ETV Bharat / health

अनोखी दुनिया पातालकोट में मिलेगी हर मर्ज की दवा, आयुर्वेदिक नर्सरी में तैयार हो रहे हजारों औषधि पौधे - Medicine available in Patalkot

रहस्य और रोमांच से भरे पातालकोट में अब आयुर्वेदिक की नर्सरी बनने जा रही है. जिसमें हर तरह के मर्ज की दवा उपलब्ध होगी. वन विभाग इस नर्सरी में लुप्त हो रहे वन औषधी के पौधों को लगाने जा रहा है. यह पौधे बड़े होने के बाद औषधीय के काम आएंगे.

AAYURVED NURSERY PATALKOT
पातालकोट में बनेंगी आयुर्वेदिक दवाएं (Etv Bharat Graphics)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 1, 2024, 9:58 AM IST

छिंदवाड़ा। तामिया और पातालकोट के जंगलों में हर मर्ज की आयुर्वेदिक दवा मिलेगी. इसके लिए वन विभाग द्वारा आयुर्वेदिक नर्सरी तैयार की जा रही है. जिसमें करीब 10000 पौधे लगाए जा रहे हैं. जिन्हें बाद में आदिवासियों को वितरित किया जाएगा, ताकि वे इसका उपयोग आयुर्वेद में कर आर्थिक मजबूत हो सकें. बता दें कि पातालकोट के लोग अपनी औषधी से ही हर मर्ज का इलाज करते हैं. यही कारण है कि जब कोरोना पूरे देश में फेल गया था, तब पातालकोट के लोग सामान्य जीवन जी रहे थे.

MEDICINE AVAILABLE IN PATALKOT
10 हजार से ज्यादा औषधि पौधे हो रहे तैयार (Etv Bharat)

10 हजार से ज्यादा औषधि पौधे लगाए जा रहे
विलुप्त हो रही वन औषधी को संजोए रखने का जिम्मा वन विभाग ने लिया है. इसके लिए तामिया पातालकोट के पास वन विभाग वन औषधी की नर्सरी तैयार कर रहा है. इस नर्सरी में लुप्त हो रहे वन औषधी के पौधों को लगाया जा रहा है. जहां कुछ समय बाद यह पौधे तैयार होने के बाद औषधी के लिए काम आएंगे. वनविभाग इस नर्सरी को तैयार कर रहा है लेकिन इसके जरिए आने वाले दिनों में वन औषधी मिल जाएगी. पश्चिम वनमंडल तामिया और पातालकोट के जंगल में दस हजार से ज्यादा पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है. जिसमें आने वाले कुछ दिनों में हर मर्ज की दवा मिल जाएगी. श्रीझौंत के पास नर्सरी तैयार की गई जहां पर जड़ी-बूटी देने वाले पौधे तैयार किए गए हैं. अब बारिश के इस मौसम में इन पौधों को लगाया जाएगा. जहां कुछ सालों बाद पौधे बढ़े होकर औषधी देने का काम करेंगे. पश्चिम वनमंडल क्षेत्र में वैसे तो 290 प्रकार के औषधी पौधे पाए जाते हैं.

अभी तक इन प्रजातियों के हैं पौधे
वनमंडल में अभी 188 प्रजाति के वृक्ष, 110 झाड़ियां, 577 प्रकार के छोटे पौधे, 132 प्रजाति की बेलाएं, 144 प्रजाति के घास और बम्बू, 98 प्रकार की अलगी शैवाल, 63 प्रकार के फंजाई है. इस प्रकार 21 प्रकार के आर्कीड और 290 प्रकार के औषधीय पौधों को समेटे हुए है.

AAYURVED NURSERY PATALKOT
पातालकोट में मिलेगी अब हर मर्ज की दवा (Etv Bharat)

20 प्रकार के पौधे तैयार किए नर्सरी में
तामिया वन विभाग के फॉरेस्ट रेंजर हिमांशु विश्वकर्मा ने बताया कि ''पातालकोट क्षेत्र में जैव विविधता विरासत स्थल के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए चिन्हित किया गया है. इसी के तहत पश्चिम वनमंडल के तामिया परिक्षेत्र में विलुप्त हो रहे पौधे एवं बेला की नर्सरी तैयार की जा रही है. तकरीबन दस हजार पौधे इस नर्सरी में तैयार हो रहे हैं. जिसमें औषधी देने वाले और विलुप्त हो चुके आचार, महुआ, बेल, विधार, हाड़जोड़, गिलोय, काली हल्दी, काली मूसली, बहेड़ा, बच, सतावर, मालकांगनी, केवकन्द, भिलमा, पारस पीपल, पुत्रजीवा, सुवारूख, कुसुम, सर्पगंधा, पथरचट्टा के पौधे लगाए हैं. जिन पौधों को लगाया जा रहा है यह किसी न किसी दवाई के रुप में काम आती है.''

