पटना: पूरे देश में लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ी हुई है. गठबंधन और पार्टियों की ओर से उम्मीदवारों के नाम की घोषणा भी लगातार हो रही है. पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को है और पहले चरण का नामांकन भी पूरा हो चुका है. लोकसभा चुनाव जीतने वाले सांसदों की बात करें तो तीन से लेकर पांच बार तक कई सांसद लोकसभा गए हैं. लेकिन कुछ सांसदों ने आठ बार और नौ बार या उससे अधिक बार लोकसभा पहुंचकर अपने नाम रिकॉर्ड बनाया है.
रामविलास पासवान के नाम रिकॉर्ड: रामविलास पासवान बिहार में नौ बार सांसद बने थे और उस रिकॉर्ड को तोड़ता हुआ फिलहाल कोई दिख नहीं रहा है. जॉर्ज फर्नांडिस और जगजीवन बाबू ने भी आठ बार सांसद बनकर रिकॉर्ड बनाया. राधा मोहन सिंह भी 6 बार अब तक लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. इस बार सातवीं लोकसभा चुनाव जीत सकते हैं.
पांच बार सांसद बनने वाले नेता: वहीं पांच बार जीतने का रिकॉर्ड बिहार के कई सांसदों के नाम है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मीरा कुमार , रामकृपाल यादव, पप्पू यादव, रघुवंश सिंह, तारिक अनवर इसमें शामिल हैं. लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ भी मानते हैं कि रामविलास का रिकॉर्ड तोड़ पाना अब आसान नहीं है.
रामविलास पासवान 9 बार जीते लोकसभा चुनाव: रामविलास पासवान आठ बार हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से और एक बार रोसड़ा से सांसद बने थे. रोसड़ा से 1991 में रामविलास पासवान ने चुनाव जीता था. परिसीमन के बाद रोसड़ा संसदीय क्षेत्र खत्म हो गया. ऐसे रामविलास पासवान पहला लोकसभा चुनाव हाजीपुर से ही 1977 में जनता पार्टी से जीते थे. रामविलास 1985 में एक बार उत्तर प्रदेश के बिजनौर से भी उपचुनाव लड़े थे. हालांकि उसमें जीत नहीं पाए. रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक भी कहा जाता था और इसलिए जब भी केंद्र में सरकार बनी सभी में मंत्री भी बनते रहे.
आठ बार सांसद बने जगजीवन राम :वहीं जगजीवन राम सासाराम से आठ बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीते थे. देश की आजादी के बाद यह पहले चुनाव था उसके बाद लगातार सांसद बनते रहे.
जॉर्ज फर्नांडिस भी 8 बार जीते: जॉर्ज फर्नांडिस ने भी आठ बार चुनाव जीतकर बिहार में रिकॉर्ड बनाया था. समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडिस 1977 में मुजफ्फरपुर से जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते थे. देश के पहले गैर कांग्रेसी सरकार में मंत्री भी बने. 1980 में फिर से चुनाव जीते. इसके बाद 1984 में बेंगलुरु से लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन वहां चुनाव हार गए.
1994 में समता पार्टी का गठन: उसके बाद फिर से जॉर्ज फर्नांडिस बिहार आ गए और यहां से 1989 और 1991 में जनता दल के उम्मीदवार के रूप में मुजफ्फरपुर से ही चुनाव जीते. 1994 में समता पार्टी उन्होंने बनाया और तीन बार लगातार 1996, 1998 , 1999 में नालंदा से चुनाव जीते और अंत में मुजफ्फरपुर से 2004 में चुनाव जीते. जॉर्ज फर्नांडिस एनडीए के संयोजक रहे केंद्र में मंत्री भी बनते रहे.
तीनों रिकॉर्डधारी का निधन: तीनों रिकॉर्डधारी रामविलास पासवान,जगजीवन राम और जॉर्ज फर्नांडिस का निधन हो चुका है. बिहार में इस रिकॉर्ड के नजदीक अब राधा मोहन सिंह हैं और संभवत उनका यह अंतिम चुनाव होगा. इस बार यदि चुनाव जीत भी जाते हैं तो सात बार ही जीत पाएंगे.
बिहार के रिकॉर्ड धारी सांसदों की सूची: रामविलास पासवान 09 बार सांसद बने. जॉर्ज फर्नांडिस और बाबू जगजीवन राम 08 बार लोकसभा पहुंचे. वहीं राधामोहन सिंह ने 6 बार जीत दर्ज की है. नीतीश कुमार, मीरा कुमार, रामकृपाल यादव, पप्पू यादव और तारिक अनवर पांच-पांच बार एमपी बन चुके हैं.
रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में राधा मोहन सिंह: इन सबके अलावा चार बार और हैट्रिक लगाने वाले तो कई सांसद है लेकिन रिकार्ड बनाने वाले सांसदों के नजदीक यदि पहुंचने वालों की चर्चा करें तो राधा मोहन सिंह सबसे नजदीक हैं, लेकिन उनका भी इस बार टिकट काटने की चर्चा हो रही थी. उन्हें भाजपा ने फिर से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है और इस बार जीतते हैं तो उनकी सातवीं जीत होगी. इसके बाद टिकट उन्हें मिलेगा इसकी संभावना कम ही है.
रिकॉर्ड तोड़ पाना नहीं आसान: राधा मोहन सिंह के अलावे पांच बार जीतने वाले सांसदों में नीतीश कुमार, मीरा कुमार और रघुवंश प्रसाद सिंह हैं. रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन हो चुका है. वहीं नीतीश कुमार और मीरा कुमार लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ रहे हैं. ऐसे में रामकृपाल यादव, पप्पू यादव और तारिक अनवर ऐसे नेता हैं जो पांच बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं और इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन रामविलास के रिकॉर्ड तक आगे पहुंच पाएंगे यह दावा कोई नहीं कर सकता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट : राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ नेता राजीव रंजन का कहना है कि "हमारे देश में राजनीति में नायकों की एक परंपरा है. देश के अलग-अलग प्रांतों में ऐसे कई राजनेता रहे हैं जिसे जनता ने अपने हृदय में जगह दी और उन्हें बार-बार अपना आशीर्वाद दिया. बुनियादी बात यह है कि जनता के बीच आप समर्पित हैं, उनके दुख सुख में आप शामिल हैं तो जनता बार-बार आपको चुनेगी और आशीर्वाद देगी. अब आज के नेताओं को यह तय करना है कि जनता के हित को सर्वोपरि मानते हैं या फिर शॉर्टकट तरीका अपनाना चाहते हैं यह उन पर निर्भर है."
"अब बिहार और देश की राजनीति में स्थितियां बदल गई हैं. पहले नेता अपने छवि की बदौलत लगातार चुनाव जीतते थे. इंद्रजीत गुप्ता 11 बार चुनाव जीते अटल बिहारी वाजपेयी भी कई बार चुनाव जीते राम विलास पासवान भी बिहार में रिकॉर्ड बनाया. अब इस तरह का रिकॉर्ड बिहार और देश में बन पाएगा इसकी संभावना कम है क्योंकि कोई भी पार्टी इतने लंबे समय तक किसी नेता पर दांव नहीं लगा सकती है अब उस तरह के नेता भी नहीं हैं."- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ
उम्र बड़ा फैक्टर: राजनीतिक विशेषज्ञ रवि अटल का कहना है कि भाजपा जैसी पार्टियों ने अधिक उम्र वाले राजनेताओं को टिकट नहीं देने का भी फैसला लिया है. हालांकि अधिक उम्र के नेताओं को टिकट देने के लिए अभी भी कई स्थानों पर पार्टी को मजबूर होना पड़ता है.
"आने वाले समय में इसमें और कड़ाई आएगी. छोटे दलों में ऐसे नेता अब बचे नहीं हैं जो अपने बलबूते लोकसभा का चुनाव जीत सकें. इसलिए बड़ी पार्टियों हों या गठबंधन के तहत जिन्हें टिकट मिलता है उन्हें इतने लंबे समय तक लगातार टिकट मिलता रहे यह भी अब संभव नहीं है. इसलिए जो भी पुराने रिकॉर्ड हैं जल्द कोई तोड़ पाएगा आसान नहीं दिख रहा है."- रवि अटल, राजनीतिक विशेषज्ञ
ऐसे देश की बात करें तो इंद्रजीत गुप्ता ने 11 बार लोकसभा चुनाव जीत का रिकॉर्ड बनाया है. उनके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने भी 10 बार लोकसभा का चुनाव जीता दो बार राज्यसभा भी गए. बिहार से रामविलास पासवान ने नौ बार का रिकॉर्ड बनाकर रखा है और इन रिकॉर्ड तक पहुंचना देश के नेताओं के लिए आसान नहीं है.
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