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दूसरे चरण में घटा मतदान का प्रतिशत, किसको है फायदा और किसको होगा नुकसान, जानें 2009 से 2024 की पूरी कहानी - second phase in bihar - SECOND PHASE IN BIHAR

LOK SABHA ELECTION 2024 : 26 अप्रैल को बिहार में दूसरे चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है. प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. सीमांचल और अंग प्रदेश के 5 सीटों पर वोट डाले गए हैं. पहले चरण के मुकाबले दूसरे चरण में अधिक वोटिंग हुई है और सीमांचल के लोगों ने बढ़ चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया है. लेकिन 2019 की तुलना में कम वोटिंग हुई है. इसका किस पार्टी पर क्या असर पड़ेगा जानें.

दूसरे चरण में घटा मतदान का प्रतिशत, किसको है फायदा और किसको होगा नुकसान, जानें
दूसरे चरण में घटा मतदान का प्रतिशत, किसको है फायदा और किसको होगा नुकसान, जानें
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 27, 2024, 8:45 PM IST

Updated : Apr 28, 2024, 9:47 AM IST

पटना: बिहार में दूसरे चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है. प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. सीमांचल के तीन और अंग प्रदेश के दो लोकसभा सीटों के लिए मतदाताओं ने मत का इस्तेमाल किया है. पूर्णिया और किशनगंज लोकसभा सीट पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं. पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव की मौजूदगी ने लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है तो किशनगंज में असदुद्दीन ओवैसी के प्रत्याशी अख्तरुल ईमान की दमदार उपस्थिति से लड़ाई त्रिकोणात्मक हो चुकी है.

ईटीवी भारत GFX.
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पहले चरण से ज्यादा वोटिंग : वहीं कटिहार भागलपुर और बांका में एनडीए और महागठबंधन के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. पहले चरण के मुकाबले दूसरे चरण में वोटिंग प्रतिशत अधिक हुई है लेकिन वोटिंग 2019 के मुकाबले कम दर्ज की गई है.

पूर्णिया में 2019 के मुकाबले 5.4 प्रतिशत कम वोटिंग: पूर्णिया जिले में 199 मतदान केंद्रों पर वोटिंग हुई. तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेड पर होने के बावजूद 59.94 प्रतिशत लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया. 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्णिया में 65.37 प्रतिशत लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था. इस बार 5.4% मतदान में कमी दर्ज की गई.

पप्पू ने पूर्णिया की जंग को बनाया त्रिकोणीय: पूर्णिया लोकसभा सीट पर जदयू के संतोष कुशवाहा और निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव के बीच कड़ा मुकाबला है. पप्पू यादव एक बार फिर इतिहास दोहराने की तैयारी में है. आपको बता दें कि पप्पू यादव पूर्णिया से तीन बार सांसद रह चुके हैं जिसमें कि वो दो बार वह निर्दलीय सांसद रहे हैं. वोटिंग प्रतिशत की अगर बात करें तो विधानसभा वार पूर्णिया में 61% बनमनखी में 59.10% कस्बा में 63.5% रुपौली में 60.50% धमधाहा में 61.01% और कोढ़ा में 63.51% लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया.

पप्पू यादव पड़ रहे हैं भारी : राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव भारी पड़ते दिख रहे हैं. पप्पू यादव को सभी समाज के लोगों का समर्थन मिला है. इस लिहाज से संतोष कुशवाहा को वहां परेशानी हो सकती है.

बीजेपी चिंतित क्यों? : राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि जब-जब वोटिंग में गिरावट आती है इससे लगता है कि सरकार के खिलाफ एंटी इंकमबैंसी है. बीजेपी के लोग भी इस कारण परेशान दिख रहे हैं. उनको चिंता सता रही है, कहीं उलटफेर ना हो जाए. वैसे भी कहा जाता है कि दिल्ली का सिंघासन का रास्ता बिहार-यूपी से होकर गुजरता है. अगर बिहार में कहीं 'खेला' हो गया तो बीजेपी को चिंता में डाल देगी.

