पटनाः बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है. जदयू में कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और पार्टी के नंबर दो माने जाने वाले दो बड़े चेहरे अब अपनी-अपनी राजनीतिक राह बना रहे हैं. प्रशांत किशोर ने राज्यभर में अपनी लंबी जनसुराज यात्रा के बाद अपनी पार्टी का गठन कर दिया है, जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह भी जल्द ही अपनी पार्टी लाने की तैयारी में हैं. दोनों नेताओं का यह कदम जदयू के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकता है, खासकर तब जब बिहार में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. आरसीपी सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में अपनी तैयारियों को साझा किया.
सवाल: बहुत दिनों के बाद आप मीडिया के सामने आये हैं. चर्चा है कि आप जल्द अपनी पार्टी के गठन का ऐलान करेंगे.
जवाबः मैं हमेशा, लोगों के बीच रहने वाला आदमी हूं. जब जदयू में था तब भी घूमता था और अभी भी कार्यकर्ताओं के साथ घूमता रहता हूं. जहां तक पार्टी के गठन की बात है तो कार्यकर्ताओं की तरफ से लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि अब हम लोगों को नई पार्टी का गठन करना चाहिए. मैं किसी राजनीतिक दल में हूं, वहां मैं कुछ दिन तक वेट कर सकता था, लेकिन कार्यकर्ता को कोई नया रास्ता मिलना चाहिए. इसीलिए उन लोगों ने निर्णय लिया है. जल्द ही पार्टी के नाम का ऐलान किया जाएगा.
सवालः बीजेपी में आप शामिल हुए बहुत गर्म जोशी के साथ दिल्ली में आप पार्टी में शामिल हुए. धीरे-धीरे आप नेपथ्य में चले गए.
जवाबः मैं बीजेपी में नेपथ्य में नहीं गया. मेरा भारतीय जनता पार्टी के साथ कोई नया संबंध नहीं है. नीतीश कुमार के साथ 1998 से था. भारतीय जनता पार्टी के जितने भी बड़े नेता हैं उनके साथ मेरे संबंध हैं और आगे भी रहेंगे. मैं कोई नकारात्मक सोच के साथ पार्टी का गठन नहीं कर रहा हूं. मैं बहुत बाद में पार्टी में शामिल हुए. पार्टी के बहुत सारे कार्यकर्ता मुझसे जुड़े हुए हैं. हताशा की स्थिति में वह कहीं भी जा सकते थे, हम नहीं चाहेंगे कि मेरे कार्यकर्ताओं का करियर खराब हो, इसीलिए पार्टी के गठन का निर्णय लिया.
सवाल: इसका मतलब है कि भाजपा के साथ आपका मोह भंग हो गया है.
जवाबः बीजेपी के साथ मोह भांग का सवाल नहीं है. राजनीति में मोह नाम की कोई चीज नहीं होती है. आपको देखना होगा कि आपके साथ जो वर्कर काम कर रहे हैं उनको कैसा लग रहा है. यदि वह उत्साहित हैं तो आप में उत्साह रहेगा यदि आपको लगेगा कि वह उत्साहित नहीं है तो आप भी निराश हो जाएंगे. इसीलिए मेरा दायित्व था कि अपने कार्यकर्ताओं की निराशा को उत्साह में बदलें.
सवाल: चर्चा है कि जदयू के दबाव में आपको भाजपा में कोई बड़ा पद नहीं मिला
जवाबः मुझे नहीं लगता है कि जदयू के नेताओं का कोई दबाव था, क्योंकि जदयू के नेताओं के साथ भी मेरे अच्छे संबंध रहे हैं. मुझे नहीं लगता है कि जदयू की तरफ से कोई प्रेशर रहा होगा क्योंकि बीजेपी खुद बहुत बड़ी पार्टी है मैं उस बात से सहमत नहीं हूं.
सवाल:नीतीश कुमार वर्षों का साथ रहा फिर बाद में उनके साथ आपकी दूरी बढ़ गई. बिहार सरकार की कार्यशाली को किस रूप में देखते हैं.
जवाबः नीतीश कुमार के साथ मेरे कभी खराब संबंध नहीं रहे. देश में एवरेज एज 71-72 साल का रहता है. पिछले 24 वर्षों से उनके साथ रहा हूं. जितनी बार नीतीश कुमार और लंच डिनर और ब्रेकफास्ट लिया है वह गिनती मुश्किल है. यही कारण है कि मैं कभी नीतीश कुमार के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की. मैं आज भी उनका उतना ही सम्मान करता हूं जितना पहले सम्मान करता था. मेरा यह सिद्धांत है कि मैं यदि किसी के साथ एक घंटा भी काम करता हूं तो उनके साथ संबंध निभाता हूं.
सवाल: अपने ही नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द रहने वाले नेताओं को भुंजा पार्टी का मेंबर बताया था.
जवाबः जिस समय मैं यह बात बोला था वह उसे समय के कांटेस्ट में था. जिस समय मैं यह बात बोला था, उस समय मैं जेडीयू में था. लेकिन मैं अब उसे पार्टी में नहीं हूं तो अब उसे पार्टी के ऊपर व्यक्तिगत टिप्पणी करना सही नहीं होगा.
