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कोई भी वकील किसी जज और वकीलों को कोर्ट छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट - Supreme Court

Supreme Court, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी वकील किसी जज और वकीलों को कोर्ट छोड़ने के लिए विवश नही कर सकता है. इसको कोर्ट गंभीरता से लेगा. उक्त टिप्पणी सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने गौतम बुद्ध नगर के जिला कोर्ट में अधिवक्ताओं के बीच हुई मारपीट के मामले पर की.

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सुप्रीम कोर्ट
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By Sumit Saxena

Published : Apr 1, 2024, 7:03 PM IST

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सोमवार को कहा कि कोई भी हड़ताली वकील अदालत कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकता है. साथ ही अधिवक्ताओं को अदालत कक्ष खाली करने के लिए नहीं कह सकता है और न्यायाधीश को न्यायिक कार्य नहीं करने के लिए भी नहीं कह सकता है. कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अदालत हड़ताल को गंभीरता से लेगी. कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर में अधिवक्ताओं के साथ मारपीट को लेकर उक्त बातें कहीं.

बता दें कि पिछले महीने शीर्ष अदालत ने गौतम बौद्ध नगर जिला अदालत में वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया और एक महिला वकील के साथ कथित मारपीट का संज्ञान लिया था. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि अदालत ने इस घटना और इस तथ्य पर उदासीन रुख अपनाया है कि जिम्मेदार व्यक्तियों की अब तक पहचान नहीं की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'भले ही उन्होंने (स्थानीय बार नेताओं ने) माफी मांगी हो, हम इस पर कम विचार करेंगे… कोई भी वकील किसी अदालत (न्यायाधीश) और वकीलों को अदालत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है, हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे.'

शीर्ष अदालत ने गौतम बौद्ध नगर जिला न्यायाधीश अमित सक्सेना की एक रिपोर्ट पर ध्यान देने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार से भी जवाब मांगा. इसमें कहा गया था कि रखरखाव के लिए आवश्यक धन की कमी के कारण अदालत परिसर में सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अगले सोमवार को तय की है. सुनवाई के दौरान, वकीलों द्वारा सहकर्मियों को अदालतों में प्रवेश करने से रोकने पर सीजेआई ने कहा कि विरोध हड़ताल नहीं है और आप अदालत में प्रवेश नहीं कर सकते हैं और वकीलों से नहीं कह सकते हैं 'चलो निकल जाओ यहां से' (यहां से चले जाओ), हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे.'

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल और सचिव रोहित पांडे ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि स्थानीय बार नेताओं ने खेद व्यक्त करते हुए एक पत्र लिखा है. भाटिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील और एससीबीए के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह ने अग्रवाल की दलील का विरोध करते हुए कहा कि स्थानीय बार नेताओं द्वारा कोई पछतावा या अफसोस व्यक्त नहीं किया गया है. सिंह ने कहा कि वे दोषियों की पहचान करने में भी विफल रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया के साथ कथित मारपीट के मामले पर विचार करते हुए जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव को नोटिस जारी किया था. सिंह ने कहा था कि वकीलों ने कथित तौर पर भाटिया के साथ दुर्व्यवहार किया और उनका कॉलर बैंड छीन लिया. वकीलों ने पीठ को यह भी बताया कि एक महिला वकील के साथ भी वकीलों ने मारपीट की थी. शीर्ष अदालत में पेश हुई महिला वकील ने कहा कि एक मामले में पेश होने के दौरान एक अन्य अदालत में भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया था. शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में वकील हड़ताल पर हैं. पीठ ने जिला न्यायाधीश, गौतमबुद्ध नगर को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि घटना की सीसीटीवी फुटेज अगले आदेश तक सुरक्षित रहे. पीठ ने घटना पर एक रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के 'व्यास तहखाना' में पूजा रोकने से किया इनकार

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सोमवार को कहा कि कोई भी हड़ताली वकील अदालत कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकता है. साथ ही अधिवक्ताओं को अदालत कक्ष खाली करने के लिए नहीं कह सकता है और न्यायाधीश को न्यायिक कार्य नहीं करने के लिए भी नहीं कह सकता है. कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अदालत हड़ताल को गंभीरता से लेगी. कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर में अधिवक्ताओं के साथ मारपीट को लेकर उक्त बातें कहीं.

बता दें कि पिछले महीने शीर्ष अदालत ने गौतम बौद्ध नगर जिला अदालत में वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया और एक महिला वकील के साथ कथित मारपीट का संज्ञान लिया था. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि अदालत ने इस घटना और इस तथ्य पर उदासीन रुख अपनाया है कि जिम्मेदार व्यक्तियों की अब तक पहचान नहीं की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'भले ही उन्होंने (स्थानीय बार नेताओं ने) माफी मांगी हो, हम इस पर कम विचार करेंगे… कोई भी वकील किसी अदालत (न्यायाधीश) और वकीलों को अदालत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है, हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे.'

शीर्ष अदालत ने गौतम बौद्ध नगर जिला न्यायाधीश अमित सक्सेना की एक रिपोर्ट पर ध्यान देने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार से भी जवाब मांगा. इसमें कहा गया था कि रखरखाव के लिए आवश्यक धन की कमी के कारण अदालत परिसर में सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अगले सोमवार को तय की है. सुनवाई के दौरान, वकीलों द्वारा सहकर्मियों को अदालतों में प्रवेश करने से रोकने पर सीजेआई ने कहा कि विरोध हड़ताल नहीं है और आप अदालत में प्रवेश नहीं कर सकते हैं और वकीलों से नहीं कह सकते हैं 'चलो निकल जाओ यहां से' (यहां से चले जाओ), हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे.'

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल और सचिव रोहित पांडे ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि स्थानीय बार नेताओं ने खेद व्यक्त करते हुए एक पत्र लिखा है. भाटिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील और एससीबीए के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह ने अग्रवाल की दलील का विरोध करते हुए कहा कि स्थानीय बार नेताओं द्वारा कोई पछतावा या अफसोस व्यक्त नहीं किया गया है. सिंह ने कहा कि वे दोषियों की पहचान करने में भी विफल रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया के साथ कथित मारपीट के मामले पर विचार करते हुए जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव को नोटिस जारी किया था. सिंह ने कहा था कि वकीलों ने कथित तौर पर भाटिया के साथ दुर्व्यवहार किया और उनका कॉलर बैंड छीन लिया. वकीलों ने पीठ को यह भी बताया कि एक महिला वकील के साथ भी वकीलों ने मारपीट की थी. शीर्ष अदालत में पेश हुई महिला वकील ने कहा कि एक मामले में पेश होने के दौरान एक अन्य अदालत में भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया था. शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में वकील हड़ताल पर हैं. पीठ ने जिला न्यायाधीश, गौतमबुद्ध नगर को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि घटना की सीसीटीवी फुटेज अगले आदेश तक सुरक्षित रहे. पीठ ने घटना पर एक रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा.

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