ETV Bharat / bharat

गाय को डिस्पोजल खाते देखा तो छोड़ दी लाखों की नौकरी, इसके बाद जो किया उससे हो रही लाखों की कमाई - Sachin Made Dona Pattal

एमपी के एक युवा ने पर्यावरण और गाय को प्लास्टिक खाने से बचाने की नई पहल शुरू की है. हाई पैकेज की नौकरी छोड़कर पेड़ के पत्तों से दोना-पत्तल बनाने का काम शुरू किया. जिससे गोवंश के साथ पर्यावरण में भी सुधार हो रहा है. साथ ही लाखों की कमाई भी हो रही है.

SACHIN MADE DONA PATTAL
गाय डिस्पोजल खाते देखा तो छोड़ दी लाखों की नौकरी (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 31, 2024, 7:13 PM IST

Updated : May 31, 2024, 10:12 PM IST

भोपाल। प्लास्टिक व थर्माकोल से बने दोने-पत्तलों को इस्तेमाल करने के बाद लोग इसे कूड़ेदान में फेंक देते हैं. इसमें लोगों की जूठन बची होने से इसे गोवंश अक्सर खाकर बीमार हो जाते हैं, लेकिन इसको लेकर कम ही लोग कुछ प्रयास करने की सोचते हैं. हालांकि ऐसी ही एक घटना भोपाल के सचिन मदान के सामने हुई. जिसमें उन्होंने देखा कि एक गाय कूड़ेदान में पड़ी हुई डिस्पोजल को खा रही है. इस घटना को देखकर सचिन काफी आहत हुए और उन्होंने इसका विकल्प तलाशने के बारे में सोचा.

गाय को डिस्पोजल खाते देखा तो छोड़ दी लाखों की नौकरी (ETV Bharat)

नौकरी छोड़कर शुरू किया स्टार्टअप

सचिन मदान बताते हैं, कि साल 2020 के पहले तक वो एक निजी संस्थान में नौकरी करते थे. इससे उन्हें ठीक-ठाक पैकेज मिल जाता था, लेकिन गाय को डिस्पोजल खाते हुए देखने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर कुछ ऐसा करने का प्लान बनाया. जिससे पर्यावरण सरंक्षण के साथ गोवंश को थर्माकोल और प्लास्टिक खाने से बचाया जा सके. इसके बाद उन्होंने पेड़ के पत्तों से दोना-पत्तल बनाने का काम शुरू किया. यदि यह दोना-पत्तल जानवर खा भी लें, तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा. साथ ही यदि यह कचरा मिट्टी में फेंक दिया जाए, तो आसानी से डिकंपोज हो जाएगा.

SACHIN MADE DONA PATTAL
दोना पत्तल में खाना खाते पूर्व सीएम व उनकी पत्नी (ETV Bharat)

हर महीने 4 से 5 लाख रुपये की हो रही कमाई

सचिन मदान के विराज ग्रीन्स नाम का स्टार्टअप प्रतिदिन करीब 10 हजार दोने-पत्तल का उत्पादन करता है. जिससे उन्हें हर महीने करीब 4 से 5 लाख रुपये की कमाई हो जाती है. आने वाले एक साल में सचिन इस कंपनी का टर्न ओवर एक करोड़ रुपये तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. उनका कहना है कि विदेशों में भी प्लास्टिक के कचरे को खत्म करने के लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं. इसके लिए लोग भारत की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में सचिन अब दोना-पत्तलों को देश से बाहर भी एक्सपोर्ट करने की योजना बना रहे हैं.

प्लास्टिक फ्री अभियान से देशभर में 10 हजार लोग जुड़े

सचिन ने बताया कि उनका उद्देश्य शहरों में प्लास्टिक और थर्माकोल के कचरे को कम करना है. इसीलिए वो एमपी के ट्राइबल क्षेत्रों में जाकर लोगों को अधिक से अधिक दोना-पत्तल बनाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. एमपी के बाहर झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड में भी लोगों को प्रशिक्षण दे चुके हैं. अब तक उनके इस मुहिम से देशभर में 10 हजार लोग जुड़ चुके हैं. साथ ही करीब सात हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है. वहीं ट्राइबल डिपार्टमेंट, जिला पंचायत, एनजीओ, एनटीपीसी और जबलपुर में आर्मी की जीआरसी यूनिट व अन्य संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

यहां पढ़ें...

मिलिए कलयुग के भागीरथ से, पहली नदी को लिया गोद, अब सूखी नदी में पानी लाने जगाए 36 गांव

नगर निगम भोपाल की सराहनीय पहल, इस तरह गोवंश के लिए खाना इकठ्ठा कर रहे कचरा वाहन

महुआ, पलाश और बरगद के पत्तों से बना रहे पत्तल

सचिन बताते हैं कि पर्यावरण को लेकर कुछ करना चाहता था. दोने-पत्तल में खाना खाते बचपन में देखा था. इसलिए इस दिशा में स्टॉर्टअप तैयार किया. जिन पत्तियों से हम दोने-पत्तल बनाते हैं, वह ऐसी पत्तियां हैं कि अगर पेट में भी चली जाएं तो इससे नुकसान नहीं होगा. यह पूरी तरह केमिकल और ग्लू फ्री हैं. महुआ सहित साल, पलाश और बरगद के पत्तों से यह दोने-पत्तल तैयार हो रहे हैं. वर्तमान में 10 हजार प्रतिदिन इसका उत्पादन है. इसमें 3 इंच से लेकर 14 इंच तक के साईज हैं. इनका ही सबसे ज्यादा प्रचलन है.

