हैदराबाद: तेलंगाना के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने घोषणा की कि राज्य सरकार 4 फरवरी को मंजूरी के लिए विधानसभा में जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करेगी. प्रक्रिया के बारे में रेड्डी ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुरूप जाति सर्वेक्षण के कार्यान्वयन की देखरेख के लिए एक समर्पित आयोग का गठन किया गया है.
मंत्री रेड्डी ने कहा कि रिपोर्ट को 4 तारीख को कैबिनेट और विधानसभा के समक्ष रखी जाएगी. विधानसभा और कैबिनेट दोनों में पारित होने के बाद इसे समर्पित आयोग को सौंप दिया जाएगा. इसे विशेष रूप से इस मुद्दे पर विचार करने के लिए स्थापित किया गया है.
इस बीच, अधिकारियों के अनुसार, तेलंगाना राज्य सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक, रोजगार, राजनीतिक और जाति (एसईईईपीसी) सर्वेक्षण कराया है. इसमें केवल 50 दिनों में 96.9 प्रतिशत परिवारों को शामिल किया गया.
कैबिनेट में प्रस्ताव पारित करने से लेकर अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने तक की पूरी प्रक्रिया ठीक एक वर्ष के भीतर पूरी की गई. मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल उप-समिति ने योजना विभाग से सर्वेक्षण रिपोर्ट औपचारिक रूप से प्राप्त की. इसमें बड़े पैमाने पर डेटा संग्रह किया गया.
मंत्री ने इसे एक ऐतिहासिक पहल और सामाजिक न्याय प्राप्त करने में एक क्रांतिकारी कदम बताया. साथ ही इस बात पर बल दिया कि इसके निष्कर्ष पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के लिए नीतिगत निर्णयों का मार्गदर्शन करेंगे.
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उत्तम कुमार रेड्डी ने याद दिलाया कि 4 फरवरी 2024 को तेलंगाना मंत्रिमंडल ने सर्वेक्षण को मंजूरी दी थी और अब, ठीक एक साल बाद, यह रिपोर्ट शासन और नीति निर्माण में एक मील का पत्थर बनने जा रही है.
उत्तम कुमार रेड्डी ने इसे तेलंगाना में सामाजिक न्याय के लिए एक 'ऐतिहासिक दिन' बताया और घोषणा की कि रिपोर्ट 4 फरवरी को सुबह 10 बजे कैबिनेट के समक्ष पेश की जाएगी. इसके बाद उसी दिन विधानसभा में एक छोटी चर्चा होगी.
यह डेटा-संचालित शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा किए गए एक बड़े वादे को पूरा करता है. मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने अब वास्तविक समय के सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों के आधार पर कल्याणकारी नीतियों की नींव रख दी है.