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यूरोपियन यूनियन ने भारतीय कंपनियों पर क्यों लगाए प्रतिबंध, जानिए इसकी वजह

EU Sanctioned Indian Companies : रूस-यूक्रेन युद्ध की आंच अब भारतीय कंपनियों पर भी पड़ने लगी है. यूरोपीय यूनियन ने भारत समेत कई देशों की कंपनियों को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया है. जिन कंपनियों को इस सूची में डाला गया है, वे ईयू के साथ व्यापार नहीं कर सकेंगे. किन कंपनियों को इस सूची में डाला गया है और इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, जाननें के लिए पढ़ें पूरी स्टोरी.

EU Sanctioned Indian Chinese Companies
प्रतीकात्मक तस्वीर.
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 1, 2024, 2:15 PM IST

नई दिल्ली : यूरोपीय संघ ने रूस, भारत, ईरान, चीन और सीरिया सहित कई देशों की कंपनियों, संस्थाओं या लोगों पर प्रतिबंधों की एक विस्तृत नई सूची जारी की है. यूरोपीय संघ ने आरोप लगाया है कि ये कंपनियां रूस के रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए थे. बता दें कि यूरोपीय संध पहले से ही 600 से अधिक कंपनियों, संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा चुका है.

अब इस सूची में 27 नई संस्थाओं को जोड़ा गया है. लेकिन यह पहली बार है जब चीन और भारत की कंपनियों को इस सूची में शामिल किया गया है. माना जा रहा है कि EU ने इस बार उन देशों को लक्ष्य किया है जो फरवरी 2022 में रूस की ओर से यूक्रेन पर हमला करने के बाद से रूसी जीवाश्म ईंधन के सबसे बड़े खरीदार रहे हैं.

इस खबर में हम जानने की कोशिश करेंगे कि EU ने किन भारतीय और चीन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाये है और चीन, भारत और रूस ने इसपर कैसी प्रतिक्रिया दी है. अन्य देशों की किन कंपनियों को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है? अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक ईयू ने कुल 641 संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाये हैं जिनमें 619 रूस में हैं.

इस सूची में में ईरान की आठ कंपनियां जिनमें विमान और विमानन कंपनियां शामिल हैं, हांगकांग की चार कंपनियां भी शामिल हैं. ईयू ने कहा कि इन कंपनियों ने दिसंबर 2023 में रूस को उच्च प्राथमिकता वाली वस्तुएं भेजीं, जो 'यूक्रेन में रूस के युद्ध के लिए महत्वपूर्ण' थीं.

EU Sanctioned Indian Companies
प्रतीकात्मक तस्वीर.

इनके अलावा चीन और उज्बेकिस्तान से तीन-तीन कंपनियां शामिल हैं. उज्बेकिस्तान की कंपनियों में मविजियन भी शामिल है, जिस पर रूसी सेना की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन के कथित निर्माण के लिए पहले अमेरिका की ओर से प्रतिबंध लगाया गया था. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की दो विमानन कंपनियां के अलावा सूची में भारत, सिंगापुर, श्रीलंका, सीरिया, आर्मेनिया, सर्बिया, तुर्की, थाईलैंड और कजाकिस्तान की एक-एक कंपनी शामिल है.

किस भारतीय कंपनी पर प्रतिबंध लगाया गया : भारत के बेंगलुरु में स्थित Si2 माइक्रोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड पर ईयू ने प्रतिबंध लगाया है. Si2 वाणिज्यिक, सैन्य और अंतरिक्ष उद्योगों के लिए एकीकृत सर्किट डिजाइन करता है. एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति और वैश्विक तकनीकी प्रकाशक, द रजिस्टर के अनुसार, यह अन्य क्षेत्रों के अलावा क्वांटम कंप्यूटिंग और एवियोनिक्स के लिए चिप्स बनाती है. इसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), जनरल इलेक्ट्रिक और आईबीएम के पिछले ग्राहक होने का दावा किया है.

यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों में यह विस्तार से नहीं बताया गया है कि विशेष रूप से Si2 ने रूस की किस प्रकार मदद की है, लेकिन विशेषज्ञों को संदेह है कि उस पर मॉस्को को सेमीकंडक्टर शिपमेंट की सुविधा प्रदान करने की जानकारी है. कई आधुनिक हथियार प्रणालियां अर्धचालकों पर निर्भर हैं.

भारत यूरोपीय संघ और अमेरिका का करीबी रणनीतिक साझेदार है. हालांकि इसने युद्ध की शुरुआत के बाद से चीन के बाद सबसे अधिक रूसी जीवाश्म ईंधन खरीदा है, लेकिन पश्चिम अब तक नई दिल्ली या भारतीय संस्थाओं को निशाना बनाने से बचता रहा है.

विदेशी कंपनियों पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया : विदेशी कंपनियों पर इस आरोप में प्रतिबंध लगाया गया है कि उन्होंने रूस को दोहरे उपयोग वाले सामान का निर्यात किया है. जिसका उपयोग यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में किया जा सकता है. दोहरे उपयोग वाली वस्तु एक ऐसी वस्तु है जिसका उपयोग प्रौद्योगिकी, उपग्रह या ड्रोन जैसे नागरिक और सैन्य दोनों अनुप्रयोगों के लिए किया जा सकता है.

यूरोपीय संघ विनियमन विदेशी देशों को 'तीसरे देश' के रूप में वर्णित करता है. प्रतिबंधों और आर्थिक शासन कला के विद्वान अली अहमदी ने अल जजीरा को बताया कि ये देश अक्सर 'ट्रांसशिपमेंट के बिंदु' होते हैं - ऐसे स्थान जहां से संवेदनशील तकनीक रूस तक पहुंचाई जाती है.

बताया जा रहा है कि इन संस्थाओं ने रूस को ऐसी वस्तुएं भेजीं, जिनका सैन्य अनुप्रयोग संभव था. बताया जा रहा है कि उज्बेकिस्तान या संयुक्त अरब अमीरात के जरिये रूस को ये सामान भेजे गये. कई बार इन सामानों से मूल देश की ब्रांडिंग और लेबलिंग भी हटा दी गई थी.

24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से दंड के सबसे बड़े एकल दौर में अमेरिका ने शुक्रवार को रूस और अन्य देशों में संस्थाओं के खिलाफ लगभग 600 नए प्रतिबंध लगाए. अहमदी ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ निश्चित रूप से एक-दूसरे के साथ बहुत सहयोग करते हैं, लेकिन ऐसी संस्थाएं हैं जो एक प्रतिबंध सूची में हैं और दूसरे में नहीं'.

प्रतिबंधों का कंपनियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? : यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का मतलब है कि यूरोपीय संघ के सदस्य देश प्रतिबंध सूची में शामिल संस्थाओं को युद्धक्षेत्र या दोहरे उपयोग वाले सामान नहीं बेच सकते हैं. अहमदी ने कहा कि रूस के अलावा अन्य देशों की कंपनियों पर अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों से उनके लिए बाहरी दुनिया के साथ कारोबार करना काफी कठिन हो जाएगा.

अहमदी ने प्रतिबंधों की तुलना पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान या सीरिया के खिलाफ अधिकतम दबाव अभियानों से की. उन्होंने कहा कि यह बहुत अधिक आक्रामक रुख है जो दर्शाता है कि यूरोपीय लोगों ने स्वीकार किया है कि उनके प्रतिबंध असाधारण हैं.

हालांकि, अहमदी ने कहा कि तीसरे देशों को स्वयं कोई महत्वपूर्ण झटका नहीं लगेगा. क्योंकि अब तक इन देशों की केवल कुछ मुट्ठी भर कंपनियों को ही निशाना बनाया गया है. उन्होंने कहा कि रूस के बाद सबसे अधिक ईरान की कंपनियों को प्रतिबंधित किया गया है. सूची में शामिल ईरानी कंपनियां राज्य के स्वामित्व वाली संस्थाएं हैं.