'एंटी इनकंबेंसी फैक्टर' : वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक भोलानाथ का मानना है कि पूर्णिया लोकसभा सीट पर 2019 के मुकाबले 2024 में वोट प्रतिशत घटा है. लोगों ने बदलाव के लिए वोट किए हैं. वर्तमान सांसद के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर है. तेजस्वी यादव के बयान ने पप्पू यादव को बढ़त लेने का मौका दे दिया और ऐसे में पप्पू यादव आगे दिख रहे हैं.

किशनगंज में ओवैसी का असर!: किशनगंज लोकसभा सीट भी इस बार हॉट सीट बन चुका है. असदुद्दीन ओवैसी ने 5 दिनों तक कैंप कर सबकी निगाहें अपनी ओर खींच ली थी. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से बिहार प्रदेश के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान चुनाव लड़ रहे थे. असदुद्दीन ओवैसी ने अख्तर उल ईमान के लिए दिन-रात एक कर दिया और एआईएमआईएम के पक्ष में माहौल बना दिया. आपको बता दें कि किशनगंज लोकसभा सीट पर तीनों प्रत्याशी मुस्लिम थे और त्रिकोणात्मक मुकाबले की बात कही जा रही थी. वोटिंग के बाद तस्वीर साफ होने लगी है और असदुद्दीन ओवैसी की दमदार उपस्थिति का असर भी देखा जा रहा है.

किशनगंज में दूसरे चरण में 64 प्रतिशत वोटिंग: किशनगंज में तापमान 38 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास रहा और 64% लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया. 2019 की लोकसभा चुनाव में किशनगंज में 66.38 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किए थे. इस बार लगभग 2.38 प्रतिशत कम वोटिंग हुई. विधानसभा वार अगर वोटिंग प्रतिशत की बात करें तो किशनगंज में 52.73% बहादुरगंज में 59.37% ठाकुरगंज में 58.44% कोचाधामन में 57.52 प्रतिशत अमर में 50.80% और बैसी में 64.23% मतदाताओं ने अपने मत का इस्तेमाल किया.

"जहां तक किशनगंज लोकसभा सीट की बात है तो कांग्रेस उस सीट को फिर बचा ले जा सकती है. किशनगंज में 70% आबादी मुस्लिम की है और तीनों उम्मीदवार मुस्लिम हैं. असदुद्दीन ओवैसी के उम्मीदवार अख्तर ईमान कांग्रेस के मोहम्मद जावेद को कड़ी टक्कर दे रहे हैं."- भोलानाथ, वरिष्ठ पत्रकार

कटिहार में 64.6% मतदान: कटिहार लोकसभा सीट पर जदयू और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है. जदयू के दुलारचंद गोस्वामी और कांग्रेस के तारिक अनवर मैदान में हैं. कटिहार में 64.6% से अधिक लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया है. अब तक के हुए चुनाव में यह सबसे अधिक मत प्रतिशत है. तापमान 41 डिग्री सेंटीग्रेड होने के बावजूद भारी संख्याओं में मतदाता मतदान केंद्रों तक पहुंचे. 2019 के लोकसभा चुनाव में कटिहार में 67.64% लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया था. इस बार तीन प्रतिशत वोटिंग कम दर्ज की गई. विधानसभा वार वोटिंग प्रतिशत को देखा जाए तो कटिहार में 59.80% कड़वा में 56.01% बलरामपुर में 63.02% प्राणपुर में 54.63% मनिहारी में 52% और बरारी में 61.49 प्रतिशत लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया.

कटिहार लोकसभा सीट पर बेहद कड़ा मुकाबला: कटिहार लोकसभा सीट पर बेहद कड़ा मुकाबला है. दुलालचंद गोस्वामी और तारिक अनवर के बीच कठिन लड़ाई है. कम वोटों के अंतर से दोनों में कोई भी जीत सकते हैं. किशनगंज लोकसभा सीट पर लड़ाई बेहद दिलचस्प है. पसमांदा वोट बैंक निर्णायक होने जा रहा है.

