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पीसीएस जे 2022: हाईकोर्ट ने आयोग से मांगा अभ्यर्थियों का पूरा विवरण, 5 दिन में जवाब दाखिल करने को कहा - High Court Order

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 3, 2024, 8:40 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पीसीएस जे 2022 लिखित परीक्षा के परिणाम में संशोधन के बाद प्रभावित होने वाले अभ्यर्थियों का पूरा विवरण लोक सेवा आयोग से तलब किया है. कोर्ट ने आयोग के अध्यक्ष से कहा है कि वह व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट रूप से बताएं कि उत्तर पुस्तिकाओं में मिली गड़बड़ी में संशोधन के बाद कितने अंक बदले जाएंगे.

पीसीएस जे 2022
पीसीएस जे 2022 (photo credit etv bharat)

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पीसीएस जे 2022 लिखित परीक्षा के परिणाम में संशोधन के बाद प्रभावित होने वाले अभ्यर्थियों का पूरा विवरण लोक सेवा आयोग से तलब किया है. कोर्ट ने आयोग के अध्यक्ष से कहा है कि वह व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट रूप से बताएं कि उत्तर पुस्तिकाओं में मिली गड़बड़ी में संशोधन के बाद कितने अंक बदले जाएंगे. उन अभ्यर्थियों का पूरा विवरण जो इंटरव्यू में बुलाने के लिए अयोग्य ठहराए गए थे, संशोधन के बाद और संशोधन से पूर्व उनको मिले अंकों का विवरण मांगा है. साथ ही संशोधन के बाद जिन अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना है, उनके संशोधन से पूर्व और संशोधन के बाद प्राप्त अंकों का विवरण देने के लिए कहा है. इसके अलावा सभी 6 प्रश्न पत्रों की उत्तर पुस्तिकाओं में मास्टर कोड बदलने या यदि कोई अन्य खामी पाई गई है तो उसका पूरा विवरण भी प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

पीसीएस जे के अभ्यर्थी श्रवण पांडे की याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने याची के अधिवक्ता विभू राय और आयोग के वकील निशीत यादव को सुनने के बाद आयोग द्वारा सभी अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिकाएं दिखाए जाने के निर्णय पर कोई हस्तक्षेप ना करते हुए इस कार्य को तय समय सीमा में पूरा करने का निर्देश दिया है.

इससे पूर्व आयोग के डिप्टी सेक्रेटरी सुनील कुमार द्वारा एक जुलाई को कोर्ट में प्रस्तुत हलफनामे और सीलबंद जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया कि 50 अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं में गड़बड़ी पाई गई है. हलफनामे में बताया गया कि अंग्रेजी की उत्तर उत्तर पुस्तिकाओं के दो बंडलों पर फेक मास्टर कोड आपस में बदल गए. इससे एक बंडल के 25 अभ्यर्थियों के अंक दूसरे बंडल के 25 अभ्यर्थियों से बदल गए. हालांकि आयोग ने अपने हलफनामे में संभावना जताई है कि मेरिट लिस्ट में संशोधन से कुछ चयनित अभ्यर्थी बाहर होंगे और उनके स्थान पर दूसरे अभ्यर्थी आएंगे. फलस्वरुप जो लोग गलती की वजह से मेरिट लिस्ट से बाहर हो गए थे, उनको साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा और नई चयन सूची तैयार करनी होगी.

आयोग ने कोर्ट को यह भी बताया कि उसने सभी 3019 अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिकाएं देखने के लिए बुलाया है, ताकि मूल्यांकन में यदि कोई अन्य गलती हो तो उसका पता चल सके. उत्तर पुस्तिकाएं 30 जुलाई तक दिखाई जाएंगी तथा संशोधित परिणाम 30 अगस्त तक तैयार कर लिया जाएगा.

कोर्ट ने आयोग द्वारा बताई गई इस समय सीमा पर असंतोष जताया. कोर्ट ने कहा कि परिणाम अगस्त 2023 में जारी हो चुका है और चयनित अभ्यर्थी न्यायिक सेवा में विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. इसे इतने हल्के तरीके से लेने की आयोग को अनुमति नहीं दे सकते. कोर्ट ने कहा आवश्यक संशोधन के लिए इतना समय नहीं दिया जा सकता है. कोर्ट ने मांगी गई जानकारी पर आयोग अध्यक्ष को पांच दिन में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.