Also Read:

पातालकोट के आदिवासियों की 4 इम्युनिटी बूस्टर बूटियां नस-नस को देंगी ताकत, जानें नाम और काम - Patalkot herbs immunity booster

पाताललोक के आदिवासियों की 4 जड़ी बूटी शरीर में भर देती है ताकत, सर्दी गर्मी बारिश में बढ़ाती है इम्यूनिटी - Spice Cultivation In Madhya Pradesh

कांटे वाला पौधा नहीं चमत्कारिक औषधि है 'गटारन', कई मर्ज की एक दवा हैं इसके बीज - Magical Plant Gataran

तामिया क्षेत्र में वन औषधी के साथ मसाले की भी खेती
औषधी पौधों के लिए पहचान रखने वाले तामिया पातालकोट की वादियों में अब मसाला पौधों की भी खेती होगी. पिछले दिनों केरल से आए वैज्ञानिकों ने इन क्षेत्रों का सर्वे करने के बाद अनुकुल वातावरण बताया है जिसके बाद अब मसाला वाले पौधों को तैयार किया जा रहा है. वैज्ञानिकों के अनसार इस वातावरण में औषधी पौधे तैयार हो सकते हैं. जिसके बाद मसाला जैसे लौंग, इलायची, जायफल की खेती हो रही है.

मसाला फसलों के उत्पादन के लिए अनुकूल

प्रारंभिक तौर पर जिले के चार विकासखंडों अमरवाड़ा, हर्रई, तामिया एवं जुन्नारदेव में इस नवाचार को मूर्त रूप दिया जा रहा है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यहां कि क्लाइमेटिक कंडीशन इन मसाला वर्गीय फसलों के उत्पादन के लिए अनुकूल हैं. लौंग, इलायची, काली मिर्च एवं तेजपत्ता की खेती जिले के विकासखण्ड अमरवाड़ा, हर्रई, तामिया एवं जुन्नारदेव के 39 कृषकों को मसाला वर्ग की लौंग, इलायची, काली मिर्च एवं तेजपत्ता फसल की खेती की जाएगी. SPICE CULTIVATION IN PATALKOT

छिंदवाड़ा। तामिया और पातालकोट के जंगलों में हर मर्ज की आयुर्वेदिक दवा मिलेगी. इसके लिए वन विभाग द्वारा आयुर्वेदिक नर्सरी तैयार की जा रही है. जिसमें करीब 10000 पौधे लगाए जा रहे हैं. जिन्हें बाद में आदिवासियों को वितरित किया जाएगा, ताकि वे इसका उपयोग आयुर्वेद में कर आर्थिक मजबूत हो सकें. बता दें कि पातालकोट के लोग अपनी औषधी से ही हर मर्ज का इलाज करते हैं. यही कारण है कि जब कोरोना पूरे देश में फेल गया था, तब पातालकोट के लोग सामान्य जीवन जी रहे थे.

MEDICINE AVAILABLE IN PATALKOT
10 हजार से ज्यादा औषधि पौधे हो रहे तैयार (Etv Bharat)

10 हजार से ज्यादा औषधि पौधे लगाए जा रहे
विलुप्त हो रही वन औषधी को संजोए रखने का जिम्मा वन विभाग ने लिया है. इसके लिए तामिया पातालकोट के पास वन विभाग वन औषधी की नर्सरी तैयार कर रहा है. इस नर्सरी में लुप्त हो रहे वन औषधी के पौधों को लगाया जा रहा है. जहां कुछ समय बाद यह पौधे तैयार होने के बाद औषधी के लिए काम आएंगे. वनविभाग इस नर्सरी को तैयार कर रहा है लेकिन इसके जरिए आने वाले दिनों में वन औषधी मिल जाएगी. पश्चिम वनमंडल तामिया और पातालकोट के जंगल में दस हजार से ज्यादा पौधों की नर्सरी तैयार की जा रही है. जिसमें आने वाले कुछ दिनों में हर मर्ज की दवा मिल जाएगी. श्रीझौंत के पास नर्सरी तैयार की गई जहां पर जड़ी-बूटी देने वाले पौधे तैयार किए गए हैं. अब बारिश के इस मौसम में इन पौधों को लगाया जाएगा. जहां कुछ सालों बाद पौधे बढ़े होकर औषधी देने का काम करेंगे. पश्चिम वनमंडल क्षेत्र में वैसे तो 290 प्रकार के औषधी पौधे पाए जाते हैं.