सवाल: आपने कहा था कि कुछ नेता है जो नीतीश कुमार को दूसरे से नहीं मिलने दे रहे.
जवाबः नीतीश कुमार को मैं जानता हूं. यह स्थिति कभी-कभी होती है. यह सही बात है कि नीतीश बाबू के साथ जो संघर्ष के साथी थे वह बहुत कम उनके साथ बच गए हैं. यह सही बात है जो लोग उनके पास पास रह रहे हैं, वह बहुत लेट से उसे पार्टी में आए हैं. शुरुआती दौर में जो भी पूरी ईमानदारी के साथ नीतीश कुमार के साथ रहे और नीतीश कुमार ने भी उनका सम्मान दिया.
सवाल: आप शुरू से ही नीतीश कुमार के बहुत क्लोज रहे हैं आपकी गिनती नंबर दो की होती थी. क्या बात हुई कि अचानक इतनी दूरी बढ़ गई.
जवाबः मेरी तरफ से कोई दूरी नहीं है. यह बात नीतीश कुमार भी जानते हैं, ऐसी सलाह नहीं दी जिससे जदयू को और नीतीश कुमार को कोई नुकसान पहुंचा हो. संगठन में मेरा काम बूथ तक पार्टी को ले जाना था, कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देना था. कार्यकर्ताओं के साथ मेरे आत्मीय संबंध थे. पंचायत स्तर तक के नेताओं के साथ मेरा जुड़ाव था. यह बात नीतीश बाबू भी जानते हैं. मुख्यमंत्री आवास पर 26 दिनों तक उन्होंने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया था. मेरी नीतीश कुमार से कभी दूरी नहीं रही.
सवाल: बिहार में फिर से जहरीले शराब पीने से 60 से अधिक लोगों की मौत हुई है, आखिर शराबबंदी क्यों नहीं सफल हो रही.
जवाबः शराबबंदी के दो तीन पहलू हैं. शराबबंदी 2016 में लायी थी वह अच्छी सोच के साथ लायी थी. उनकी सोच थी कि शराब के चलते गरीब लोगों की आर्थिक स्थिति खराब होती है, शरीर खराब होता है, आपराधिक घटनाओं में वृद्धि होती है, सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, घरेलू हिंसा बढ़ती है. सिर्फ कानून बनाकर शराबबंदी लागू नहीं कर सकते. लोगों को हमेशा जागरूक करना होगा. बिहार में कोई भी ऐसा आदमी नहीं मिलेगा जो शराब का पक्षधर हो. इस कुरीति को 2-4 साल में खत्म नहीं किया जा सकता.
सवाल: लेकिन जिस तरीके से रोज शराब की बड़ी खेत जब्त होती है, जहरीली शराब मिलती है तो कहीं ना कहीं कोई खामी है.
जवाबः बिहार सरकार कानून के माध्यम से लागू करना चाह रही है, जो संभव नहीं है. जब तक सामाजिक चेतना नहीं होगी तब तक शराबबंदी सफल नहीं हो सकती. नीतीश कुमार को सलाह दी थी कि इसके लिए हाई लेवल कमिटी बनाने की जरूरत है. लेकिन कुछ नहीं हुआ. अन्य राज्यों में भी शराबबंदी लागू है, उसके लिए कमेटी गठित हुई.
सवाल: आप पार्टी का गठन कर रहे हैं, पार्टी क्षेत्रीय स्तर की होगी या राष्ट्रीय स्तर की.
जवाबः पार्टी के गठन के बाद वह प्रयास करेंगे कि बिहार में उनकी पार्टी का पैर जमे. जिस दिन पार्टी की घोषणा करेंगे, उस दिन पार्टी के गठन का ऐलान करेंगे. उस दिन उत्तर प्रदेश के झारखंड के और दिल्ली के लोग भी आपको नजर आएंगे. हम सभी राज्यों में काम किए हैं और मेरे हर जगह लोग हैं. लेकिन हमारी प्राथमिकता होगी कि पार्टी पहले बिहार में बूथ स्तर तक खड़ी हो जाए.
सवाल: 2025 विधानसभा चुनाव में पार्टी चुनाव लड़ेगी. यदि गठबंधन की बात हो तो इंडिया और एनडीए गठबंधन में किसके साथ प्राथमिकता होगी.
जवाबः निश्चित रूप से जब पार्टी का गठन होगा तो लोगों से मिलने वह हर एक जिला में जाएंगे. जहां-जहां पार्टी के मजबूत साथी का आकलन करेंगे. हम देखेंगे कि क्या स्थिति बनती है. जब हमारी ताकत होगी तो हम देखेंगे हम किसी के खिलाफ नहीं है. जहां तक गठबंधन की बात है तो यह उस समय के माहौल पर निर्भर करेगा. सबसे बड़ी बात है कि आपकी ताकत रहेगी तो उसे हिसाब से फैसला लिया जाएगा.
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