"अगर अख्तरुल ईमान ने पसमांदा वोट हासिल कर लिया होगा तो मोहम्मद जावेद की हार हो सकती है. भागलपुर लोकसभा सीट पर वर्तमान सांसद अजय मंडल का पलड़ा भारी दिख रहा है हालांकि अजीत शर्मा मजबूत उपस्थिति दर्ज करने की कोशिश में है. बांका लोकसभा सीट पर लड़ाई कठिन दिख रही है और जयप्रकाश यादव मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं. इस बार यादव वोटों में बिखराव नहीं हुआ है जिस वजह से गिरधारी यादव को परेशानी हो सकती है."-रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार

तारिक अनवर और दुलालचंद गोस्वामी के बीच मुकाबला: कटिहार लोकसभा सीट पर तारिक अनवर को बढ़त मिलती दिख रही है. अल्पसंख्यक वोटो में डिवीजन नहीं हुआ है. इसलिए कुछ हद से उनका पलड़ा रहा भारी दिख रहा है. लेकिन तारिक अनवर और दुलालचंद गोस्वामी के बीच लड़ाई कड़ी है. जीत और हार का फैसला काफी कम मतों के अंतर से होने जा रहा है.

कम हुई भागलपुर में वोटिंग: भागलपुर और बांका में अपेक्षाकृत कम वोटिंग हुई. भागलपुर में 51% मतदान हुए पिछली बार की तुलना में यह 3.66% काम दर्ज किया गया. भागलपुर लोकसभा क्षेत्र की अगर बात कर लें तो भागलपुर में कांग्रेस पार्टी के विधायक अजीत शर्मा और जदयू के वर्तमान सांसद अजय मंडल के बीच सीधी लड़ाई है. अजय मंडल दो बार सांसद रह चुके हैं और तीसरी बार भाग्य आजमा रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ने अजीत शर्मा को मैदान में उतारा है और अजीत शर्मा अपनी बेटी फिल्म स्टार नेहा शर्मा की बदौलत जीत की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

6% वोटिंग में कमी: भागलपुर में अगर विधानसभा वार वोटिंग की बात करें तो बिहपुर में 49.70% गोपालपुर में 54.5% पीरपैंती में 55.41% कहलगांव में 55.49% भागलपुर में 44.90% और नाथनगर में 48.22% लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया है. भागलपुर में 2019 के चुनाव में 57.20 प्रतिशत लोगों ने अपना मत का प्रयोग किया था लेकिन इस बार यात्रा घटकर 51% के आसपास आ गया लगभग 6% वोटिंग में कमी दर्ज की गई.

अजीत शर्मा की स्थिति बेहतर: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक भोलानाथ का कहना है कि भागलपुर में कांग्रेस पार्टी के अजीत शर्मा मजबूत योद्धा के रूप में माने जा रहे हैं. भागलपुर में सवा लाख भूमिहार वोटर हैं. अगर यह वोट भी उन्हें मिल जाता है बावजूद इसके अजय मंडल की ताकत गंगोता वोट बैंक है और इस वोट बैंक के बदौलत वह बाजी मार सकते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में वह तीन लाख से अधिक वोटों से जीते थे. इस बार मार्जिन कम हो सकता है.

बांका में यादव-यादव में टक्कर: बांका लोकसभा क्षेत्र में भी मतदाताओं के अंदर उदासीनता दिखाई दी. बांका में दोनों ओर से यादव जाति के उम्मीदवार मैदान में हैं जदयू ने जहां वर्तमान सांसद गिरधारी यादव को मैदान में उतारा है. वहीं राष्ट्रीय जनता दल ने जय प्रकाश यादव को मैदान में उतारा है. दोनों के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. कम वोटिंग प्रतिशत एनडीए के लिए सुखद संकेत हो सकता है.

