मुंबई: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने घोषणा की कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) 1 अप्रैल, 2025 से तकनीकी दिक्कत की स्थिति में एक दूसरे के लिए अल्टरनेटिव ट्रेडिंग वेन्यू के रूप में काम करेंगे.
सेबी ने अपने सर्कुलर में कहा कि इस कदम का उद्देश्य निवेशकों को व्यापार रुकने के दौरान मूल्य जोखिमों से बचाना है. विशेष रूप से तब जब कंपनियां बाजार को प्रभावित करने वाली घोषणाएं करती हैं, जिससे शेयर की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं. इस प्रकार यदि उस समय किसी अन्य एक्सचेंज पर समान ट्रेडिंग उपलब्ध हों, तो इससे निवेशकों को दूसरे एक्सचेंज पर समान सूचकांकों में ऑफसेटिंग पोजीशन लेकर अपनी खुली पोजीशन को हेज करने की सुविधा मिलेगी.
एक दूसरे के विकल्प के रूप में काम करने के लिए एक्सचेंज किस प्रक्रिया का पालन करेंगे?
सेबी ने कहा कि किसी भी तकनीकी गड़बड़ी या व्यवधान से प्रभावित एक्सचेंज को घटना के 75 मिनट के भीतर वैकल्पिक ट्रेडिंग स्थल और सेबी को मामले की सूचना देनी होगी. वैकल्पिक एक्सचेंज को सूचना प्राप्त करने के 15 मिनट के भीतर व्यवसाय निरंतरता योजना (बीसीपी) लागू करनी चाहिए.
यह नकद बाजार, इक्विटी डेरिवेटिव, मुद्रा डेरिवेटिव, ब्याज दर डेरिवेटिव, सामान्य स्क्रिप, एकल स्टॉक सूचकांकों पर डेरिवेटिव, मुद्रा डेरिवेटिव खंड और ब्याज दर डेरिवेटिव पर लागू होगा.