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महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद का देवरी से था गहरा नाता, उपन्यास सम्राट के दिल में बसती थी यहां की फिजा

महान उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का मध्य प्रदेश के देवरी से खास लगाव था, वे यहां महीनों रुकते. पुण्यतिथि पर जानिए प्रेमचंद का बुंदेलखंड कनेक्शन.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Updated : 3 hours ago

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सागर: महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और उनकी रचनाएं आज भी कई मायनों में प्रासंगिक हैं. मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को है. महज 56 साल की उम्र में देश और दुनिया को महान रचनाओं का पिटारा सौंप गए महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद का मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड से गहरा नाता था. दरअसल, उनकी बेटी कमला देवी का सागर जिले की देवरी के संपन्न मालगुजार परिवार में रिश्ता हुआ था. मुंशी प्रेमचंद अपनी बेटी कमला के काफी करीब थे और सागर के आसपास की आवोहवा उन्हें खूब भाती थी. अक्सर बेटी को लिखी चिट्ठी में वो यहां की जलवायु की चर्चा करते थे और यहां आने की जानकारी देते थे.

मुंशी प्रेमचंद जब देवरी या सागर आते थे, तो महीनों रुकते थे. यहां की संस्कृति और जनजीवन को उन्होंने गहराई से समझा. कहा जाता है कि अपनी महान रचना "पूस की रात" का सृजन मुंशी प्रेमचंद ने देवरी में रहते हुए किया था. इसके अलावा उन्होंने बुंदेलखंड को इतनी संवेदनशीलता से समझा था कि बुंदेलखंड के लोक देव हरदौल और ओरछा की रानी सिंराधा पर भी कहानी लिखी थी. सागर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और कहानीकार डॉ. आशुतोष ने प्रेमचंद के साहित्य लेखन और जीवन पर काफी शोध किया है. बुंदेलखंड से मुंशी प्रेमचंद के रिश्ते को लेकर उन्होंने ईटीवी भारत से विशेष चर्चा की.

प्रोफेसर डॉ. आशुतोष ने दी जानकारी (ETV Bharat)

बुंंदेलखंड से जीवन और सृजन का नाता

सागर यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के असि. प्रोफेसर और कहानीकार डाॅ आशुतोष बताते हैं कि 'बुंदेलखंड और विशेषकर सागर से प्रेमचंद का दो तरह का रिश्ता जीवन और सृजन का है. प्रेमचंद का पहला रिश्ता जीवन से बना और उसके बाद उनका परिचय पूरे बुंदेलखंड और यहां के सुख-दुख से हुआ. उनकी बेटी का नाम कमला था. जैसा हर पिता चाहता है कि बेटी का रिश्ता आसपास किया जाए. प्रेमचंद का लमही बनारस से नाता था. उन्होंने वहां आसपास लखनऊ और कानपुर में बेटी की शादी की बात चलाई, लेकिन कहीं बात नहीं बनी.

आखिरकार 1928 में सागर में देवरी के संपन्न मालगुजार परिवार में उनकी बेटी कमला की शादी तय हुई. 1928 में कमला का विवाह हुआ. उनके दामाद का नाम वासुदेव प्रसाद था. वो बडे़ संपन्न लोग थे, देवरी में उनकी जमीन थी. 1932 में आकर सिविल लाइन में बस गए. उनके दामाद वरिष्ठ वकील थे और उनका बड़ा नाम था.'

NOVELIST MUNSHI PREMCHAND
सागर से प्रेमचंद का खास लगाव (ETV Bharat)

यहां की जलवायु के थे मुरीद

बेटी का रिश्ता होने के बाद प्रेमचंद लगातार सागर आते थे. यह भी बताया जाता है कि उनकी बेटी कमला की जब पहली संतान हुई, तो प्रेमचंद काफी लंबे समय सागर में करीब 4 से 5 महीने तक रहे. उनकी बेटी से हुए पत्राचार से भी पता चलता था कि उन्हें सागर काफी पसंद था. कई चिट्ठियां उन्होंने अपनी बेटी को कानपुर और बनारस से लिखी. जिनमें वो अक्सर लिखते थे कि जलवायु परिवर्तन के लिए मैं सागर आना चाहता हूं. फलां तारीख को आऊंगा, वहां की आवोहवा मेरे स्वास्थ्य के लिए काफी मुफीद है.

