पलामू: एशिया प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व में टाइगर मॉनिटरिंग प्रोटोकॉल बनाया गया है. टाइगर मॉनिटरिंग प्रोटोकॉल के माध्यम से बाघों के एक-एक मूवमेंट और उनका डेटा बेस तैयार किया जाता है. दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में 2015-16 के बाद पहली बार 2023-24 में चार बाघों के मौजूद होने की पुष्टि हुई है.
चारों बाघ के मूवमेंट को लगातार रिकॉर्ड किया जा रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रदेशकांत बताते हैं कि बाघों के मूवमेंट को लेकर टाइगर मॉनिटरिंग प्रोटोकॉल बनाया गया है. टाइगर मॉनिटरिंग प्रोटोकॉल तैयार डेटाबेस को वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट के टाइगर सेल को भेजती है. टाइगर सेल डेटाबेस का अध्ययन करती है. डब्लूएलआई डेटा के अध्ययन में पलामू टाइगर रिजर्व के जानकारी को साझा करती है. ताकि बाघों के संरक्षण को लेकर बदलाव किया जा सके.
एम स्ट्रिप एप, वीडिय, फोटो, पग मार्क और स्कैट का डाटा किया जाता है तैयार
टाइगर मॉनिटरिंग प्रोटोकॉल के तहत पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन कई फैक्ट को जमा करता है और उसे वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट को भेजता है. पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में फॉरेस्ट गार्ड और ट्रैक्टर एम स्ट्रिप ऐप पेट्रोलिंग करता है. पेट्रोलिंग के दौरान रास्ते में आने वाले एक-एक चीज का डाटा तैयार होता है, यह सब कुछ ऑनलाइन सिस्टम से जुड़ा हुआ रहता है. पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन एम स्ट्रिप के डाटा, बाघ के मूवमेंट वाले इलाके में उसके पग मार्क, स्कैट, वीडियो फोटो के रिपोर्ट को एक जगह जमा करता है. इस दौरान बाघ और उससे जुड़े हुए एक-एक सूचना को इकट्ठा किया जाता और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट को भेजा जाता है.
टाइगर मॉनिटरिंग प्रोटोकॉल के डाटा के आधार पर किया जा रहे कई बदलाव
पिछले एक वर्ष के अंदर टाइगर मॉनिटरिंग प्रोटोकॉल ने बाघों के संरक्षण को लेकर कई महत्वपूर्ण जानकारी पलामू टाइगर रिजर्व के साथ साझा की है. इस दौरान वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ने बाघों से जुड़े हुए 52 हजार फोटो, 15 से अधिक पग मार्क, 20 से अधिक स्कैट का अध्ययन किया है. रिपोर्ट के आधार पर पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में चार सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाए जा रहे हैं.
विकसित किया जा रहा है ग्रास लैंड
सॉफ्ट रिलीज सेंटर में चीतल और हिरण को शिफ्ट किया जा रहा है. ताकि बाघों के लिए आसानी से भोजन उपलब्ध हो पाए. वहीं सॉफ्ट रिलीज सेंटर के अलावा पलामू टाइगर रिजर्व पर चार अन्य इलाकों में ग्रास लैंड को भी विकसित किया जा रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघ मवेशी का सबसे अधिक शिकार कर रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में चार लाख के करीब मवेशी मौजूद हैं. यही मवेशी चारे के लिए जंगल में दाखिल होते हैं जहां बाघ उनका शिकार करते हैं.
पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में बाघों की संख्या बढ़कर 20 करने का है लक्ष्य
पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने बाघों की संख्या को बढ़ाने के लिए टाइगर मॉनिटरिंग प्रोटोकॉल बनाया है. फिलहाल पीटीआर में चार बाघ हैं. पीटीआर में अगले कुछ वर्षों में बाघों की संख्या बढ़ा कर 20 करने का लक्ष्य रखा गया है. पीटीआर में मौजूद चार बाघ नर प्रजाति के हैं. पीटीआर प्रबंधन बाघिन के दाखिल होने का इंतजार कर रहा है.
पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. अंग्रेजों के शासन काल में 1932 में पहली बार इसी इलाके में बाघों की गिनती हुई थी. 70 के दशक में पूरे देश में एक साथ नौ टाइगर रिजर्व बनाए गए थे. उनमें से एक पलामू टाइगर रिजर्व भी था. 70 के दशक में पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में बाघों की संख्या 50 बताई गई थी. 2018 में हुई बाघों की गिनती में पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघों की संख्या शून्य बताई गई थी.
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