अहमदी ने कहा कि वे जो भी व्यवसाय करते हैं वह ईरान के सहयोगियों के साथ करते हैं. उनका डॉलर के साथ कोई संपर्क नहीं है. वे किसी भी यूरोपीय संस्था के साथ व्यापार नहीं करते हैं. उनका उद्देश्य और डिजाइन उन्हें प्रभावी ढंग से नए प्रतिबंधों से बचाता है. तो प्रतिबंधों का क्या मतलब है? विशेषज्ञों का कहना है कि बस, ये प्रतिबंध यूरोपीय संघ की अस्वीकृति के सांकेतिक प्रदर्शन हैं.

क्या चीन ने प्रतिबंधों के बाद EU को चेतावनी जारी की? : प्रतिबंधों की घोषणा के बाद चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी कर इसकी निंदा की. बयान में, मंत्रालय ने कहा कि प्रतिबंध एकतरफा है. भारत समेत तमाम देशों ने अलग-अलग देशों और यूरोपीय संघ जैसे गुटों की ओर से लगाये गये प्रतिबंधों की आलोचना की है. भारत ने कहा है कि इन प्रतिबंधों के लिए संयुक्त राष्ट्र की मंजूरी नहीं ली गई है. इसलिए यह वैध नहीं है.

चीनी बयान में यह भी कहा गया कि प्रतिबंध चीन-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक के दौरान चर्चा की भावना के खिलाफ हैं, जो दिसंबर 2023 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच हुई थी. चीन ने चेतावनी दी कि इन प्रतिबंधों का चीन-यूरोपीय संघ के आर्थिक और व्यापार संबंधों पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा.

फिर भी, अहमदी ने कहा कि चीन की प्रतिक्रिया, यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों की तरह ही अधिकांशतः प्रतीकात्मक है. अहमदी ने कहा कि यह कुछ ऐसा है जिस पर चीन को लगता है कि उसे प्रतिक्रिया देनी होगी. हालांकि, उन्होंने कहा कि केवल चीनी माइक्रोटेक्नोलॉजी कंपनियां प्रभावित हुई हैं, जिसका चीन पर इतना प्रभाव नहीं पड़ता है.

यदि यूरोपीय संघ ने प्रमुख चीनी बैंकों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया, तो इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है. अहमदी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यूरोपीय या अमेरिकी इतनी दूर जाने के लिए तैयार हैं.

ईयू विनियमन 833/2014 क्या है? : 31 जुलाई 2014 को अपनाया गया, यूरोपीय परिषद के विनियमन 833/2014 में कहा गया है कि रूस को या रूस में उपयोग के लिए 'प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और प्रौद्योगिकी को बेचना, आपूर्ति, स्थानांतरण या निर्यात करना प्रतिबंधित है. इसे क्रीमिया पर रूस के कब्जे और पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादी आंदोलनों के लिए क्रेमलिन के समर्थन के बाद अपनाया गया था.

शुक्रवार को आया ईयू विनियमन मूलतः विनियमन 833/2014 का संशोधन है. विनियमन में अंतिम संशोधन 18 दिसंबर, 2023 को किया गया था, जब 13 नई संस्थाओं को प्रतिबंध सूची में जोड़ा गया था. प्रारंभिक प्रतिबंधों और प्रतिबंधात्मक नियमों ने बड़े पैमाने पर रूसी और बेलारूसी संस्थाओं को प्रतिबंधित किया गया था. फरवरी 2023 में, युद्ध में रूस की सेना की ओर से उपयोग की जाने वाली वस्तुओं के कथित निर्माण के लिए सात ईरानी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. जून 2023 में, हांगकांग, चीन, उज्बेकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, सीरिया और आर्मेनिया की संस्थाओं ने भी प्रतिबंध सूची में जगह बनाई.

यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों पर मास्को की क्या प्रतिक्रिया है? : यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के नवीनतम दौर की प्रतिक्रिया के रूप में, रूस के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की कि उसने यूरोपीय संघ के अधिकारियों और राजनेताओं के रूस में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की सूची में उल्लेखनीय रूप से विस्तार किया है. इसकी घोषणा शुक्रवार को की गयी. रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यूरोपीय संघ एकतरफा प्रतिबंधात्मक उपायों के माध्यम से रूस पर दबाव बनाने के अपने निरर्थक प्रयास जारी रख रहा है.

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नई दिल्ली : यूरोपीय संघ ने रूस, भारत, ईरान, चीन और सीरिया सहित कई देशों की कंपनियों, संस्थाओं या लोगों पर प्रतिबंधों की एक विस्तृत नई सूची जारी की है. यूरोपीय संघ ने आरोप लगाया है कि ये कंपनियां रूस के रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए थे. बता दें कि यूरोपीय संध पहले से ही 600 से अधिक कंपनियों, संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा चुका है.

अब इस सूची में 27 नई संस्थाओं को जोड़ा गया है. लेकिन यह पहली बार है जब चीन और भारत की कंपनियों को इस सूची में शामिल किया गया है. माना जा रहा है कि EU ने इस बार उन देशों को लक्ष्य किया है जो फरवरी 2022 में रूस की ओर से यूक्रेन पर हमला करने के बाद से रूसी जीवाश्म ईंधन के सबसे बड़े खरीदार रहे हैं.

इस खबर में हम जानने की कोशिश करेंगे कि EU ने किन भारतीय और चीन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाये है और चीन, भारत और रूस ने इसपर कैसी प्रतिक्रिया दी है. अन्य देशों की किन कंपनियों को प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है? अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक ईयू ने कुल 641 संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाये हैं जिनमें 619 रूस में हैं.

इस सूची में में ईरान की आठ कंपनियां जिनमें विमान और विमानन कंपनियां शामिल हैं, हांगकांग की चार कंपनियां भी शामिल हैं. ईयू ने कहा कि इन कंपनियों ने दिसंबर 2023 में रूस को उच्च प्राथमिकता वाली वस्तुएं भेजीं, जो 'यूक्रेन में रूस के युद्ध के लिए महत्वपूर्ण' थीं.

EU Sanctioned Indian Companies
प्रतीकात्मक तस्वीर.

इनके अलावा चीन और उज्बेकिस्तान से तीन-तीन कंपनियां शामिल हैं. उज्बेकिस्तान की कंपनियों में मविजियन भी शामिल है, जिस पर रूसी सेना की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन के कथित निर्माण के लिए पहले अमेरिका की ओर से प्रतिबंध लगाया गया था. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की दो विमानन कंपनियां के अलावा सूची में भारत, सिंगापुर, श्रीलंका, सीरिया, आर्मेनिया, सर्बिया, तुर्की, थाईलैंड और कजाकिस्तान की एक-एक कंपनी शामिल है.

किस भारतीय कंपनी पर प्रतिबंध लगाया गया : भारत के बेंगलुरु में स्थित Si2 माइक्रोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड पर ईयू ने प्रतिबंध लगाया है. Si2 वाणिज्यिक, सैन्य और अंतरिक्ष उद्योगों के लिए एकीकृत सर्किट डिजाइन करता है. एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति और वैश्विक तकनीकी प्रकाशक, द रजिस्टर के अनुसार, यह अन्य क्षेत्रों के अलावा क्वांटम कंप्यूटिंग और एवियोनिक्स के लिए चिप्स बनाती है. इसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), जनरल इलेक्ट्रिक और आईबीएम के पिछले ग्राहक होने का दावा किया है.

यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों में यह विस्तार से नहीं बताया गया है कि विशेष रूप से Si2 ने रूस की किस प्रकार मदद की है, लेकिन विशेषज्ञों को संदेह है कि उस पर मॉस्को को सेमीकंडक्टर शिपमेंट की सुविधा प्रदान करने की जानकारी है. कई आधुनिक हथियार प्रणालियां अर्धचालकों पर निर्भर हैं.

भारत यूरोपीय संघ और अमेरिका का करीबी रणनीतिक साझेदार है. हालांकि इसने युद्ध की शुरुआत के बाद से चीन के बाद सबसे अधिक रूसी जीवाश्म ईंधन खरीदा है, लेकिन पश्चिम अब तक नई दिल्ली या भारतीय संस्थाओं को निशाना बनाने से बचता रहा है.

विदेशी कंपनियों पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया : विदेशी कंपनियों पर इस आरोप में प्रतिबंध लगाया गया है कि उन्होंने रूस को दोहरे उपयोग वाले सामान का निर्यात किया है. जिसका उपयोग यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में किया जा सकता है. दोहरे उपयोग वाली वस्तु एक ऐसी वस्तु है जिसका उपयोग प्रौद्योगिकी, उपग्रह या ड्रोन जैसे नागरिक और सैन्य दोनों अनुप्रयोगों के लिए किया जा सकता है.

यूरोपीय संघ विनियमन विदेशी देशों को 'तीसरे देश' के रूप में वर्णित करता है. प्रतिबंधों और आर्थिक शासन कला के विद्वान अली अहमदी ने अल जजीरा को बताया कि ये देश अक्सर 'ट्रांसशिपमेंट के बिंदु' होते हैं - ऐसे स्थान जहां से संवेदनशील तकनीक रूस तक पहुंचाई जाती है.

बताया जा रहा है कि इन संस्थाओं ने रूस को ऐसी वस्तुएं भेजीं, जिनका सैन्य अनुप्रयोग संभव था. बताया जा रहा है कि उज्बेकिस्तान या संयुक्त अरब अमीरात के जरिये रूस को ये सामान भेजे गये. कई बार इन सामानों से मूल देश की ब्रांडिंग और लेबलिंग भी हटा दी गई थी.

24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से दंड के सबसे बड़े एकल दौर में अमेरिका ने शुक्रवार को रूस और अन्य देशों में संस्थाओं के खिलाफ लगभग 600 नए प्रतिबंध लगाए. अहमदी ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ निश्चित रूप से एक-दूसरे के साथ बहुत सहयोग करते हैं, लेकिन ऐसी संस्थाएं हैं जो एक प्रतिबंध सूची में हैं और दूसरे में नहीं'.

प्रतिबंधों का कंपनियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? : यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों का मतलब है कि यूरोपीय संघ के सदस्य देश प्रतिबंध सूची में शामिल संस्थाओं को युद्धक्षेत्र या दोहरे उपयोग वाले सामान नहीं बेच सकते हैं. अहमदी ने कहा कि रूस के अलावा अन्य देशों की कंपनियों पर अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों से उनके लिए बाहरी दुनिया के साथ कारोबार करना काफी कठिन हो जाएगा.

अहमदी ने प्रतिबंधों की तुलना पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान या सीरिया के खिलाफ अधिकतम दबाव अभियानों से की. उन्होंने कहा कि यह बहुत अधिक आक्रामक रुख है जो दर्शाता है कि यूरोपीय लोगों ने स्वीकार किया है कि उनके प्रतिबंध असाधारण हैं.

हालांकि, अहमदी ने कहा कि तीसरे देशों को स्वयं कोई महत्वपूर्ण झटका नहीं लगेगा. क्योंकि अब तक इन देशों की केवल कुछ मुट्ठी भर कंपनियों को ही निशाना बनाया गया है. उन्होंने कहा कि रूस के बाद सबसे अधिक ईरान की कंपनियों को प्रतिबंधित किया गया है. सूची में शामिल ईरानी कंपनियां राज्य के स्वामित्व वाली संस्थाएं हैं.

अहमदी ने कहा कि वे जो भी व्यवसाय करते हैं वह ईरान के सहयोगियों के साथ करते हैं. उनका डॉलर के साथ कोई संपर्क नहीं है. वे किसी भी यूरोपीय संस्था के साथ व्यापार नहीं करते हैं. उनका उद्देश्य और डिजाइन उन्हें प्रभावी ढंग से नए प्रतिबंधों से बचाता है. तो प्रतिबंधों का क्या मतलब है? विशेषज्ञों का कहना है कि बस, ये प्रतिबंध यूरोपीय संघ की अस्वीकृति के सांकेतिक प्रदर्शन हैं.

