नागौर/जयपुर. किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में जारी विवाद के बीच राजस्थान के दर्जनों छात्र वहां फंस गए हैं, जो अब भारतीय एंबेसी से मदद की गुहार लगा रहे हैं. वहीं, बिश्केक में फंसे छात्रों में नागौर के 8 स्टूडेंट शामिल हैं. ये सभी छात्र वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा हालात बिगड़ने के कारण सभी छात्रों ने खुद को एक कमरे में बंद कर रखा है, ताकि वो उपद्रवियों से बच सके. इस बीच नागौर के कुछ छात्रों ने ईटीवी भारत से संपर्क किया. छात्रों ने फोन के जरिए किर्गिस्तान की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया और बताया कि एंबेसी के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए उन लोगों ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया है. साथ ही वो लगातार एंबेसी से मदद की आस लगाए हुए हैं.
बिश्केक में चल रहे उपद्रव ने मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है. वहां बीते 13 मई से लगातार विवाद चल रहा है. स्थानीय किर्गिस्तानी छात्र दूसरे देशों के स्टूडेंट्स पर हमला कर रहे हैं. इस कारण दूसरे देशों के छात्रों ने खुद को कमरों में बंद कर लिया है. इसमें नागौर के भी आधा दर्जन से अधिक छात्र शामिल हैं, जो अब उपद्रव खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं. साथ ही मौजूदा हालातों को देखते हुए इन छात्रों ने एंबेंसी के साथ ही अपने परिजनों को भी घटना से अवगत कराया. इस बीच नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी भारत सरकार से छात्रों की मदद करने की गुहार लगाई है.
किर्गिस्तान में फंसे नागौर के 8 छात्र : किर्गिस्तान में अभी नागौर के 8 छात्र फंसे हैं. यह संख्या अभी और भी बढ़ सकती है, लेकिन परिवार के लोग पैनिक न हो इस कारण ज्यादातर छात्र अपने परिजनों को सूचना देने से बच रहे हैं. मौजूदा जानकारी के अनुसार नागौर शहर से एक स्टूडेंट, डेगाना से दो, खींवसर से एक, नागड़ी गांव से एक, सिणोद से एक, झुंझंड़ा गांव से एक, बरणगांव से एक स्टूडेंट वर्तमान में बिश्केक में फंसे हैं. नागौर के जिन स्टूडेंट की जानकारी सामने आई हैं, उनमें पांच स्टूडेंट एक ही यूनिवर्सिटी के हैं. वहीं, तीन स्टूडेंट दूसरे विश्वविद्यालय में पढ़ते हैं.
इसे भी पढ़ें - किर्गिस्तान में भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी छात्रों की क्यों की गई पिटाई ? - Kyrgyzstan Medical Study
खतरा दिखा तो एंबेसी से किया संपर्क : वहीं, किर्गिस्तान में जारी उपद्रव के दौरान जब छात्रों को खतरा महसूस हुआ तो उन्होंने सबसे पहले भारतीय एंबेसी से संपर्क किया. ऐसे में एंबेसी की ओर से इन छात्रों को केवल हिदायत दी गई है, न कि कोई ठोस सकारात्मक जवाब दिया गया है. दरअसल, एंबेसी की ओर से कहा गया कि सभी छात्र खुद को सुरक्षित स्थानों व कमरों में बंद रखें. यही वजह है कि अब छात्रों को डर सता रहा है कि स्थानीय स्टूडेंट्स उनके कमरों पर हमला न कर दें.
खाने पीने के सामान की किल्लत : हालांकि, शुरुआत के दो-तीन दिन छात्रों को खाने-पीने की सामग्री की कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन अब स्टूडेंट बाहर नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत खाने-पीने के सामानों की हो गई है.
खौफ में छात्र : नागौर के इन स्टूडेंट ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में बताया कि उन्होंने खुद को कमरों में बंद करके रखा है. खतरा अभी टला नहीं है. यदि वो बाहर निकले तो उनके साथ कोई भी अनहोनी हो सकती है.
इस वजह से शुरू हुआ उपद्रव : मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिश्केक में 13 मई को मिस्र और किर्गि छात्रों के बीच झगड़ा हो गया था. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ. झगड़े के दौरान स्थानीय छात्रों ने अशोभनीय बर्ताव किया. वहीं, मिस्त्र व किर्गि के स्थानीय छात्रों के बीच मारपीट हो गई. उसके बाद भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेशी छात्रों को भी निशाना बनाया गया. स्थानीय छात्र उनके हॉस्टल में घुस आए, जहां भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी छात्र रह रहे थे. असल में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से बड़ी संख्या में छात्र किर्गिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई करने जाते हैं. किर्गिस्तान की स्थानीय मीडिया वेबसाइट 24.KG के मुताबिक इस हिंसा में अब तक 29 छात्र घायल हुए हैं. वहां के हालात चिंताजनक बने हुए हैं. इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने छात्रों को हॉस्टल से बाहर नहीं निकलने को कहा है.