पटना: बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 रैली और पटना में एक रोड शो किया है.चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने दो दिनों तक रात में पटना में स्टे भी किया. बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. प्रधानमंत्री ने बीजेपी के 9 लोकसभा सीटों में बड़ी जनसभा की है.
बिहार में पीएम मोदी की रणनीति: वहीं सहयोगी दल 23 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं और उसमें से प्रधानमंत्री ने 6 लोकसभा सीटों पर जनसभा की है. बीजेपी की सात लोकसभा सीट और सहयोगी दलों की 17 सीटों पर प्रधानमंत्री नहीं गए और यह एक रणनीति के तहत ही किया गया है.
2024 में NDA का कुनबा बड़ा: 2019 में बिहार में एनडीए को 40 में से 39 सीट मिली थी. इस बार एनडीए में 2019 के मुकाबले गठबंधन में अधिक दल शामिल हैं. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी 2019 में एनडीए में नहीं थे. एनडीए का कुनबा इस बार बड़ा है. हालांकि भाजपा 2019 की तरह इस बार भी 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ी है.
15 रैली और पटना में रोड शो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार 400 के पार का नारा दिया है. ऐसे में बिहार के 40 सीटों की बड़ी भूमिका होने वाली है और इसलिए बीजेपी और एनडीए के दिग्गज नेताओं ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगा दी है. पहली बार कोई प्रधानमंत्री पटना में लगातार दो बार नाइट होल्ड भी किए हैं तो पटना में पहली बार प्रधानमंत्री का रोड शो भी हुआ है.
इन सीटों पर पीएम ने की सभा: बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रधानमंत्री ने 9 लोकसभा सीटों नवादा, अररिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सारण, पूर्वी चंपारण, महाराजगंज, बक्सर, और पाटलिपुत्र में सभाएं की. आरा, बेगूसराय, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, पटना साहिब, सासाराम में सभा नहीं हुई है.
23 में से महज 6 पर जनसभा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जदयू के लिए पूर्णिया, मुंगेर, चिराग पासवान के लिए हाजीपुर और जमुई में तो जीतन राम मांझी के लिए गया में और उपेंद्र कुशवाहा के लिए काराकाट में रैली की. एनडीए में उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और चिराग पासवान तीन प्रमुख सहयोगी हैं और तीनों नेताओं के लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री ने प्रचार किया है. लेकिन इसके बावजूद सहयोगी दलों के 23 लोकसभा सीट में से 17 लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री नहीं जा सके.
ऐसे तो डिमांड कई सीटों पर सहयोगी दलों की ओर से की जा रही थी. राजनीतिक विशेषज्ञ सुनील पांडे का कहना है बीजेपी कई तरह का सर्वे करवाती है. इस बार भी लोकसभा चुनाव से पहले लोकसभा सीटों की क्या स्थिति है उस पर सर्वे करवाई होगी और उसके रिपोर्ट के आधार पर ही प्रधानमंत्री के कार्यक्रम तय हुए होंगे.
"बीजेपी जमीनी सच्चाई को लेकर ही अपनी रणनीति तैयार करती है. ऐसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार लोकसभा का चुनाव अपने कंधों पर लेकर चल रहे हैं. उन्हीं के नाम पर चुनाव लड़ा भी जा रहा है. प्रधानमंत्री को स्ट्रेटजी के तहत उन लोकसभा सीटों पर बुलाया गया है जहां कांटे की लड़ाई है या फिर वह सीट एनडीए के लिए महत्वपूर्ण है."-सुनील पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ
पटना में पीएम के रुकने का क्या था कारण?:जहां बीजेपी और एनडीए के सहयोगियों को लगता है कि जीत पक्की है वहां प्रधानमंत्री की उन्हें जरूरत नहीं पड़ी है. प्रधानमंत्री को रोड शो पटना में किया गया तो इसके पीछे यह भी वजह रही कि यहां से कई सीटों को प्रधानमंत्री साध सके. इसी तरह जनसभा में भी बीजेपी की यह रणनीति रही है कि जहां प्रधानमंत्री की सभा हो रही है उसके आसपास के सीटों पर भी मैसेज दिया जा सके यानी एक जनसभा से कई सीटों को साधा जा सके. इस रणनीति के तहत भी लोकसभा सीटों का चयन किया गया.