क्या चीन ने प्रतिबंधों के बाद EU को चेतावनी जारी की? : प्रतिबंधों की घोषणा के बाद चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी कर इसकी निंदा की. बयान में, मंत्रालय ने कहा कि प्रतिबंध एकतरफा है. भारत समेत तमाम देशों ने अलग-अलग देशों और यूरोपीय संघ जैसे गुटों की ओर से लगाये गये प्रतिबंधों की आलोचना की है. भारत ने कहा है कि इन प्रतिबंधों के लिए संयुक्त राष्ट्र की मंजूरी नहीं ली गई है. इसलिए यह वैध नहीं है.

चीनी बयान में यह भी कहा गया कि प्रतिबंध चीन-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक के दौरान चर्चा की भावना के खिलाफ हैं, जो दिसंबर 2023 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच हुई थी. चीन ने चेतावनी दी कि इन प्रतिबंधों का चीन-यूरोपीय संघ के आर्थिक और व्यापार संबंधों पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा.

फिर भी, अहमदी ने कहा कि चीन की प्रतिक्रिया, यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों की तरह ही अधिकांशतः प्रतीकात्मक है. अहमदी ने कहा कि यह कुछ ऐसा है जिस पर चीन को लगता है कि उसे प्रतिक्रिया देनी होगी. हालांकि, उन्होंने कहा कि केवल चीनी माइक्रोटेक्नोलॉजी कंपनियां प्रभावित हुई हैं, जिसका चीन पर इतना प्रभाव नहीं पड़ता है.

यदि यूरोपीय संघ ने प्रमुख चीनी बैंकों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया, तो इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है. अहमदी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यूरोपीय या अमेरिकी इतनी दूर जाने के लिए तैयार हैं.

ईयू विनियमन 833/2014 क्या है? : 31 जुलाई 2014 को अपनाया गया, यूरोपीय परिषद के विनियमन 833/2014 में कहा गया है कि रूस को या रूस में उपयोग के लिए 'प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और प्रौद्योगिकी को बेचना, आपूर्ति, स्थानांतरण या निर्यात करना प्रतिबंधित है. इसे क्रीमिया पर रूस के कब्जे और पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादी आंदोलनों के लिए क्रेमलिन के समर्थन के बाद अपनाया गया था.

शुक्रवार को आया ईयू विनियमन मूलतः विनियमन 833/2014 का संशोधन है. विनियमन में अंतिम संशोधन 18 दिसंबर, 2023 को किया गया था, जब 13 नई संस्थाओं को प्रतिबंध सूची में जोड़ा गया था. प्रारंभिक प्रतिबंधों और प्रतिबंधात्मक नियमों ने बड़े पैमाने पर रूसी और बेलारूसी संस्थाओं को प्रतिबंधित किया गया था. फरवरी 2023 में, युद्ध में रूस की सेना की ओर से उपयोग की जाने वाली वस्तुओं के कथित निर्माण के लिए सात ईरानी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. जून 2023 में, हांगकांग, चीन, उज्बेकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, सीरिया और आर्मेनिया की संस्थाओं ने भी प्रतिबंध सूची में जगह बनाई.

यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों पर मास्को की क्या प्रतिक्रिया है? : यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के नवीनतम दौर की प्रतिक्रिया के रूप में, रूस के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की कि उसने यूरोपीय संघ के अधिकारियों और राजनेताओं के रूस में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की सूची में उल्लेखनीय रूप से विस्तार किया है. इसकी घोषणा शुक्रवार को की गयी. रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यूरोपीय संघ एकतरफा प्रतिबंधात्मक उपायों के माध्यम से रूस पर दबाव बनाने के अपने निरर्थक प्रयास जारी रख रहा है.

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