4.6% वोटिंग में कमी: बांका विधानसभा वार वोटिंग ट्रेंड कि अगर बात करें तो सुल्तानगंज में 47% अमरपुर में 41.89% धोरैया में 51.6% बांका में 54.024% कटोरिया में 51.51% और बेलहर में 50.01% लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया. 2019 के लोकसभा चुनाव में बांका में 58.6% मतदान हुए थे, लेकिन इस बार 54% लोगों ने मतदान किया. 4.6% वोटिंग में इस बार कमी दर्ज की गई.

गिरधारी यादव का पलड़ा भारी!: बांका लोकसभा सीट पर गिरधारी यादव और जयप्रकाश यादव के बीच मुकाबला है. जयप्रकाश यादव को सिर्फ मुस्लिम और यादव के वोट का सहारा है तो गिरधारी यादव अति पिछड़ा के अलावा पिछड़ा और अगड़ी जाति के वोट बैंक पर भी दावा रखते हैं. ऐसे में गिरधारी यादव का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है.

एक्सपर्ट की राय: वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी का मानना है कि पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव और संतोष कुशवाहा के बीच कड़ा मुकाबला है. संतोष कुशवाहा को बढ़त मिलती दिख रही है. हालांकि पप्पू यादव उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं. किशनगंज लोकसभा सीट पर कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद के पक्ष में हवा है और वहां जदयू दूसरे नंबर पर रह सकती है.

"अख्तरुल ईमान फिर से तीसरे नंबर पर आ सकते हैं. कटिहार में तारिक अनवर और दुलालचंद गोस्वामी के बीच सीधी लड़ाई है और दोनों एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. तारिक अनवर को अल्पसंख्यक वोटों का फायदा मिल सकता है और वह बढ़त ले सकते हैं. भागलपुर लोकसभा सीट पर जदयू और कांग्रेस के बीच लड़ाई है अजीत शर्मा चौका देने वाले नतीजे सामने ला सकते हैं. बांका में गिरधारी यादव और जयप्रकाश यादव के बीच मुकाबला है. जयप्रकाश यादव इस बार मजबूती से मैदान में है और गिरधारी यादव को शिकस्त दे सकते हैं."-कन्हैया भेलारी,वरिष्ठ पत्रकार

इसे भी पढ़ें- 'भारी डिप्रेशन में है बीजेपी', तेजस्वी यादव ने कहा- 'दूसरे चरण के बाद मोदी जी 400 का नारा भूल गए' - Tejashwi Yadav

पटना: बिहार में दूसरे चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है. प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. सीमांचल के तीन और अंग प्रदेश के दो लोकसभा सीटों के लिए मतदाताओं ने मत का इस्तेमाल किया है. पूर्णिया और किशनगंज लोकसभा सीट पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं. पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव की मौजूदगी ने लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है तो किशनगंज में असदुद्दीन ओवैसी के प्रत्याशी अख्तरुल ईमान की दमदार उपस्थिति से लड़ाई त्रिकोणात्मक हो चुकी है.

ईटीवी भारत GFX.
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पहले चरण से ज्यादा वोटिंग : वहीं कटिहार भागलपुर और बांका में एनडीए और महागठबंधन के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. पहले चरण के मुकाबले दूसरे चरण में वोटिंग प्रतिशत अधिक हुई है लेकिन वोटिंग 2019 के मुकाबले कम दर्ज की गई है.

पूर्णिया में 2019 के मुकाबले 5.4 प्रतिशत कम वोटिंग: पूर्णिया जिले में 199 मतदान केंद्रों पर वोटिंग हुई. तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेड पर होने के बावजूद 59.94 प्रतिशत लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया. 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्णिया में 65.37 प्रतिशत लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था. इस बार 5.4% मतदान में कमी दर्ज की गई.

