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मानहानि मामले को स्थानांतरित करने की तेजस्वी यादव की याचिका पर अदालत ने आदेश सुरक्षित रखा - तेजस्वी यादव मानहानि केस

Tejashwi Yadav defamation case : शीर्ष अदालत ने राजद नेता की याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व में आपराधिक मानहानि शिकायत को लेकर कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और इसे दायर करने वाले, गुजरात के निवासी हरेश मेहता को नोटिस जारी किया था.

Tejashwi Yadav defamation case
तेजस्वी यादव मानहानि केस
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By PTI

Published : Feb 5, 2024, 12:14 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अहमदाबाद की एक अदालत में लंबित आपराधिक मानहानि के मामले को राज्य के बाहर किसी दूसरी जगह स्थानांतरित करने की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव की याचिका पर सोमवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. तेजस्वी ने कथित तौर पर 'केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं' टिप्पणी की थी, जिसको लेकर वह आपराधिक मानहानि के मामले का सामना कर रहे हैं. इसी मामले को उन्होंने विशेष रूप से दिल्ली में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है.

न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने तेजस्वी द्वारा दायर माफी के ताजा बयान को भी दर्ज पर लिया. पीठ ने कहा, 'हम आदेश पारित करेंगे.' शीर्ष अदालत ने 29 जनवरी को यादव को अपनी कथित टिप्पणी 'केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं' को वापस लेते हुए एक 'उचित बयान' दाखिल करने का निर्देश दिया था. यादव ने 19 जनवरी को शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर कर अपनी कथित 'गुजराती ठग' वाली टिप्पणी वापस ले ली थी.

शीर्ष अदालत ने राजद नेता की याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व में आपराधिक मानहानि शिकायत को लेकर कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और इसे दायर करने वाले, गुजरात के निवासी हरेश मेहता को नोटिस जारी किया था. मेहता एक स्थानीय कारोबारी और कार्यकर्ता हैं. कथित आपराधिक मानहानि के लिए तेजस्वी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

गुजरात अदालत ने अगस्त में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत यादव के खिलाफ प्रारंभिक जांच की थी और मेहता की शिकायत पर उन्हें समन करने के लिए पर्याप्त आधार पाया था. शिकायत के अनुसार, यादव ने मार्च 2023 में पटना में मीडिया से बात करते हुए कहा था, 'वर्तमान स्थिति में केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं, और उनकी धोखाधड़ी माफ कर दी जाएगी.' बिहार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री ने कथित तौर पर कहा था 'अगर वे एलआईसी या बैंकों का पैसा लेकर भाग गए तो कौन जिम्मेदार होगा?'

मेहता ने दावा किया कि यादव की टिप्पणियों ने सभी गुजरातियों की मानहानि की है.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने तेजस्वी को गुजरातियों पर अपनी टिप्पणी वापस लेते हुए उपयुक्त बयान दाखिल करने का निर्देश दिया

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अहमदाबाद की एक अदालत में लंबित आपराधिक मानहानि के मामले को राज्य के बाहर किसी दूसरी जगह स्थानांतरित करने की राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव की याचिका पर सोमवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. तेजस्वी ने कथित तौर पर 'केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं' टिप्पणी की थी, जिसको लेकर वह आपराधिक मानहानि के मामले का सामना कर रहे हैं. इसी मामले को उन्होंने विशेष रूप से दिल्ली में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है.

न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने तेजस्वी द्वारा दायर माफी के ताजा बयान को भी दर्ज पर लिया. पीठ ने कहा, 'हम आदेश पारित करेंगे.' शीर्ष अदालत ने 29 जनवरी को यादव को अपनी कथित टिप्पणी 'केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं' को वापस लेते हुए एक 'उचित बयान' दाखिल करने का निर्देश दिया था. यादव ने 19 जनवरी को शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर कर अपनी कथित 'गुजराती ठग' वाली टिप्पणी वापस ले ली थी.

शीर्ष अदालत ने राजद नेता की याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व में आपराधिक मानहानि शिकायत को लेकर कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और इसे दायर करने वाले, गुजरात के निवासी हरेश मेहता को नोटिस जारी किया था. मेहता एक स्थानीय कारोबारी और कार्यकर्ता हैं. कथित आपराधिक मानहानि के लिए तेजस्वी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

गुजरात अदालत ने अगस्त में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत यादव के खिलाफ प्रारंभिक जांच की थी और मेहता की शिकायत पर उन्हें समन करने के लिए पर्याप्त आधार पाया था. शिकायत के अनुसार, यादव ने मार्च 2023 में पटना में मीडिया से बात करते हुए कहा था, 'वर्तमान स्थिति में केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं, और उनकी धोखाधड़ी माफ कर दी जाएगी.' बिहार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री ने कथित तौर पर कहा था 'अगर वे एलआईसी या बैंकों का पैसा लेकर भाग गए तो कौन जिम्मेदार होगा?'

मेहता ने दावा किया कि यादव की टिप्पणियों ने सभी गुजरातियों की मानहानि की है.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने तेजस्वी को गुजरातियों पर अपनी टिप्पणी वापस लेते हुए उपयुक्त बयान दाखिल करने का निर्देश दिया

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