अभी तक इन प्रजातियों के हैं पौधे
वनमंडल में अभी 188 प्रजाति के वृक्ष, 110 झाड़ियां, 577 प्रकार के छोटे पौधे, 132 प्रजाति की बेलाएं, 144 प्रजाति के घास और बम्बू, 98 प्रकार की अलगी शैवाल, 63 प्रकार के फंजाई है. इस प्रकार 21 प्रकार के आर्कीड और 290 प्रकार के औषधीय पौधों को समेटे हुए है.

AAYURVED NURSERY PATALKOT
पातालकोट में मिलेगी अब हर मर्ज की दवा (Etv Bharat)

20 प्रकार के पौधे तैयार किए नर्सरी में
तामिया वन विभाग के फॉरेस्ट रेंजर हिमांशु विश्वकर्मा ने बताया कि ''पातालकोट क्षेत्र में जैव विविधता विरासत स्थल के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए चिन्हित किया गया है. इसी के तहत पश्चिम वनमंडल के तामिया परिक्षेत्र में विलुप्त हो रहे पौधे एवं बेला की नर्सरी तैयार की जा रही है. तकरीबन दस हजार पौधे इस नर्सरी में तैयार हो रहे हैं. जिसमें औषधी देने वाले और विलुप्त हो चुके आचार, महुआ, बेल, विधार, हाड़जोड़, गिलोय, काली हल्दी, काली मूसली, बहेड़ा, बच, सतावर, मालकांगनी, केवकन्द, भिलमा, पारस पीपल, पुत्रजीवा, सुवारूख, कुसुम, सर्पगंधा, पथरचट्टा के पौधे लगाए हैं. जिन पौधों को लगाया जा रहा है यह किसी न किसी दवाई के रुप में काम आती है.''

Also Read:

पातालकोट के आदिवासियों की 4 इम्युनिटी बूस्टर बूटियां नस-नस को देंगी ताकत, जानें नाम और काम - Patalkot herbs immunity booster

पाताललोक के आदिवासियों की 4 जड़ी बूटी शरीर में भर देती है ताकत, सर्दी गर्मी बारिश में बढ़ाती है इम्यूनिटी - Spice Cultivation In Madhya Pradesh

कांटे वाला पौधा नहीं चमत्कारिक औषधि है 'गटारन', कई मर्ज की एक दवा हैं इसके बीज - Magical Plant Gataran

तामिया क्षेत्र में वन औषधी के साथ मसाले की भी खेती
औषधी पौधों के लिए पहचान रखने वाले तामिया पातालकोट की वादियों में अब मसाला पौधों की भी खेती होगी. पिछले दिनों केरल से आए वैज्ञानिकों ने इन क्षेत्रों का सर्वे करने के बाद अनुकुल वातावरण बताया है जिसके बाद अब मसाला वाले पौधों को तैयार किया जा रहा है. वैज्ञानिकों के अनसार इस वातावरण में औषधी पौधे तैयार हो सकते हैं. जिसके बाद मसाला जैसे लौंग, इलायची, जायफल की खेती हो रही है.

मसाला फसलों के उत्पादन के लिए अनुकूल

प्रारंभिक तौर पर जिले के चार विकासखंडों अमरवाड़ा, हर्रई, तामिया एवं जुन्नारदेव में इस नवाचार को मूर्त रूप दिया जा रहा है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यहां कि क्लाइमेटिक कंडीशन इन मसाला वर्गीय फसलों के उत्पादन के लिए अनुकूल हैं. लौंग, इलायची, काली मिर्च एवं तेजपत्ता की खेती जिले के विकासखण्ड अमरवाड़ा, हर्रई, तामिया एवं जुन्नारदेव के 39 कृषकों को मसाला वर्ग की लौंग, इलायची, काली मिर्च एवं तेजपत्ता फसल की खेती की जाएगी. SPICE CULTIVATION IN PATALKOT

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.