भोपाल। प्लास्टिक व थर्माकोल से बने दोने-पत्तलों को इस्तेमाल करने के बाद लोग इसे कूड़ेदान में फेंक देते हैं. इसमें लोगों की जूठन बची होने से इसे गोवंश अक्सर खाकर बीमार हो जाते हैं, लेकिन इसको लेकर कम ही लोग कुछ प्रयास करने की सोचते हैं. हालांकि ऐसी ही एक घटना भोपाल के सचिन मदान के सामने हुई. जिसमें उन्होंने देखा कि एक गाय कूड़ेदान में पड़ी हुई डिस्पोजल को खा रही है. इस घटना को देखकर सचिन काफी आहत हुए और उन्होंने इसका विकल्प तलाशने के बारे में सोचा.

गाय को डिस्पोजल खाते देखा तो छोड़ दी लाखों की नौकरी (ETV Bharat)

नौकरी छोड़कर शुरू किया स्टार्टअप

सचिन मदान बताते हैं, कि साल 2020 के पहले तक वो एक निजी संस्थान में नौकरी करते थे. इससे उन्हें ठीक-ठाक पैकेज मिल जाता था, लेकिन गाय को डिस्पोजल खाते हुए देखने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर कुछ ऐसा करने का प्लान बनाया. जिससे पर्यावरण सरंक्षण के साथ गोवंश को थर्माकोल और प्लास्टिक खाने से बचाया जा सके. इसके बाद उन्होंने पेड़ के पत्तों से दोना-पत्तल बनाने का काम शुरू किया. यदि यह दोना-पत्तल जानवर खा भी लें, तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा. साथ ही यदि यह कचरा मिट्टी में फेंक दिया जाए, तो आसानी से डिकंपोज हो जाएगा.

SACHIN MADE DONA PATTAL
दोना पत्तल में खाना खाते पूर्व सीएम व उनकी पत्नी (ETV Bharat)

हर महीने 4 से 5 लाख रुपये की हो रही कमाई

सचिन मदान के विराज ग्रीन्स नाम का स्टार्टअप प्रतिदिन करीब 10 हजार दोने-पत्तल का उत्पादन करता है. जिससे उन्हें हर महीने करीब 4 से 5 लाख रुपये की कमाई हो जाती है. आने वाले एक साल में सचिन इस कंपनी का टर्न ओवर एक करोड़ रुपये तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. उनका कहना है कि विदेशों में भी प्लास्टिक के कचरे को खत्म करने के लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं. इसके लिए लोग भारत की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में सचिन अब दोना-पत्तलों को देश से बाहर भी एक्सपोर्ट करने की योजना बना रहे हैं.

प्लास्टिक फ्री अभियान से देशभर में 10 हजार लोग जुड़े

सचिन ने बताया कि उनका उद्देश्य शहरों में प्लास्टिक और थर्माकोल के कचरे को कम करना है. इसीलिए वो एमपी के ट्राइबल क्षेत्रों में जाकर लोगों को अधिक से अधिक दोना-पत्तल बनाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं. एमपी के बाहर झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड में भी लोगों को प्रशिक्षण दे चुके हैं. अब तक उनके इस मुहिम से देशभर में 10 हजार लोग जुड़ चुके हैं. साथ ही करीब सात हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है. वहीं ट्राइबल डिपार्टमेंट, जिला पंचायत, एनजीओ, एनटीपीसी और जबलपुर में आर्मी की जीआरसी यूनिट व अन्य संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

यहां पढ़ें...

मिलिए कलयुग के भागीरथ से, पहली नदी को लिया गोद, अब सूखी नदी में पानी लाने जगाए 36 गांव

नगर निगम भोपाल की सराहनीय पहल, इस तरह गोवंश के लिए खाना इकठ्ठा कर रहे कचरा वाहन

महुआ, पलाश और बरगद के पत्तों से बना रहे पत्तल

सचिन बताते हैं कि पर्यावरण को लेकर कुछ करना चाहता था. दोने-पत्तल में खाना खाते बचपन में देखा था. इसलिए इस दिशा में स्टॉर्टअप तैयार किया. जिन पत्तियों से हम दोने-पत्तल बनाते हैं, वह ऐसी पत्तियां हैं कि अगर पेट में भी चली जाएं तो इससे नुकसान नहीं होगा. यह पूरी तरह केमिकल और ग्लू फ्री हैं. महुआ सहित साल, पलाश और बरगद के पत्तों से यह दोने-पत्तल तैयार हो रहे हैं. वर्तमान में 10 हजार प्रतिदिन इसका उत्पादन है. इसमें 3 इंच से लेकर 14 इंच तक के साईज हैं. इनका ही सबसे ज्यादा प्रचलन है.

Last Updated : May 31, 2024, 10:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.