पप्पू ने पूर्णिया की जंग को बनाया त्रिकोणीय: पूर्णिया लोकसभा सीट पर जदयू के संतोष कुशवाहा और निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव के बीच कड़ा मुकाबला है. पप्पू यादव एक बार फिर इतिहास दोहराने की तैयारी में है. आपको बता दें कि पप्पू यादव पूर्णिया से तीन बार सांसद रह चुके हैं जिसमें कि वो दो बार वह निर्दलीय सांसद रहे हैं. वोटिंग प्रतिशत की अगर बात करें तो विधानसभा वार पूर्णिया में 61% बनमनखी में 59.10% कस्बा में 63.5% रुपौली में 60.50% धमधाहा में 61.01% और कोढ़ा में 63.51% लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया.

पप्पू यादव पड़ रहे हैं भारी : राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव भारी पड़ते दिख रहे हैं. पप्पू यादव को सभी समाज के लोगों का समर्थन मिला है. इस लिहाज से संतोष कुशवाहा को वहां परेशानी हो सकती है.

बीजेपी चिंतित क्यों? : राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि जब-जब वोटिंग में गिरावट आती है इससे लगता है कि सरकार के खिलाफ एंटी इंकमबैंसी है. बीजेपी के लोग भी इस कारण परेशान दिख रहे हैं. उनको चिंता सता रही है, कहीं उलटफेर ना हो जाए. वैसे भी कहा जाता है कि दिल्ली का सिंघासन का रास्ता बिहार-यूपी से होकर गुजरता है. अगर बिहार में कहीं 'खेला' हो गया तो बीजेपी को चिंता में डाल देगी.

'एंटी इनकंबेंसी फैक्टर' : वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक भोलानाथ का मानना है कि पूर्णिया लोकसभा सीट पर 2019 के मुकाबले 2024 में वोट प्रतिशत घटा है. लोगों ने बदलाव के लिए वोट किए हैं. वर्तमान सांसद के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर है. तेजस्वी यादव के बयान ने पप्पू यादव को बढ़त लेने का मौका दे दिया और ऐसे में पप्पू यादव आगे दिख रहे हैं.

किशनगंज में ओवैसी का असर!: किशनगंज लोकसभा सीट भी इस बार हॉट सीट बन चुका है. असदुद्दीन ओवैसी ने 5 दिनों तक कैंप कर सबकी निगाहें अपनी ओर खींच ली थी. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी से बिहार प्रदेश के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान चुनाव लड़ रहे थे. असदुद्दीन ओवैसी ने अख्तर उल ईमान के लिए दिन-रात एक कर दिया और एआईएमआईएम के पक्ष में माहौल बना दिया. आपको बता दें कि किशनगंज लोकसभा सीट पर तीनों प्रत्याशी मुस्लिम थे और त्रिकोणात्मक मुकाबले की बात कही जा रही थी. वोटिंग के बाद तस्वीर साफ होने लगी है और असदुद्दीन ओवैसी की दमदार उपस्थिति का असर भी देखा जा रहा है.

किशनगंज में दूसरे चरण में 64 प्रतिशत वोटिंग: किशनगंज में तापमान 38 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास रहा और 64% लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया. 2019 की लोकसभा चुनाव में किशनगंज में 66.38 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किए थे. इस बार लगभग 2.38 प्रतिशत कम वोटिंग हुई. विधानसभा वार अगर वोटिंग प्रतिशत की बात करें तो किशनगंज में 52.73% बहादुरगंज में 59.37% ठाकुरगंज में 58.44% कोचाधामन में 57.52 प्रतिशत अमर में 50.80% और बैसी में 64.23% मतदाताओं ने अपने मत का इस्तेमाल किया.