प्रेमचंद की बेटी कमला की पहली संतान बेटा प्रबोध कुमार का जन्म 1935 में हुआ. उन्होंने सागर यूनिवर्सिटी में मानव विज्ञान में पीजी डिग्री की और यहां पढ़ाया भी है. वो आस्ट्रेलिया और जर्मनी में विजिटिंग प्रोफेसर रहे और लौटने के बाद कोलकाता में रहे. प्रबोध कुमार अपने समय के बेहतरीन कहानीकार थे. शीशा जैसा कहानी संग्रह और निरीह की दुनिया जैसी कहानियां उस समय कल्पना और आलोचना में प्रकाशित हुई.

पूस की रात में बुंंदेलखंड के किसान का संघर्ष

डॉ आशुतोष बताते हैं कि 'मुंशी प्रेमचंद की बड़ी चर्चित कहानी "पूस की रात" है. उसके बारे में हमारी धारणा और मान्यता है कि उन्होंने ये रचना देवरी में की थी. इसके पीछे कारण ये है कि देवरी में उनकी बेटी कमला की शादी हुई थी. वो सुखचैन नदी के किनारे देवरी में ठंड के मौसम में आते थे. बुंदेलखंड के बारे में कहा जाता है कि यहां की सुबह सोना और शाम चांदी होती है, लेकिन जाडे़ की रात में बड़ी ठंड होती है. उन्हीं ठंड के दिनों में जब प्रेमचंद आए, तो बेटी के यहां रहते हुए उन्होंने ठंड की तासीर को शिद्दत से महसूस किया. जैसा एक संवेदनशील रचनाकार कर पाता है, क्योंकि ग्रामीण इलाके में किसानी होती थी. उन्होंने हलकू को ऐसे किसान के रूप में सृजित किया कि कोई किसान अपनी थोड़ी सी फसल और छोटे से खेत के लिए ऐसी भीषण ठंड में रात में पहरेदारी कर रहा है, तो उसका जीवन संघर्ष कितना कष्टमय होगा.

Novelist Munshi Premchand
महान उपन्यासकार प्रेमचंद (ETV Bharat)

देवरी के लोगों को इस बात का गर्व है कि देवरी से हिंदी कथा जगत के भारतीय साहित्यकारों में से महान कथाकार का नाता रहा है. प्रेमचंद देवरी आते थे. उन्होंने देवरी का जिक्र किया. अपने निबंध में किसी दूसरे प्रसंग पर बात करते हुए डाॅ हरीसिंह गौर का भी नाम लिखते हैं. वो इतना परिचित थे, इस बुंदेलखंड से कि उनके लेखन में यहां का दर्द दिखता है. बनारस लमही और पूर्वी उत्तरप्रदेश के होते भी प्रेमचंद बुंदेलखंड से भली भांति परिचित थे और इस परिचय को उन्होंने अपनी रचना में स्थान दिया.

यहां पढ़ें...

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हॉकी के जादूगर का जबलपुर से क्या है कनेक्शन, आखिर क्यों लगाई गई ध्यानचंद की मूर्ति

हरदौल और रानी सिरांधा पर लिखी कहानी

सागर को लेकर प्रेमचंद के मन में बडा भाव था. इस बुंदेलखंड से परिचित होने के नाते जो चर्चित कहानियां प्रेमचंद ने की है. उनमें हरदौल की कहानी जो ओरछा से संबंधित था. जुझार सिंह ने अपने छोटे भाई हरदौल पर अपनी पत्नी को लेकर संदेह किया, तो हरदौल ने भाभी की प्रतिष्ठा को लेकर जहर का प्याला पिया था. आज भी बुंदेलखंड में शादियों में पहला न्यौता हरदौल को ही जाता है. बुंदेलखंड से परिचित होने के बाद प्रेमचंद ने यहां की अस्मिता, प्रेम और त्याग की भावना को समझा. दूसरी महत्वपूर्ण कहानी रानी सरांधा कहानी उन्होंने लिखी. ओरछा के राजा चंपत राय की पत्नी रानी सरांधा थीं.

