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भारत में दुर्लभ श्रीलंकाई मेंढक प्रजाति की खोज हुई, आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट की ओर 'एम्फिबियंस' का पलायन - Sri Lankan Frog Species

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 29, 2024, 2:23 PM IST

Sri Lankan Frog Species Discovered In India: आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट में एक दुर्लभ प्रजाति के दो मेंढकों की पहचान की है. ये दोनों दुनिया में सिर्फ श्रीलंका में ही पाए जाते हैं, लेकिन पहली बार भारत में इनके अस्तित्व का पता चला है.

Rare Sri Lankan Frog Species
भारत में दुर्लभ श्रीलंकाई मेंढक प्रजाति की खोज (ETV Bharat)

हैदराबाद: धरती कई विचित्र चीजों की जन्मस्थली है. इसमें जैव विविधता की अपनी एक खास पहचान है. इस ग्रह पर कई ऐसी दुर्लभ प्रजातियां हैं, जिनसे हम अनजान हैं. वैज्ञानिक ऐसी चीजों की खोज के लिए लगातार रिसर्च कर रहे हैं. इसी कड़ी में शोधकर्ताओं ने आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट में एक दुर्लभ प्रजाति के दो मेंढकों की पहचान की है. इन्हें राना ग्रेसिलिस...गोल्डन बैक्ड फ्रॉग...श्रीलंकाई ब्राउन ईयरड श्रब फ्रॉग...स्यूडोफिलॉटस रेगियस के नाम से भी जाना जाता है. ये दोनों दुनिया में सिर्फ श्रीलंका में ही पाए जाते हैं, लेकिन पहली बार भारत में इनके अस्तित्व का पता चला है.

इको सिस्टम मानव अस्तित्व का सूचक होता है. अगर यह अच्छा है जैव विविधता नहीं नष्ट होगी. इको सिस्टम को जीवों के सहारे की जरूरत होती है. इसमें वेरटेब्रेट्स और एम्फिबियंस की खास जगह होती है. जीवन के अस्तित्व में इनकी भूमिका बहुत अहम है. इस धरती पर ऐसी कई चीजें हैं जो पर्यावरण परिवर्तन के कारण विलुप्त हो रही हैं, जबकि कुछ बहुत कम दिखाई देती हैं. वैज्ञानिकों ने ऐसे ही एक दुर्लभ एम्फिबियंस की खोज की है. हाल के दिनों में पूर्वी घाट में एम्फिबियंस पर बड़े पैमाने पर अध्ययन और शोध चल रहे हैं. वैश्विक स्तर पर...खासकर भारत में जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

श्रीलंका से पूर्वी घाटों की ओर पलायन
रिसर्च से पता चलता है कि एम्फिबियंस ने प्लीस्टोसीन के दौरान श्रीलंका से पूर्वी घाटों की ओर पलायन किया. इन तथ्यों को सच साबित करते हुए...शोधकर्ताओं ने आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले की शेषचलम पहाड़ियों में स्यूडोफिलॉटस रेजियस नामक मेंढक की एक दुर्लभ प्रजाति की खोज की है. इसके अलावा, श्रीलंका गोल्डन बैक्ड फ्रॉग...राना ग्रेसिलिस गौनीथिम्मेपल्ली में पलामनेरु कौंडिन्य वन क्षेत्र के पास एक तालाब में पाया गया. उन्हें हैदराबाद जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने एपी बायोडायवर्सिटी बोर्ड के सदस्यों के साथ मिलकर खोजा था.

जलवायु परिवर्तन से दुनिया का दम घुट रहा है. हालांकि...अच्छे पर्यावरण और जैव विविधता के चलते पूर्वी घाट के क्षेत्रों में श्रीलंकाई मेंढक पाए गए. उन्हें हैदराबाद जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया-जेडएसआई कार्यालय में लाया गया और डीएनए परीक्षण किए गए. पूर्वी घाट में श्रीलंकाई स्यूडोफिलाटस रेगियस की पहचान होने पर...अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध न्यूजीलैंड जर्नल ज़ूटाक्सा में भी एक लेख प्रकाशित हुआ.