"जहां तक किशनगंज लोकसभा सीट की बात है तो कांग्रेस उस सीट को फिर बचा ले जा सकती है. किशनगंज में 70% आबादी मुस्लिम की है और तीनों उम्मीदवार मुस्लिम हैं. असदुद्दीन ओवैसी के उम्मीदवार अख्तर ईमान कांग्रेस के मोहम्मद जावेद को कड़ी टक्कर दे रहे हैं."- भोलानाथ, वरिष्ठ पत्रकार

कटिहार में 64.6% मतदान: कटिहार लोकसभा सीट पर जदयू और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है. जदयू के दुलारचंद गोस्वामी और कांग्रेस के तारिक अनवर मैदान में हैं. कटिहार में 64.6% से अधिक लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया है. अब तक के हुए चुनाव में यह सबसे अधिक मत प्रतिशत है. तापमान 41 डिग्री सेंटीग्रेड होने के बावजूद भारी संख्याओं में मतदाता मतदान केंद्रों तक पहुंचे. 2019 के लोकसभा चुनाव में कटिहार में 67.64% लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया था. इस बार तीन प्रतिशत वोटिंग कम दर्ज की गई. विधानसभा वार वोटिंग प्रतिशत को देखा जाए तो कटिहार में 59.80% कड़वा में 56.01% बलरामपुर में 63.02% प्राणपुर में 54.63% मनिहारी में 52% और बरारी में 61.49 प्रतिशत लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया.

कटिहार लोकसभा सीट पर बेहद कड़ा मुकाबला: कटिहार लोकसभा सीट पर बेहद कड़ा मुकाबला है. दुलालचंद गोस्वामी और तारिक अनवर के बीच कठिन लड़ाई है. कम वोटों के अंतर से दोनों में कोई भी जीत सकते हैं. किशनगंज लोकसभा सीट पर लड़ाई बेहद दिलचस्प है. पसमांदा वोट बैंक निर्णायक होने जा रहा है.

"अगर अख्तरुल ईमान ने पसमांदा वोट हासिल कर लिया होगा तो मोहम्मद जावेद की हार हो सकती है. भागलपुर लोकसभा सीट पर वर्तमान सांसद अजय मंडल का पलड़ा भारी दिख रहा है हालांकि अजीत शर्मा मजबूत उपस्थिति दर्ज करने की कोशिश में है. बांका लोकसभा सीट पर लड़ाई कठिन दिख रही है और जयप्रकाश यादव मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं. इस बार यादव वोटों में बिखराव नहीं हुआ है जिस वजह से गिरधारी यादव को परेशानी हो सकती है."-रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार

तारिक अनवर और दुलालचंद गोस्वामी के बीच मुकाबला: कटिहार लोकसभा सीट पर तारिक अनवर को बढ़त मिलती दिख रही है. अल्पसंख्यक वोटो में डिवीजन नहीं हुआ है. इसलिए कुछ हद से उनका पलड़ा रहा भारी दिख रहा है. लेकिन तारिक अनवर और दुलालचंद गोस्वामी के बीच लड़ाई कड़ी है. जीत और हार का फैसला काफी कम मतों के अंतर से होने जा रहा है.

कम हुई भागलपुर में वोटिंग: भागलपुर और बांका में अपेक्षाकृत कम वोटिंग हुई. भागलपुर में 51% मतदान हुए पिछली बार की तुलना में यह 3.66% काम दर्ज किया गया. भागलपुर लोकसभा क्षेत्र की अगर बात कर लें तो भागलपुर में कांग्रेस पार्टी के विधायक अजीत शर्मा और जदयू के वर्तमान सांसद अजय मंडल के बीच सीधी लड़ाई है. अजय मंडल दो बार सांसद रह चुके हैं और तीसरी बार भाग्य आजमा रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ने अजीत शर्मा को मैदान में उतारा है और अजीत शर्मा अपनी बेटी फिल्म स्टार नेहा शर्मा की बदौलत जीत की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

6% वोटिंग में कमी: भागलपुर में अगर विधानसभा वार वोटिंग की बात करें तो बिहपुर में 49.70% गोपालपुर में 54.5% पीरपैंती में 55.41% कहलगांव में 55.49% भागलपुर में 44.90% और नाथनगर में 48.22% लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया है. भागलपुर में 2019 के चुनाव में 57.20 प्रतिशत लोगों ने अपना मत का प्रयोग किया था लेकिन इस बार यात्रा घटकर 51% के आसपास आ गया लगभग 6% वोटिंग में कमी दर्ज की गई.

अजीत शर्मा की स्थिति बेहतर: वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक भोलानाथ का कहना है कि भागलपुर में कांग्रेस पार्टी के अजीत शर्मा मजबूत योद्धा के रूप में माने जा रहे हैं. भागलपुर में सवा लाख भूमिहार वोटर हैं. अगर यह वोट भी उन्हें मिल जाता है बावजूद इसके अजय मंडल की ताकत गंगोता वोट बैंक है और इस वोट बैंक के बदौलत वह बाजी मार सकते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में वह तीन लाख से अधिक वोटों से जीते थे. इस बार मार्जिन कम हो सकता है.

बांका में यादव-यादव में टक्कर: बांका लोकसभा क्षेत्र में भी मतदाताओं के अंदर उदासीनता दिखाई दी. बांका में दोनों ओर से यादव जाति के उम्मीदवार मैदान में हैं जदयू ने जहां वर्तमान सांसद गिरधारी यादव को मैदान में उतारा है. वहीं राष्ट्रीय जनता दल ने जय प्रकाश यादव को मैदान में उतारा है. दोनों के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. कम वोटिंग प्रतिशत एनडीए के लिए सुखद संकेत हो सकता है.

4.6% वोटिंग में कमी: बांका विधानसभा वार वोटिंग ट्रेंड कि अगर बात करें तो सुल्तानगंज में 47% अमरपुर में 41.89% धोरैया में 51.6% बांका में 54.024% कटोरिया में 51.51% और बेलहर में 50.01% लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया. 2019 के लोकसभा चुनाव में बांका में 58.6% मतदान हुए थे, लेकिन इस बार 54% लोगों ने मतदान किया. 4.6% वोटिंग में इस बार कमी दर्ज की गई.

गिरधारी यादव का पलड़ा भारी!: बांका लोकसभा सीट पर गिरधारी यादव और जयप्रकाश यादव के बीच मुकाबला है. जयप्रकाश यादव को सिर्फ मुस्लिम और यादव के वोट का सहारा है तो गिरधारी यादव अति पिछड़ा के अलावा पिछड़ा और अगड़ी जाति के वोट बैंक पर भी दावा रखते हैं. ऐसे में गिरधारी यादव का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है.

एक्सपर्ट की राय: वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी का मानना है कि पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव और संतोष कुशवाहा के बीच कड़ा मुकाबला है. संतोष कुशवाहा को बढ़त मिलती दिख रही है. हालांकि पप्पू यादव उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं. किशनगंज लोकसभा सीट पर कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद के पक्ष में हवा है और वहां जदयू दूसरे नंबर पर रह सकती है.

"अख्तरुल ईमान फिर से तीसरे नंबर पर आ सकते हैं. कटिहार में तारिक अनवर और दुलालचंद गोस्वामी के बीच सीधी लड़ाई है और दोनों एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. तारिक अनवर को अल्पसंख्यक वोटों का फायदा मिल सकता है और वह बढ़त ले सकते हैं. भागलपुर लोकसभा सीट पर जदयू और कांग्रेस के बीच लड़ाई है अजीत शर्मा चौका देने वाले नतीजे सामने ला सकते हैं. बांका में गिरधारी यादव और जयप्रकाश यादव के बीच मुकाबला है. जयप्रकाश यादव इस बार मजबूती से मैदान में है और गिरधारी यादव को शिकस्त दे सकते हैं."-कन्हैया भेलारी,वरिष्ठ पत्रकार

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Last Updated : Apr 28, 2024, 9:47 AM IST
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