सागर: महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और उनकी रचनाएं आज भी कई मायनों में प्रासंगिक हैं. मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को है. महज 56 साल की उम्र में देश और दुनिया को महान रचनाओं का पिटारा सौंप गए महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद का मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड से गहरा नाता था. दरअसल, उनकी बेटी कमला देवी का सागर जिले की देवरी के संपन्न मालगुजार परिवार में रिश्ता हुआ था. मुंशी प्रेमचंद अपनी बेटी कमला के काफी करीब थे और सागर के आसपास की आवोहवा उन्हें खूब भाती थी. अक्सर बेटी को लिखी चिट्ठी में वो यहां की जलवायु की चर्चा करते थे और यहां आने की जानकारी देते थे.

मुंशी प्रेमचंद जब देवरी या सागर आते थे, तो महीनों रुकते थे. यहां की संस्कृति और जनजीवन को उन्होंने गहराई से समझा. कहा जाता है कि अपनी महान रचना "पूस की रात" का सृजन मुंशी प्रेमचंद ने देवरी में रहते हुए किया था. इसके अलावा उन्होंने बुंदेलखंड को इतनी संवेदनशीलता से समझा था कि बुंदेलखंड के लोक देव हरदौल और ओरछा की रानी सिंराधा पर भी कहानी लिखी थी. सागर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और कहानीकार डॉ. आशुतोष ने प्रेमचंद के साहित्य लेखन और जीवन पर काफी शोध किया है. बुंदेलखंड से मुंशी प्रेमचंद के रिश्ते को लेकर उन्होंने ईटीवी भारत से विशेष चर्चा की.

प्रोफेसर डॉ. आशुतोष ने दी जानकारी (ETV Bharat)

बुंंदेलखंड से जीवन और सृजन का नाता

सागर यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के असि. प्रोफेसर और कहानीकार डाॅ आशुतोष बताते हैं कि 'बुंदेलखंड और विशेषकर सागर से प्रेमचंद का दो तरह का रिश्ता जीवन और सृजन का है. प्रेमचंद का पहला रिश्ता जीवन से बना और उसके बाद उनका परिचय पूरे बुंदेलखंड और यहां के सुख-दुख से हुआ. उनकी बेटी का नाम कमला था. जैसा हर पिता चाहता है कि बेटी का रिश्ता आसपास किया जाए. प्रेमचंद का लमही बनारस से नाता था. उन्होंने वहां आसपास लखनऊ और कानपुर में बेटी की शादी की बात चलाई, लेकिन कहीं बात नहीं बनी.

आखिरकार 1928 में सागर में देवरी के संपन्न मालगुजार परिवार में उनकी बेटी कमला की शादी तय हुई. 1928 में कमला का विवाह हुआ. उनके दामाद का नाम वासुदेव प्रसाद था. वो बडे़ संपन्न लोग थे, देवरी में उनकी जमीन थी. 1932 में आकर सिविल लाइन में बस गए. उनके दामाद वरिष्ठ वकील थे और उनका बड़ा नाम था.'

NOVELIST MUNSHI PREMCHAND
सागर से प्रेमचंद का खास लगाव (ETV Bharat)

यहां की जलवायु के थे मुरीद

बेटी का रिश्ता होने के बाद प्रेमचंद लगातार सागर आते थे. यह भी बताया जाता है कि उनकी बेटी कमला की जब पहली संतान हुई, तो प्रेमचंद काफी लंबे समय सागर में करीब 4 से 5 महीने तक रहे. उनकी बेटी से हुए पत्राचार से भी पता चलता था कि उन्हें सागर काफी पसंद था. कई चिट्ठियां उन्होंने अपनी बेटी को कानपुर और बनारस से लिखी. जिनमें वो अक्सर लिखते थे कि जलवायु परिवर्तन के लिए मैं सागर आना चाहता हूं. फलां तारीख को आऊंगा, वहां की आवोहवा मेरे स्वास्थ्य के लिए काफी मुफीद है.