पूर्वी घाटों में पर्यावरण अच्छा
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, हैदराबाद के रिसर्चर भूपति श्रीकांतकुमार का कहना है कि देश में कशेरुकियों का अचानक उभरना...वह भी पूर्वी घाटों में वैज्ञानिकों को खुश करता है. खास तौर पर हाइलिया और पश्चिमी घाटों में, जहां अधिकांश अध्ययन और शोध जैव विविधता पर किए जाते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्वी घाटों में ऐसे मेंढकों का मिलना यह दर्शाता है कि यहां भी पर्यावरण अच्छा है. आम तौर पर, कहा जाता है कि वे केवल प्रदूषण रहित क्षेत्रों में ही जीवित रहते हैं.

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में शोध
वहीं, इस संबंध में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया हैदराबाद के वैज्ञानिक डॉ. कर्तापंडी का कहना है कि जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का मुख्यालय कोलकाता में है जबकि इसका क्षेत्रीय कार्यालय हैदराबाद में है. यह केंद्र आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में मीठे पानी, समुद्री पानी और सीवेज के पानी में रहने वाले जीवों पर शोध और अध्ययन करता है. वे केंद्र और राज्य सरकारों, संबंधित मंत्रालयों और संगठनों को श्रेणीवार संरक्षण उपायों पर सिफारिशें करते हैं. जिसमें सूक्ष्म जीवों से लेकर जानवरों तक शामिल हैं. इसके अलावा यहां बंदर, सांप, कछुए, मछलियां, बिल्लियां, मोर, चूहे, मेंढक आदि कलेक्ट किया जाता और कई प्रजातियों को संरक्षित किया जाता है.

मेंढकों की करीब 100 प्रजातियां अभी भी अज्ञात
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में असिस्टेंट जूलॉजिस्ट डॉ एसके रहमाननुमा सुल्ताना का कहना है कि दुनियाभर में मेंढकों की करीब 7 हजार प्रजातियां हैं. भारत में बुरोइंग फ्रॉग, ग्रीन फ्रॉग, बुल फ्रॉग, पेंटेड फ्रॉग, एशियन कॉमन टॉड और नैरो माउथ फ्रॉग जैसे मेंढक बहुत संवेदनशील हैं. आवास विनाश और बदलती जलवायु के कारण ये तेजी से लुप्त हो रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में मेंढकों की करीब 100 प्रजातियां अभी भी अज्ञात हैं. कहा जाता है कि इनमें से कई प्रजातियां खोजे जाने से पहले ही खत्म हो चुकी थीं.

यह भी पढ़ें- प्रोजेक्ट टाइगर का कमाल, दुनिया के तीन चौथाई बाघ भारत में, कौन-सा राज्य नंबर वन, जानें

हैदराबाद: धरती कई विचित्र चीजों की जन्मस्थली है. इसमें जैव विविधता की अपनी एक खास पहचान है. इस ग्रह पर कई ऐसी दुर्लभ प्रजातियां हैं, जिनसे हम अनजान हैं. वैज्ञानिक ऐसी चीजों की खोज के लिए लगातार रिसर्च कर रहे हैं. इसी कड़ी में शोधकर्ताओं ने आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट में एक दुर्लभ प्रजाति के दो मेंढकों की पहचान की है. इन्हें राना ग्रेसिलिस...गोल्डन बैक्ड फ्रॉग...श्रीलंकाई ब्राउन ईयरड श्रब फ्रॉग...स्यूडोफिलॉटस रेगियस के नाम से भी जाना जाता है. ये दोनों दुनिया में सिर्फ श्रीलंका में ही पाए जाते हैं, लेकिन पहली बार भारत में इनके अस्तित्व का पता चला है.

इको सिस्टम मानव अस्तित्व का सूचक होता है. अगर यह अच्छा है जैव विविधता नहीं नष्ट होगी. इको सिस्टम को जीवों के सहारे की जरूरत होती है. इसमें वेरटेब्रेट्स और एम्फिबियंस की खास जगह होती है. जीवन के अस्तित्व में इनकी भूमिका बहुत अहम है. इस धरती पर ऐसी कई चीजें हैं जो पर्यावरण परिवर्तन के कारण विलुप्त हो रही हैं, जबकि कुछ बहुत कम दिखाई देती हैं. वैज्ञानिकों ने ऐसे ही एक दुर्लभ एम्फिबियंस की खोज की है. हाल के दिनों में पूर्वी घाट में एम्फिबियंस पर बड़े पैमाने पर अध्ययन और शोध चल रहे हैं. वैश्विक स्तर पर...खासकर भारत में जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

श्रीलंका से पूर्वी घाटों की ओर पलायन
रिसर्च से पता चलता है कि एम्फिबियंस ने प्लीस्टोसीन के दौरान श्रीलंका से पूर्वी घाटों की ओर पलायन किया. इन तथ्यों को सच साबित करते हुए...शोधकर्ताओं ने आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले की शेषचलम पहाड़ियों में स्यूडोफिलॉटस रेजियस नामक मेंढक की एक दुर्लभ प्रजाति की खोज की है. इसके अलावा, श्रीलंका गोल्डन बैक्ड फ्रॉग...राना ग्रेसिलिस गौनीथिम्मेपल्ली में पलामनेरु कौंडिन्य वन क्षेत्र के पास एक तालाब में पाया गया. उन्हें हैदराबाद जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों ने एपी बायोडायवर्सिटी बोर्ड के सदस्यों के साथ मिलकर खोजा था.

जलवायु परिवर्तन से दुनिया का दम घुट रहा है. हालांकि...अच्छे पर्यावरण और जैव विविधता के चलते पूर्वी घाट के क्षेत्रों में श्रीलंकाई मेंढक पाए गए. उन्हें हैदराबाद जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया-जेडएसआई कार्यालय में लाया गया और डीएनए परीक्षण किए गए. पूर्वी घाट में श्रीलंकाई स्यूडोफिलाटस रेगियस की पहचान होने पर...अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध न्यूजीलैंड जर्नल ज़ूटाक्सा में भी एक लेख प्रकाशित हुआ.

पूर्वी घाटों में पर्यावरण अच्छा
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, हैदराबाद के रिसर्चर भूपति श्रीकांतकुमार का कहना है कि देश में कशेरुकियों का अचानक उभरना...वह भी पूर्वी घाटों में वैज्ञानिकों को खुश करता है. खास तौर पर हाइलिया और पश्चिमी घाटों में, जहां अधिकांश अध्ययन और शोध जैव विविधता पर किए जाते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्वी घाटों में ऐसे मेंढकों का मिलना यह दर्शाता है कि यहां भी पर्यावरण अच्छा है. आम तौर पर, कहा जाता है कि वे केवल प्रदूषण रहित क्षेत्रों में ही जीवित रहते हैं.

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में शोध
वहीं, इस संबंध में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया हैदराबाद के वैज्ञानिक डॉ. कर्तापंडी का कहना है कि जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का मुख्यालय कोलकाता में है जबकि इसका क्षेत्रीय कार्यालय हैदराबाद में है. यह केंद्र आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में मीठे पानी, समुद्री पानी और सीवेज के पानी में रहने वाले जीवों पर शोध और अध्ययन करता है. वे केंद्र और राज्य सरकारों, संबंधित मंत्रालयों और संगठनों को श्रेणीवार संरक्षण उपायों पर सिफारिशें करते हैं. जिसमें सूक्ष्म जीवों से लेकर जानवरों तक शामिल हैं. इसके अलावा यहां बंदर, सांप, कछुए, मछलियां, बिल्लियां, मोर, चूहे, मेंढक आदि कलेक्ट किया जाता और कई प्रजातियों को संरक्षित किया जाता है.

मेंढकों की करीब 100 प्रजातियां अभी भी अज्ञात
जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में असिस्टेंट जूलॉजिस्ट डॉ एसके रहमाननुमा सुल्ताना का कहना है कि दुनियाभर में मेंढकों की करीब 7 हजार प्रजातियां हैं. भारत में बुरोइंग फ्रॉग, ग्रीन फ्रॉग, बुल फ्रॉग, पेंटेड फ्रॉग, एशियन कॉमन टॉड और नैरो माउथ फ्रॉग जैसे मेंढक बहुत संवेदनशील हैं. आवास विनाश और बदलती जलवायु के कारण ये तेजी से लुप्त हो रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में मेंढकों की करीब 100 प्रजातियां अभी भी अज्ञात हैं. कहा जाता है कि इनमें से कई प्रजातियां खोजे जाने से पहले ही खत्म हो चुकी थीं.

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