'PM को सुनना चाहती है जनता'- बीजेपी: वहीं बीजेपी प्रवक्ता अजय आलोक का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संदेश देने वाले प्रधानमंत्री नहीं है और ना ही मनमोहन सिंह की तरह है जिनकी सभाओं का कोई मतलब नहीं होता था. प्रधानमंत्री को सुनने के लिए, देखने के लिए जनता आकर्षित होती है.
"प्रधानमंत्री बिहार में 40 लोकसभा सीटों के लिये 4000 भी सभा करते तो भी बिहार के लोग संतुष्ट नहीं हो पाते. प्रधानमंत्री की बहुत डिमांड थी. बीजेपी के तरफ से और सहयोगी दलों की तरफ से भी डिमांड थी."- अजय आलोक,बीजेपी प्रवक्ता
"डिमांड से अधिक ही प्रधानमंत्री ने जनसभा की है क्योंकि उन्हें पता है 2019 में 40 में से 39 सीट बिहार ने दिया था. बिहार में किसी दल के उम्मीदवार के तौर पर नहीं बल्कि एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर सभी सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं."- निखिल मंडल,जदयू प्रवक्ता
अमित शाह की 11 रैली: प्रधानमंत्री के अलावा लोकसभा चुनाव में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 11 रैलियां की हैं. कटिहार, झंझारपुर, सीतामढ़ी में जदयू उम्मीदवार के लिए तो वहीं काराकाट में आरएलएम उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा के लिए तो भाजपा के लिए बेतिया, मधुबनी, उजियारपुर, बेगूसराय, औरंगाबाद, आरा और सासाराम में रैली की.
नड्डा ने की 10 सभा: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 10 जनसभा बिहार में की हैं, जिसमें से चार बीजेपी के लिए और 6 सहयोगी दलों के उम्मीदवार के लिए की है. भागलपुर, झंझारपुर , शिवहर, नालंदा, और जहानाबाद में जदयू उम्मीदवार के लिए तो खगड़िया में लोजपा रामविलास उम्मीदवार के लिए जबकि मुजफ्फरपुर, अररिया, मोतिहारी और आरा में बीजेपी उम्मीदवार के लिए जनसभा की.
राजनाथ ने की पांच रैली: इसके अलावा राजनाथ सिंह ने BJP के लिए पांच जनसभा की है. योगी ने नवादा, औरंगाबाद, बेगूसराय, सारण, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, पटना साहिब, आरा में जबकि नितिन गडकरी ने बेगूसराय में बीजेपी उम्मीदवार के लिए रैली की. इसके अलावा असम के मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कई अन्य दिग्गज नेताओं ने भी बिहार में जनसभा की है.
बिहार में प्रधानमंत्री की जनसभा: प्रधानमंत्री ने बीजेपी के 17 सीटों में से 9 पर जनसभा की. सहयोगी दलों के 23 में से 6 सीटों पर जनसभा, बिहार में 40 सीटों में से 25 सीटों पर प्रधानमंत्री की जनसभा नहीं हुई. प्रधानमंत्री ने पटना में रोड शो और दो नाइट होल्ड भी किया. बता दें कि 2019 में प्रधानमंत्री ने केवल 11 जनसभा की थी, इस बार 4 अधिक रैली की है.
इंडिया गठबंधन रह गई पीछे: दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी ने केवल चार जनसभा की. मल्लिकार्जुन खरगे, जय राम रमेश, दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं की कुछ सभाएं हुई हैं. तेजस्वी यादव ने जरूर ढाई सौ के करीब जनसभा की है. इस बार न प्रियंका गांधी आईं और ना ही सोनिया गांधी. एक तरह से देखें तो एनडीए के दिग्गज नेता चुनाव प्रचार में इंडिया गठबंधन के नेताओं पर बिहार में भारी पड़े हैं. अब देखना है इसका रिजल्ट पर कितना असर होता है.
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