प्रेमचंद की बेटी कमला की पहली संतान बेटा प्रबोध कुमार का जन्म 1935 में हुआ. उन्होंने सागर यूनिवर्सिटी में मानव विज्ञान में पीजी डिग्री की और यहां पढ़ाया भी है. वो आस्ट्रेलिया और जर्मनी में विजिटिंग प्रोफेसर रहे और लौटने के बाद कोलकाता में रहे. प्रबोध कुमार अपने समय के बेहतरीन कहानीकार थे. शीशा जैसा कहानी संग्रह और निरीह की दुनिया जैसी कहानियां उस समय कल्पना और आलोचना में प्रकाशित हुई.

पूस की रात में बुंंदेलखंड के किसान का संघर्ष

डॉ आशुतोष बताते हैं कि 'मुंशी प्रेमचंद की बड़ी चर्चित कहानी "पूस की रात" है. उसके बारे में हमारी धारणा और मान्यता है कि उन्होंने ये रचना देवरी में की थी. इसके पीछे कारण ये है कि देवरी में उनकी बेटी कमला की शादी हुई थी. वो सुखचैन नदी के किनारे देवरी में ठंड के मौसम में आते थे. बुंदेलखंड के बारे में कहा जाता है कि यहां की सुबह सोना और शाम चांदी होती है, लेकिन जाडे़ की रात में बड़ी ठंड होती है. उन्हीं ठंड के दिनों में जब प्रेमचंद आए, तो बेटी के यहां रहते हुए उन्होंने ठंड की तासीर को शिद्दत से महसूस किया. जैसा एक संवेदनशील रचनाकार कर पाता है, क्योंकि ग्रामीण इलाके में किसानी होती थी. उन्होंने हलकू को ऐसे किसान के रूप में सृजित किया कि कोई किसान अपनी थोड़ी सी फसल और छोटे से खेत के लिए ऐसी भीषण ठंड में रात में पहरेदारी कर रहा है, तो उसका जीवन संघर्ष कितना कष्टमय होगा.

Novelist Munshi Premchand
महान उपन्यासकार प्रेमचंद (ETV Bharat)

देवरी के लोगों को इस बात का गर्व है कि देवरी से हिंदी कथा जगत के भारतीय साहित्यकारों में से महान कथाकार का नाता रहा है. प्रेमचंद देवरी आते थे. उन्होंने देवरी का जिक्र किया. अपने निबंध में किसी दूसरे प्रसंग पर बात करते हुए डाॅ हरीसिंह गौर का भी नाम लिखते हैं. वो इतना परिचित थे, इस बुंदेलखंड से कि उनके लेखन में यहां का दर्द दिखता है. बनारस लमही और पूर्वी उत्तरप्रदेश के होते भी प्रेमचंद बुंदेलखंड से भली भांति परिचित थे और इस परिचय को उन्होंने अपनी रचना में स्थान दिया.

यहां पढ़ें...

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हॉकी के जादूगर का जबलपुर से क्या है कनेक्शन, आखिर क्यों लगाई गई ध्यानचंद की मूर्ति

हरदौल और रानी सिरांधा पर लिखी कहानी

सागर को लेकर प्रेमचंद के मन में बडा भाव था. इस बुंदेलखंड से परिचित होने के नाते जो चर्चित कहानियां प्रेमचंद ने की है. उनमें हरदौल की कहानी जो ओरछा से संबंधित था. जुझार सिंह ने अपने छोटे भाई हरदौल पर अपनी पत्नी को लेकर संदेह किया, तो हरदौल ने भाभी की प्रतिष्ठा को लेकर जहर का प्याला पिया था. आज भी बुंदेलखंड में शादियों में पहला न्यौता हरदौल को ही जाता है. बुंदेलखंड से परिचित होने के बाद प्रेमचंद ने यहां की अस्मिता, प्रेम और त्याग की भावना को समझा. दूसरी महत्वपूर्ण कहानी रानी सरांधा कहानी उन्होंने लिखी. ओरछा के राजा चंपत राय की पत्नी रानी सरांधा थीं.

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