यह भी पढ़ें :UP PCS-J में काॅपियों की कोडिंग थी गलत, बदल गए 2 बंडल, 5 अफसर पाए गए दोषी, 3 सस्पेंड - Pcs J Main Exam 2022 Result

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी पीसीएस जे 2022 लिखित परीक्षा के परिणाम में संशोधन के बाद प्रभावित होने वाले अभ्यर्थियों का पूरा विवरण लोक सेवा आयोग से तलब किया है. कोर्ट ने आयोग के अध्यक्ष से कहा है कि वह व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट रूप से बताएं कि उत्तर पुस्तिकाओं में मिली गड़बड़ी में संशोधन के बाद कितने अंक बदले जाएंगे. उन अभ्यर्थियों का पूरा विवरण जो इंटरव्यू में बुलाने के लिए अयोग्य ठहराए गए थे, संशोधन के बाद और संशोधन से पूर्व उनको मिले अंकों का विवरण मांगा है. साथ ही संशोधन के बाद जिन अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना है, उनके संशोधन से पूर्व और संशोधन के बाद प्राप्त अंकों का विवरण देने के लिए कहा है. इसके अलावा सभी 6 प्रश्न पत्रों की उत्तर पुस्तिकाओं में मास्टर कोड बदलने या यदि कोई अन्य खामी पाई गई है तो उसका पूरा विवरण भी प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

पीसीएस जे के अभ्यर्थी श्रवण पांडे की याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने याची के अधिवक्ता विभू राय और आयोग के वकील निशीत यादव को सुनने के बाद आयोग द्वारा सभी अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिकाएं दिखाए जाने के निर्णय पर कोई हस्तक्षेप ना करते हुए इस कार्य को तय समय सीमा में पूरा करने का निर्देश दिया है.

इससे पूर्व आयोग के डिप्टी सेक्रेटरी सुनील कुमार द्वारा एक जुलाई को कोर्ट में प्रस्तुत हलफनामे और सीलबंद जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया कि 50 अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं में गड़बड़ी पाई गई है. हलफनामे में बताया गया कि अंग्रेजी की उत्तर उत्तर पुस्तिकाओं के दो बंडलों पर फेक मास्टर कोड आपस में बदल गए. इससे एक बंडल के 25 अभ्यर्थियों के अंक दूसरे बंडल के 25 अभ्यर्थियों से बदल गए. हालांकि आयोग ने अपने हलफनामे में संभावना जताई है कि मेरिट लिस्ट में संशोधन से कुछ चयनित अभ्यर्थी बाहर होंगे और उनके स्थान पर दूसरे अभ्यर्थी आएंगे. फलस्वरुप जो लोग गलती की वजह से मेरिट लिस्ट से बाहर हो गए थे, उनको साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा और नई चयन सूची तैयार करनी होगी.

आयोग ने कोर्ट को यह भी बताया कि उसने सभी 3019 अभ्यर्थियों को उत्तर पुस्तिकाएं देखने के लिए बुलाया है, ताकि मूल्यांकन में यदि कोई अन्य गलती हो तो उसका पता चल सके. उत्तर पुस्तिकाएं 30 जुलाई तक दिखाई जाएंगी तथा संशोधित परिणाम 30 अगस्त तक तैयार कर लिया जाएगा.

कोर्ट ने आयोग द्वारा बताई गई इस समय सीमा पर असंतोष जताया. कोर्ट ने कहा कि परिणाम अगस्त 2023 में जारी हो चुका है और चयनित अभ्यर्थी न्यायिक सेवा में विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. इसे इतने हल्के तरीके से लेने की आयोग को अनुमति नहीं दे सकते. कोर्ट ने कहा आवश्यक संशोधन के लिए इतना समय नहीं दिया जा सकता है. कोर्ट ने मांगी गई जानकारी पर आयोग अध्यक्ष को पांच दिन में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.

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