंकपोज होने में न सिर्फ अधिक समय लगता है, बल्कि कई बार यह पूरी तरह से अपघटित भी नहीं होता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से इसे सही नहीं माना जाता है. प्लास्टिक का निर्माण केमिकल से होता है.
(डिस्क्लेमर : कोई भी निर्णय लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें. ऊपर दी गई जानकारी मीडिया स्रोत पर आधारित हैं.)
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