नई दिल्ली: पाकिस्तान में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं. नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ अन्य छोटे दलों और निर्दलियों के सहयोग से सरकार बनाने की घोषणा कर दी है. पीएमएल-एन ने शहबाज शरीफ को पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री घोषित किया है. पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने कहा है कि वह सरकार में शामिल हुए बिना पीएमएल-एन की सरकार को समर्थन देंगे. वहीं, दूसरी ओर जेल में बंद इमरान खान अभी भी खुद को सरकार बनाने की दौड़ से बाहर नहीं मान रहे हैं.
पूर्व क्रिकेटर और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) अपने निर्दलीय जीते उम्मीदवारों और मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन (एमडब्ल्यूएम) के साथ मिलकर सरकार बनाने का पहल कर रहे हैं. पीटीआई के प्रवक्ता रऊफ हसन ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की.
हसन ने इमरान खान के हवाले से कहा कि पाकिस्तान की जनता ने वोट डाल कर जिन्हें चुना है. उन्हें सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए. यह चुने हुए लोगों का अधिकार है. उन्होंने कहा कि मुझे (इमरान) खान साहब ने पीएमएल-एन, एमक्यूएम-पी और पीपीपी के अलावा अन्य दलों और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए संघर्ष करने वाले राजनीतिक लोगों के साथ सरकार बनाने के लिहाज से बातचीत शुरू करने को कहा है.
मालूम ही है कि पाकिस्तान में इसी 8 तारीख को मतदान हुए. जिसके परिणाम कई दिनों की देरी के बाद 11 फरवरी को घोषित हुए. चुनाव आयोग की ओर से जारी अंतिम परिणामों में पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सबसे बड़ी इकाई के रूप में उभरे. पाकिस्तान चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, 266 में से पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को 92 सीटें मिली. जबकि पीएमएल-एन को 82 और पीपीपी को 54 सीटें मिली हैं. एमडब्ल्यूएम, जिसके साथ पीटीआई समर्थित निर्दलीयों को गठबंधन सरकार बनाने के लिए इमरान खान ने हरी झंडी दी है ने केवल एक सीट जीती है.
एमडब्ल्यूएम क्या है, क्यों इमरान खान इसे अपना संभावित सहयोगी मानते हैं: एमडब्ल्यूएम यानी मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन पार्टी की पहचान पाकिस्तान में एक राजनीतिक और धार्मिक पार्टी की है. यह मुख्य रूप से इस्लाम के पुनरुद्धार को बढ़ावा देने और राष्ट्र की एकता और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है. पार्टी पाकिस्तान के शिया समुदाय के उत्पीड़न को संबोधित करने, सुन्नी मुस्लिम समुदाय के साथ सकारात्मक संबंधों को बढ़ावा देने, मुसलमानों के बीच राजनीतिक और धार्मिक जागरूकता को बढ़ावा देने और समाज के भीतर कुरान की शिक्षाओं को पुनर्जीवित करने पर ध्यान केंद्रित करती है.
एमडब्ल्यूएम का व्यापक एजेंडा एक धार्मिक इस्लामी गणराज्य की स्थापना है. जो व्यक्तियों की भलाई को प्राथमिकता देता है, जिसमें सहयोगात्मक सामुदायिक प्रयासों के माध्यम से हासिल की गई मुस्लिम एकता पर जोर दिया जाता है. पार्टी सभी धार्मिक, जातीय और नस्लीय समुदायों की जरूरतों को पूरा करते हुए पाकिस्तान को राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक सद्भाव और आर्थिक समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शन करने की इच्छा रखने का दावा करती है.
एमडब्ल्यूएम ने 2013 और 2024 के पाकिस्तानी आम चुनावों में पीटीआई का समर्थन किया. यह इमरान खान और उनकी पार्टी की ओर से समर्थित पहला धार्मिक-राजनीतिक संगठन है. एमडब्ल्यूएम सरकार गठन की प्रक्रिया में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है. ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि देश के चुनाव पैनल ने इमरान खान की पार्टी को चुनाव लड़ने और उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न क्रिकेट का बल्ला इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित कर दिया था. इसके साथ ही चुनाव जीतने वाले 92 उम्मीदवार चाहें भी तो पीटीआई में शामिल नहीं हो सकते हैं. हालांकि, उन्हें अन्य राजनीतिक दलों में शामिल होने की अनुमति है. ऐसे में एमडब्ल्यूएम उनके लिए एक विकल्प है.
पीटीआई समर्थित निर्दलीय और एमडब्ल्यूएम के पास कुल मिलाकर 266 निर्वाचित सीटों में से 93 सीटें हैं. सरकार स्थापित करने के लिए, किसी पार्टी या गठबंधन को नेशनल असेंबली की 266 सीटों में से 134 सीटों का सीधा बहुमत हासिल करना होगा. यह गठबंधन विभिन्न दलों से बना हो सकता है या इसमें विजयी हुए स्वतंत्र उम्मीदवार भी शामिल हो सकते हैं. निर्दलीयों के पास या तो सरकार बनाने की इच्छुक पार्टी के साथ औपचारिक रूप से जुड़ने या अपनी विशिष्ट व्यक्तिगत पहचान बनाए रखते हुए गठबंधन बनाने का विकल्प है.
यहां एक पेंच यह है कि 266 निर्वाचित सीटों के अलावा, नेशनल असेंबली में 70 आरक्षित सीटें हैं, जिनमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए 10 और महिलाओं के लिए 60 सीटें शामिल हैं. ये सीटें 5 प्रतिशत से अधिक वोट वाली पार्टियों के बीच आनुपातिक प्रतिनिधित्व से भरी जानी हैं. यहां तक कि अगर पीटीआई समर्थित निर्दलीय और एकमात्र एमडब्ल्यूएम उम्मीदवार को भी ध्यान में रखा जाए, तो उन्हें केवल 20 से अधिक आरक्षित सीटें मिलेंगी. इस तरह कुल सीटें 113 से कुछ अधिक हो जाती हैं. यही कारण है कि एक तीसरी पार्टी, जमात-ए-इस्लामी (जेआई) से भी बातचीत की कोशिश की जा रही है. हालांकि जेआई के हिस्से में नेशनल असेंबली की एक भी सीट नहीं है लेकिन 5 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर होने के कारण वह आरक्षित सीटों को भर सकती है.
जमात-ए-इस्लामी की विचारधारा और इमरान खान : जेआई घोषित रूप से पाकिस्तान को शरिया कानून द्वारा शासित एक इस्लामिक राज्य में बदलना चाहती है. हालांकि, वह इसके लिए क्रमिक कानूनी और राजनीतिक प्रक्रिया के पालन की भी बात करती है. यह पूंजीवाद, साम्यवाद, उदारवाद और धर्मनिरपेक्षता के साथ-साथ बैंक ब्याज की पेशकश जैसी आर्थिक प्रथाओं का दृढ़ता से विरोध करने वाली पार्टी है. मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि जेआई पीटीआई नेतृत्व के संपर्क में है. उसने पीटीआई के गठबंधन सरकार को समर्थन देने पर सहमति जताई है. क्या इमरान खान की पीटीआई समर्थित निर्दलीय एमडब्ल्यूएम और जेआई की छत्रछाया में गठबंधन सरकार बना सकती हैं? यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा.